16.4 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

एनएमसीजी के महानिदेशक श्री जी अशोक कुमार की अध्यक्षता में हुई कार्यकारी समिति की 43वीं बैठक

देश-विदेश

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक श्री जी. अशोक कुमार की अध्यक्षता में 13 जुलाई 2022 को कार्यकारी समिति की 43वीं बैठक का आयोजन किया गया. बैठक में एनएमसीजी के ईडी (एडमिन) श्री एसपी वशिष्ठ, ईडी (तकनीकी) श्री डीपी मथुरिया, ईडी (टेक्निकल) श्री हिमांशु बडोनी, ईडी (फाइनेंस) श्री भास्कर दासगुप्ता और जेएस एंड एफए, जल संसाधन विभाग, नदी विकास और गंगा कायाकल्प, जल शक्ति मंत्रालय की सुश्री ऋचा मिश्रा शामिल रहीं.

बैठक में नई प्रौद्योगिकियों के माध्यम से औद्योगिक और सीवरेज प्रदूषण उपशमन, वनरोपण, कालिंदी कुंज घाट के विकास आदि से संबंधित 38 करोड़ की परियोजनाओं को मंजूरी दी गई।

उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में वर्ष 2022-23 में वनीकरण की परियोजना को मंजूरी दी गयी है.  जिसकी अनुमानित लागत रु. 10.31 करोड़ है. जिसे एक साल में चार चरणों में पूरा किया जाना है. जिसमें वृक्षारोपण, रखरखाव, क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण और जागरूकता शामिल है। इसका उद्देश्य वन आवरण में सुधार, वन विविधता और उत्पादकता में वृद्धि, जैव विविधता संरक्षण और स्थायी भूमि और पारिस्थितिकी तंत्र प्रबंधन, पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के बेहतर प्रवाह, स्थायी आजीविका और गंगा के समग्र संरक्षण के लिए है।

कालिंदी कुंज घाट के विकास के लिए ‘सैद्धांतिक’ अनुमोदन भी दिया गया था जिसमें लोगों और नदी के जुड़ाव को सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से पर्यावरण के अनुकूल बैठने, कचरे के डिब्बे, रंगों, वृक्षारोपण का निर्माण शामिल होगा।

औद्योगिक प्रदूषण उपशमन के लिए लगभग 77 लाख रुपये की अनुमानित लागत वाली 100 केएलडी क्षमता के इलेक्ट्रो-केमिकल प्रौद्योगिकी आधारित मॉड्यूलर एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट की स्थापना और चालू करने के लिए एक पायलट परियोजना को मंजूरी दी गई है। यह परियोजना मथुरा के कपड़ा उद्योगों से निकलने वाले पानी को ट्रीट करेगी. ताकि यमुना को साफ़ रखा जा सके। इस परियोजना का उद्देश्य पर्यावरण के अनुकूल और हरित प्रौद्योगिकियों को अपनाकर अपशिष्ट जल के निर्वहन (प्रदूषण और रासायनिक भार) को कम करना है।

माइक्रो-एरोबिक प्रक्रियाओं के साथ मौजूदा यूएएसबी प्रणाली के अपग्रेडेशन/इंट्रीग्रेशन के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई. जिसकी अनुमानित लागत 3 करोड़ रुपए है. इसका उद्देश्य यूएएसबी प्रक्रिया का उपयोग करके सीवेज उपचार से शून्य निर्वहन और संसाधन पुनर्प्राप्ति है। प्रायोगिक अध्ययन का संभावित परिणाम पोषक तत्वों की बनाये रखने, बायोगैस के रूप में ऊर्जा और ट्रीट किए पानी पर होगा, जिसे गैर-पीने योग्य उपयोग में लाया जा सकता है।

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में गौरी कुंड और तिलवाड़ा में सीवरेज ट्रीटमेंट के लिए ((200 केएलडी+10केएलडी+6केएलडी+100केएलडी) क्षमता के सीवरेज उपचार संयंत्रों के निर्माण और  अन्य कार्यों के लिए 23.37 करोड़ रुपये की लागत वाली एक परियोजना को भी मंजूरी दी गई है।

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More