केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा एवं अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने नई दिल्ली के पृथ्वी भवन में विज्ञान सचिवों की मासिक बैठक की अध्यक्षता की।
बैठक के दौरान, केंद्रीय मंत्री ने 16 फरवरी, 2022 को आयोजित पिछली बैठक में चर्चा किए गए कई अन्य मुद्वों पर अर्जित की गई प्रगति के साथ साथ राष्ट्रीय विज्ञान सम्मेलन, विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवोन्मेषण नीति (एसटीआईपी) के प्रारूप एजेंडा की गहन समीक्षा की। उन्होंने पिछली बैठक के दौरान चिन्हित 16 कार्रवाइयों पर की गई कार्रवाई रिपोर्ट (एटीआर) की समीक्षा करते हुए विभिन्न विभागों को कई सुझाव व निर्देश दिए।
प्रस्तावित राष्ट्रीय विज्ञान सम्मेलन के प्रारूप की समीक्षा करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने राज्यों, उद्योग के प्रतिनिधियों तथा अन्य हितधारकों को शामिल करते हुए विषयगत तथा राज्य विशिष्ट चर्चाओं को सम्मिलित करने का सुझाव दिया। उन्होंने विचार व्यक्त किया कि विभिन्न विभागों के एकीकरण करने से तथा अतिव्यापी कार्यकलापों से बचने का परिणाम निश्चित रूप से प्रत्येक विभाग के बेहतर आउटपुट के रूप में सामने आएगा।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने फेलोशिप के विलंब से संवितरण मुद्दे पर भी अधिकारियों को निर्देश दिया। केंद्रीय मंत्री ने विभागों में उपस्थित होने वाले सभी अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे स्टार्ट-अप्स की तलाश और खोज करें बजाये इसकी प्रतीक्षा करने के कि स्टार्ट-अप्स उन तक पहुंचे। उन्होंने कहा कि विभागों को उनकी सहायता करने के लिए कुछ विशेष दिशानिर्देशों पर आधारित योग्य स्टार्ट-अप्स की पहचान करने तथा उनका पता लगाने में सक्षम होना चाहिए।
केंद्रीय मंत्री ने उपस्थित विभागों तथा अधिकारियों को स्टार्ट-अप्स की सफलता गाथाओं को प्रदर्शित करने तथा जहां कहीं भी संभव हो, उन्हें बढ़ावा देने को कहा। विज्ञान प्रसार में विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के सभी विभागों के लिए एक अंतःमंत्रालयी मीडिया प्रकोष्ठ के गठन के मुद्वे पर भी विस्तार से चर्चा की गई तथा यह निर्णय लिया गया कि इस पर अभी और चर्चा किए जाने की आवश्यकता है।
एसआईटीपी के प्रारूप के तहत, स्टार्ट अप तथा नवोन्मेषण से संबंधित शब्दों को जोड़ने के लिए सार्वजनिक सुझाव आमंत्रित करने, वर्ष 2030 तक अनुसंधान परिणामों की गुणवत्ता के संबंध में भारत को शीर्ष पांच देशों में रखने के तरीके अपनाने, वर्ष 2030 तक विज्ञान में महिलाओं की 30 प्रतिशत सहभागिता का लक्ष्य निर्धारित करने, वर्ष 2030 तक एसटीआई में भारत को शीर्ष तीन वैश्विक अग्रणी देशों में शामिल करने तथा वर्ष 2030 तक किस प्रकार प्रोद्यौगिकी में आत्म निर्भरता अर्जित करने किया जाए, जैसे मुद्वों पर भी गहन विचार विमर्श किया गया।
इस बैठक में भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार, अंतरिक्ष विभाग के सचिव, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव, जैवप्रौद्योगिकी विभाग के सचिव, प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड के सचिव तथा प्रतिनिधियों एवं अन्य विज्ञान विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी भाग लिया।