देहरादून: मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि राज्य सरकार का लक्ष्य सभी वन गुजरो का पुनर्वास करने का है। सभी वन गुजरों को जमीन उपलब्ध कराने एवं उनके उचित ढंग से पुनर्वास के लिए उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिये यदि वन गूजर जंगलों की उचित ढंग से देख रेख करने में मददगार बनेंगे तो उन्हें आगे भी चुगान के परमिट दिये जायेंगे। वन गूजरों के लडको को मल्टी टास्ट फोर्स गठित कर सेवायोजित करने तथा जम्मू कश्मीर की भांति उन्हें एस.सी/एस.टी वर्ग में शामिल किये जाने पर विचार किये जाने का भी उन्होंने आश्वासन दिया। वन गूजरों की भैंस को बाघ द्वारा मारे जाने पर आपदा राहत की भांति प्रति भेंस 30 हजार का मुआवजा देने का भी प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश मुख्यमंत्री ने दिये है। वन गूजरो को लापिंग परमिट में शीघ्रता की जाय।
बुद्धवार को देर सांय वन गूजरों की समस्याओं के संबंध में आयोजित बैठक में मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि संरक्षित क्षेत्र व संरक्षित क्षेत्र के बाहर के वन गूजरों की जो समस्याएं है, अधिकारी उनका निराकरण समयबद्धता के साथ करें। इस संबंध में जो प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा जाना है, उसे शीघ्र भेजा जाए। इसके लिये अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी जाए। उन्होंने कहा कि संरक्षित क्षेत्र के अंदर के वन गुजरों का सत्यापन जिम्मेदार अधिकारी डेड माह में करते हुए ढ़ाई महिने में इनका पुनर्वास की कार्यवाही पूरी हो जाए। संरक्षित क्षेत्र के बाहर के वन गूजरों के लिये चुगान परमिट व राशन कार्ड आदि को आधार बनाकर 2006 की गणना के आधार पर कट आॅफ डेट रखी जाए। उन्होंने वन गूजरों के क्षेत्र में सोलर स्ट्रीट लाईट लगाये जाने तथा जहा स्कूल की व्यवस्था नही है, वहां स्कूल की व्यवस्था के प्रस्ताव तैयार किये जाने को कहा।
बैठक में वन मंत्री दिनेश अग्रवाल, मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह, अपर मुख्य सचिव एस.रामास्वामी, सचिव डी.एस.गब्र्याल, प्रमुख वन संरक्षक आर.के.महाजन सहित देहरादून, हरिद्वार, लैंसडाउन, श्यामपुर, रोशनाबाद, बिन्दुखत्ता, गैंडीखत्ता, आदि क्षेत्रों के वन गूजर के प्रतिनिधि रोशन दीन, गुलाम मुस्तफा, शमसेर अली, वसीर अहमद, नूर आलम आदि उपस्थित थे।