20.2 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

हम स्वास्थ्य सेवा इकोसिस्टम के दो महत्वपूर्ण पहलुओं, ‘हील इन इंडिया और हील बाई इंडिया’ के लिए प्रतिबद्ध हैं: डॉ. मनसुख मंडाविया

देश-विदेश

केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री, डॉ. मनसुख मंडाविया ने फार्मा और चिकित्सा उपकरण क्षेत्र 2022 विषय पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के 7वें संस्करण का उद्घाटन किया। यह सम्मेलन 25 से 27 अप्रैल तक चलेगा। इसमें रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री श्री भगवंत खुबा और औषधि विभाग की सचिव श्रीमती एस अपर्णा उपस्थित थीं। तीन दिवसीय वार्षिक प्रमुख सम्मेलन डॉ. अम्बेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र, नई दिल्ली में आयोजित किया जा रहा है।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री तथा रसायन और उर्वरक मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने कहा कि हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व और अथक प्रयासों के कारण भारत में स्वास्थ्य सेवा सभी के लिए सस्ती और सुलभ हो रही है। सरकार देश में डॉक्टरों, चिकित्सा संस्थानों, अस्पताल सहित स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे, तृतीयक देखभाल केंद्रों, स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों की संख्या बढ़ाने के लिए अथक प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा, “भारत औषधि और भारत चिकित्सा उपकरण 2022 जैसे सम्मेलन उद्योग, शिक्षाविदों और नीति निर्माताओं को इस क्षेत्र में अगले 25 वर्षों के लिए विचार-मंथन और योजना का मसौदा तैयार करने के लिए एक मंच प्रदान करते हैं।”

केंद्रीय मंत्री ने आह्वान किया कि हमारे प्रधानमंत्री के नेतृत्व में युवाओं की ऊर्जा और मस्तिष्क शक्ति को दिशा दी गई है। यह हमारे देश का युवा है जो भविष्य में भारत को और अधिक ऊंचाइयों पर ले जाएगा और इसलिए हमें उद्योग-विद्यार्थी सहयोग को बढ़ावा देना चाहिए। यह न केवल हमारे युवाओं की रोजगार क्षमता सुनिश्चित करेगा बल्कि उद्योग को कुशल जनशक्ति भी प्रदान करेगा। इन दिनों हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, हमें ‘संकल्प से सिद्धि’ का भरोसा देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि हम एक बड़े भविष्य के लिए एक कार्य योजना बनाएं और ऐसे लक्ष्य निर्धारित करें जो राष्ट्र की प्रगति सुनिश्चित करें।

कोविड-19 के खिलाफ भारत की लड़ाई में सफलता सुनिश्चित करने के लिए देश के फार्मा उद्योग को बधाई देते हुए, केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जिस तरह से भारत ने कोविड महामारी का प्रबंधन किया है वह एक वैश्विक अध्ययन का विषय है। विश्व के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान को चलाने के लिए आज पूरा विश्व समुदाय भारत के प्रयासों की प्रशंसा कर रहा है। देश में अब तक 187 करोड़ से अधिक कोविड टीके लगाए जा चुके हैं जो एक सराहनीय उपलब्धि है। जब स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने की बात आती है, तो किसी को न केवल देश के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए सोचना चाहिए। ‘सेवा’ का भाव हमेशा पहले आना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारी सोच का दृष्टिकोण सांकेतिक नहीं बल्कि समग्रता का है।

केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि हम एक नए भारत का उदय देख रहे हैं और सभी हितधारकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि फार्मा क्षेत्र भी इस विकास का हिस्सा बने। उन्होंने कहा, “हम स्वास्थ्य सेवा इकोसिस्टम के दो महत्वपूर्ण पहलुओं – हील इन इंडिया और हील बाई इंडिया” के लिए प्रतिबद्ध हैं।

