संसद ने राष्ट्रीय राजधानी के तीनों नगर निगमों के एकीकरण के प्रावधान वाले ‘दिल्ली नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2022′ को मंगलवार को मंजूरी दे दी।
राज्यसभा में विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह विधेयक संविधान के अनुच्छेद 239 (एए) के तहत प्रदत्त अधिकार के माध्यम से लाया गया है जिसमें कहा गया है कि संसद को दिल्ली के संघ राज्य क्षेत्र से जुड़े किसी भी विषय पर कानून बनाने का अधिकार प्राप्त है। उन्होंने कहा कि दिल्ली एक पूर्ण राज्य नहीं है और केंद्र सरकार किसी पूर्ण राज्य के संबंध में विधेयक यहां नहीं ला सकती।
इससे पहले विधेयक पर हुई चर्चा में कई विपक्षी सदस्यों ने विधेयक पेश करने के केंद्र सरकार के अधिकार को लेकर सवाल उठाए थे और इसे संघीय ढांचे पर प्रहार करार दिया था। शाह ने कहा कि यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि इस विधेयक को पूरी तरह से संविधान प्रदत्त तरीके से लाया गया है और यह राज्य के अधिकार का किसी प्रकार से अतिक्रमण नहीं है।
आम आदमी पार्टी पर निशाना साधते हुए गृह मंत्री ने कहा कि अगर यही रवैया रहा तो नगर निगम में जीतने का दावा करते करते वह दिल्ली की सरकार न गंवा दें। उन्होंने दिल्ली की आप सरकार पर तीन नगर निगमों के साथ सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाते हुए कहा कि वह निगमों को प्रताड़ित कर रही है और इससे दिल्ली की जनता प्रताड़ित हो रही है। उन्होंने विपक्ष से सवाल किया कि यदि दिल्ली नगर निगम के चुनाव छह महीने बाद हों तो क्या उन्हें चुनाव हारने का डर है? उनके जवाब के बाद सदन ने विपक्षी सदस्यों द्वारा लाए गए संशोधनों को खारिज कर दिया तथा विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी प्रदान कर दी। लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है।
शाह ने कहा कि दिल्ली के पांचवें वित्त आयोग ने तीन निगमों को करीब 40,500 करोड़ रुपये देने की अनुशंसा की थी लेकिन दिल्ली सरकार ने उसमें काफी कटौती कर दी। उन्होंने आरोप लगाया कि नगर निगम की कई महत्वपूर्ण सिफारिशों को दिल्ली सरकार ने नहीं माना, उनके कई अनुरोधों को खारिज कर दिया। शाह ने कहा कि ऐसे में निगम कैसे काम करेंगे।