नई दिल्लीः केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने आज बिहार के हाजीपुर में अंतर्राज्यीय बागवानी मेले (संगम 2016) का उद्घाटन किया। इस अवसर पर, केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री श्री राम विलास पासवान भी उपस्थित थे।
इस अवसर पर अपने संबोधन में श्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रमुख हिस्सा है और बागवानी उसका एक महत्वपूर्ण घटक है। भारत मे विविध कृषि -मौसमी परिस्थितियां मौजूद हैं जो बागवानी फसलों की भारी मात्रा का उत्पादन करने में सहायक है। देश का बागवानी परिदृश्य उत्पादन तथा उत्पादकता, दोनों रूपों में तेजी से बदलता जा रहा है। देश में बागवानी पर ध्यान केंद्रित किए जाने और इसे उच्च वरीयता दिए जाने से उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि हुई है और विकास के नये रास्ते खुले हैं।
श्री सिंह ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में पूर्वी क्षेत्र चावल, सब्जी एवं मीठे जल की मछलियों के उत्पादन में अग्रणी है। यह क्षेत्र राष्ट्रीय स्तर पर चावल, सब्जी एवं मछली उत्पादन में क्रमशः 50 प्रतिशत, 45 प्रतिशत एवं 38 प्रतिशत की भागीदारी सुनिश्चित कर रहा है। यदि इस क्षेत्र के समुचित विकास पर ध्यान दिया जाये तो यह क्षेत्र अनाज के साथ ही दलहन, तिलहन, फल-सब्जियों, दुग्ध एवं मत्स्य उत्पादन के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में सक्षम है।
उन्होंने कहा कि कृषि आज भी अन्य क्षेत्रों की अपेक्षा रोजगार व ग्रामीण विकास के लिए अधिक प्रभावी है। जलवायु परिवर्तन कृषि हेतु चुनौतीपूर्ण है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार का लक्ष्य हर किसान को मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध कराना है। इससे अवस्था स्तर के आधार पर किसान उर्वरक का उपयोग कर मृदा स्वास्थ्य का संतुलित प्रबंधन कर सकेंगे। जैविक खेती के सिद्धांतों तथा विधाओं को बढ़ावा देकर टिकाऊ खेती की शैली सुदृढ़ की जा सकती है।
श्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना एक प्रभावी पहल है। इससे हर खेत को पानी सुनिश्चित किया जा सकेगा। जल संसाधन की उचित देख-रेख, भूतल रिचार्ज, कमान्ड क्षेत्र का विकास, साझेदारी पद्धति द्वारा वाटरशेड का विकास एवं जल वितरण तथा उपयोग, सौर-ऊर्जा चालित सिंचाई के यंत्र व विधाओं का उपयोग, समतलीकरण, जल-निकास व्यवस्था, उचित फसल प्रणाली द्वारा प्रक्षेत्र विकास तथा सूक्ष्म-सिंचाई व पाईप व्यवस्था द्वारा जल का संवहन आदि पहलुओं पर ध्यान देना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि उचित जल प्रबंधन के बिना खेती कठिन होगी।
उन्होंने कहा कि कृषकों के समग्र विकास के लिए उचित निवेश, तकनीकी, नीति व संस्था की व्यवस्था उपलब्ध है, परन्तु इन व्यवस्थाओं का कृषकों तक पहुंच व इनके उचित उपयोग पर बल देना होगा। कृषकों को उन्नत तकनीकों, सरकार की योजनाओं, कृषि हेतु उपयोगी संस्थाओं के बारे में जानकारी बढ़ावा देने हेतु इस प्रकार के कार्यक्रम अधिक प्रभावी होंगे।
श्री राधा मोहन सिंह ने इस अवसर पर लोगों को कृषि विकास के लिए केन्द्र सरकार के द्वारा किए गये महत्वपूर्ण कार्यो से भी अवगत कराया। इसमें कृषि विज्ञान केन्द्रों की ऑनलाइन समीक्षा कर उच्च स्तर पर निगरानी प्रबंधन एवं किसानों को सूचना एवं सलाह उपलब्ध कराने के लिए कृषि विज्ञान पोर्टल का शुभारंभ, पूर्वी चम्पारण में राष्ट्रीय समेकित अनुसंधान केन्द्र की स्थापना, डॉ राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय बनाने के निर्णय के साथ ही भारत सरकार ने गोरौल में इसके अधीन केला अनुसंधान केन्द्र खोलने का निर्णय, आई.सी.ए.आर. के अंतर्गत राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र, मुजफ्फरपुर द्वारा पौधा प्रसारण-सह-प्रशिक्षण केन्द्र की स्थापना, पटना में केवीके का नया जोनल कार्यालय कृषि तकनीक अनुप्रयोग संस्थान (अटारी), खाद्य परीक्षण प्रयोगशाला, कौशलल विकास हेतु मोतिपुर में गुड़ प्रसंस्करण इकाई का शुभारंभ तथा मोतिहारी, बेतिया एवं गोपालगंज में तीन नई गुड़ प्रसंस्करण इकाइयों को दी गई मंजूरी शामिल है।
उन्होंने बताया कि इसके अलावा मखाना की नई किस्म स्वर्ण वैदेही प्रथम बार विकसित करने के अलावा 22 हजार क्विंटल से अधिक गणवत्ता बीज और 17 लाख गुणवत्ता रोपण सामग्री का वितरण, कृषि प्रौद्यौगिकियों के 12 हजार से अधिक ऑन फार्म परीक्षण तथा अग्रिम पंक्ति प्रदर्शनों का आयोजन, 3 लाख किसानों/प्रसार कार्मियों को प्रशिक्षण, 38 आकस्मिक योजनाओं को अद्यतन किया जाने के साथ-साथ विभिन्न फसलों की 28 किस्में और सब्जियों की 6 किस्में भी जारी की गई हैं।
श्री राधा मोहन सिंह ने बताया कि राज्य में बीजों के प्रभावी वितरण के लिए राष्ट्रीय बीज निगम के 119 नए डीलर पंजीकृत किए गए हैं। राष्ट्रीय बीज निगम (एनएससी) भारत सरकार द्वारा बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखण्ड में प्रजनक एवं आधार बीज उत्पादन केन्द्र स्थापित करने के लिए राज्य सरकार से जमीन की मांग की गई थी जिससे इन राज्यों में उच्च पैदावार की बीज मुहैया कराई जा सके। झारखण्ड एवं पश्चिम बंगाल में राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई जमीन पर यह केन्द्र प्रारम्भ कराया जा चुका है, परंतु बिहार सरकार द्वारा अभी तक जमीन उपलब्ध नही कराई गई है।
उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने बिहार, गुजरात, महाराष्ट्र एवं उत्तर प्रदेश में एक-एक फार्म मशीनरी प्रशिक्षण एवं परीक्षण संस्थान खोलने की मंजूरी दी है। इस कार्य हेतु गुजरात, महाराष्ट्र एवं उत्तर प्रदेश ने जमीन चिन्हित कर प्रतिवेदित किया है जिस पर कार्य प्रगतिशील है। इसके अतिरिक्त प्रशिक्षणों, सम्मेलनों, मधुमक्खी कॉलोनियों, मधुमक्खी के बक्सों, उपकरणों आदि के वितरण सहित मधुमक्खी पालन के एकीकृत वैज्ञानिक विकास की परियोजनाओं के लिए इस राज्य में 130 लाख रूपये की वित्तीय सहायता स्वीकृत/लागू की गई।