लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक रिव्यू कमेटी का गठन करके ‘उत्तर प्रदेश नैदानिक स्थापन (रजिस्ट्रीकरण और विनियमन) नियमावली, 2016’ के कतिपय प्राविधानों पर पुनर्विचार करके यथाशीघ्र आख्या उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। यह नियमावली केन्द्रीय अधिनियम ‘द क्लीनिकल स्टेब्लिशमेन्ट (रजिस्ट्रेशन एण्ड रेगुलेशन) एक्ट, 2010’ को लागू करने के सम्बन्ध में है।
मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव को यह निर्देश आज यहां अपने सरकारी आवास पर इण्डियन मेडिकल एसोसिएशन के प्रतिनिधिमण्डल से भेंट के पश्चात् दिए। प्रतिनिधिमण्डल ने मुख्यमंत्री को ‘उत्तर प्रदेश नैदानिक स्थापन (रजिस्ट्रीकरण और विनियमन) नियमावली, 2016’ के कतिपय प्राविधानों के कारण मरीजों के इलाज में आने वाली कठिनाइयों से अवगत कराया।
इस अवसर पर श्री यादव ने प्रतिनिधिमण्डल के सदस्यों से राज्य के ग्रामीण इलाकों में चिकित्सा सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए माॅडल सुझाने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि इस दिशा में प्रदेश सरकार के प्रयासों में संस्था द्वारा सहयोग किए जाने से ग्रामीण जनता को काफी लाभ मिलेगा। मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव को निर्देशित किया कि वे आई0एम0ए0 के पदाधिकारियों के साथ इस सम्बन्ध में भी विचार-विमर्श कर एक कार्य योजना प्रस्तुत करें।
ज्ञातव्य है कि राज्य सरकार ने केन्द्रीय अधिनियम ‘द क्लीनिकल स्टेब्लिशमेन्ट (रजिस्ट्रेशन एण्ड रेगुलेशन) एक्ट, 2010’ के प्राविधानों के तहत ‘उत्तर प्रदेश नैदानिक स्थापन (रजिस्ट्रीकरण और विनियमन) नियमावली, 2016’ लागू की है, जिसके कतिपय प्राविधानों पर आई0एम0ए0 द्वारा आपत्ति जतायी जा रही है।