इस अवसर पर केंद्रीय रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री श्री भगवंत खुबा ने कहा कि हमें भारतीय फार्मा और चिकित्सा उपकरण क्षेत्र में गुणवत्ता, पहुंच और सामर्थ्य सुनिश्चित करने के लिए अनुसंधान एवं विकास और नवाचार पर ध्यान देने की आवश्यकता है। भारत दुनिया में फार्मा क्षेत्र का विशाल केंद्र है और हमारा देश औषधि उत्पादन के क्षेत्र में दुनिया में 5वें स्थान पर है। उन्होंने कहा कि सरकार व्यापार करने में सुगमता के साथ-साथ उद्योग के अनुकूल नीतियां बनाने के लिए भी काम कर रही है। श्री खुबा ने कहा कि भारतीय चिकित्सा उपकरण क्षेत्र वर्तमान में 11 बिलियन डॉलर का है और इसके वर्ष 2025 तक 50 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की आशा है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि वर्तमान में 80 प्रतिशत से अधिक चिकित्सा उपकरण भारत में आयात किए जाते हैं। भारत जल्द ही अनुसंधान एवं विकास, नवाचार के साथ, भारत में 80 प्रतिशत चिकित्सा उपकरणों का उत्पादन करने में सक्षम होगा।

औषधि विभाग की सचिव श्रीमती एस अपर्णा ने इस कार्यक्रम में अपने संबोधन में कहा कि भारत अमृत काल की तैयारी कर रहा है, यह समय फार्मा और चिकित्सा उपकरण क्षेत्र में हमारी आकांक्षा को फिर से डिजाइन करने और वैश्विक नेतृत्व का मंत्र लेने का समय है। उन्होंने कहा कि उद्योग-अकादमिक संबंधों में वृद्धि के साथ-साथ चिकित्सा उपकरणों और दवाओं में नवाचार के लिए एक ईकोसिस्टम बनाने की आवश्यकता है। औषधि क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न सरकारी पहलों पर प्रकाश डालते हुए, उन्होंने कहा कि उत्पादन से सम्बद्ध प्रोत्साहन-पीएलआई योजना के अंतर्गत, थोक दवाओं, एपीआई आदि के लिए पहले ही 22,000 करोड़ रुपये से अधिक स्वीकृत किए जा चुके हैं।

उद्घाटन समारोह में, तीन ज्ञान दस्तावेज-  ‘कोविड युग के बाद औषधि उद्योग का भारतीय ईकोसिस्टम पर प्रभाव’, ‘भारतीय चिकित्सा उपकरणों के क्षेत्र में विकास और नवाचार को सक्षम करना’ और ‘मुख्य कार्यकारी अधिकारियों द्वारा महत्वपूर्ण भाषणों का संकलन’ भी केंद्रीय मंत्री द्वारा जारी किए गए। इसके अलावा, उद्घाटन समारोह के बाद डॉ. मनसुख मंडाविया ने फार्मा और चिकित्सा उपकरण क्षेत्र के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों के साथ दो गोलमेज सम्मेलनों की भी अध्यक्षता की। सम्मेलन में केंद्रीय मंत्री ने औषधि और चिकित्सा उपकरण क्षेत्र को सरकार के पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया और अगले 25 वर्षों के लिए कार्य योजना तैयार करने में उनकी प्रतिक्रिया और समर्थन मांगा। सम्मेलन में फार्मा और चिकित्सा उपकरण क्षेत्र से संबंधित विभिन्न विषयों पर चर्चा की गई।

नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी.के. पॉल, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद- आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव, फिक्की और इन्वेस्ट इंडिया के वरिष्ठ अधिकारी और विभिन्न फार्मा और चिकित्सा उपकरण कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारी भी सम्मेलन में उपस्थित थे।

भारतीय औषधि और चिकित्सा उपकरण सम्मेलन 2022 के 7वें संस्करण के विषय में:

इस वर्ष, भारतीय फार्मा का विषय भारत फार्मा-दृष्टिकोण 2047: भविष्य के लिए परिवर्तनकारी एजेंडा पर आधारित है। भारत चिकित्सा उपकरण के लिए, विषय है नवाचार और एकीकृत सेवाओं के माध्यम से स्वास्थ्य देखभाल में बदलाव। 3 दिनों के सम्मेलन में भारत को गुणवत्तापूर्ण दवाओं में विश्व में अग्रणी देश बनाने और देश में दवाओं और चिकित्सा उपकरणों की उपलब्धता, पहुंच और सामर्थ्य सुनिश्चित करने के लिए नए अवसरों और विचारों के बारे में चर्चा की जाएगी।

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More