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प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) की दूसरी वर्षगांठ मनाई गई

देश-विदेश

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएसवाई) आज अपनी दूसरी सफल वर्षगांठ मना रही है। इस शुभ दिवस के उपलक्ष्‍य में केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के मत्स्य विभाग ने आज नई दिल्ली में एक कार्यक्रम आयोजित किया। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य पीएमएमएसवाई फ्लैगशिप कार्यक्रम की उपलब्धियों और भविष्य की कार्य योजनाओं की जानकारी देना है।

केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन मंत्री श्री पुरुषोत्तम रूपाला कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे। डॉ.एल मुरुगन, एफएएचडी और सूचना प्रसारण राज्य मंत्री, श्री तरुण श्रीधर, पूर्व सचिव, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय और डॉ. एस अय्यप्पन, पूर्व महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद सम्मानित अतिथि थे। श्री जतिंद्र नाथ स्वैन एफएएचडी मंत्रालय के  सचिव भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ लगभग 300 मछुआरों और मछली किसानों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया और अपने अनुभव और सफलता की कहानियों को साझा किया। इस कार्यक्रम में पीएमएमएसवाई और इसकी उपलब्धियों के बारे में एक पुस्तिका मत्स्य संपदा:डीओएफ क न्यूजलेटर का तीसरा संस्करण, निर्यात विविधीकरण, स्कम्पी कार्य योजना, राष्ट्रीय बीज योजना: 2022-2025 आदि के हिस्से के रूप में तिलापिया कार्य योजना का विमोचन किया।

केंद्रीय मंत्री श्री रूपाला ने मत्स्य विभाग और पीएमसी टीम को इस कार्यक्रम की योजना बनाने, पुस्तिकाएं प्रकाशित करने और इसे दिलचस्प तरीके से प्रस्तुत करने के लिए बधाई दी, जो इस विभाग की उपलब्धियों और भविष्य की कार्य योजना के सार और एकीकरण को दर्शाता है।

डॉ. एल मुरुगन ने यह जानकारी साझा की कि मत्‍स्‍य विभाग को भारत की स्वतंत्रता से लेकर आज तक और मत्स्य क्षेत्र के निर्वहन के प्राचीन इतिहास से लेकर भारत के क्षेत्रीय बदलाव के लिए देश के महत्वपूर्ण क्षेत्र के रूप में किस प्रकार योजनाबद्ध किया गया है।

श्री जतिंद्र नाथ स्वैन ने बताया कि नदी और समुद्री पशुपालन कार्यक्रम द्वारा प्रौद्योगिकी सार्वजनिक भंडारण और जल निकायों के कायाकल्प द्वारा देश के जलाशयों और प्राकृतिक संसाधनों की वास्तविक क्षमता का किस प्रकार उपयोग किया जा सकता है। उन्होंने मत्स्य पालन और मछली किसानों को पीएमएमएसवाई के केंद्र के रूप में संबोधित करते हुए पीएमएमएसवाई योजना के तहत मछली पालन के क्षेत्र में उनकी सफलता के लिए बधाई दी।

श्री तरुण श्रीधर ने देश में झींगा क्रांति की शुरुआत के संबंध में अपने अनुभव साझा किए और मत्स्य पालन क्षेत्र में विविधीकरण के संबंध में बहुमूल्य जानकारी साझा की। डॉ. एस. अयप्पन ने उत्पादकता के मामले में भारत को वैश्विक मानचित्र में शीर्ष स्‍थान दिलाने के लिए प्रौद्योगिकी, नवाचारों और मछली पालन में वैज्ञानिक प्रक्रियाओं के उपयोग पर जोर दिया। एनएफडीबी के मुख्य कार्यकारी डॉ.सी सुवर्णा ने बताया कि पीएमएमएसवाई योजना में अच्छी तरह से संरचित कार्यान्वयन ढांचा उपलब्‍ध है।

भारत सरकार ने  ‘आत्मनिर्भर भारत’ पैकेज के हिस्से के रूप में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना शुरुआत की 20,050 करोड़ रुपये के निवेश से शुरू की थी जो  इस क्षेत्र में अब तक का सबसे अधिक निवेश है।

पीएमएमएसवाई के बारे में जानकारी:

पिछले दो वर्षों में हालांकि कोविड -19 ने मत्‍स्‍य क्षेत्र पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है, लेकिन यह क्षेत्र सुव्यवस्थित दृष्टिकोण की एक श्रृंखला को अपनाकर इस योजना के तहत अपनी वापसी करने में सफल रहा है। पिछले 2 वर्षों में मत्स्य विकास दर जो  2019-20 के मुकाबले  2021-22 तक 14.3 प्रतिशत की प्रभावशाली वृद्धि दर्शाती है। इसके अलावा मछली उत्पादन जो 2019-20  में 141.64 लाख टन था वह 2021-22 में सर्वकालिक उच्च स्तर 161.87 लाख टन (अनंतिम) पर पहुंच गया।

इसी तरह निर्यात में भी हमने 13.64 लाख टन के सर्वाधिक निर्यात स्‍तर को हासिल कर लिया है, जिसका मूल्य 57,587 करोड़ रुपये (7.76 बिलियन अमरीकी डॉलर) है, जो झींगा के निर्यात के प्रभुत्व को दर्शाता है। मौजूदा में हम 123 देशों को निर्यात कर रहे हैं।

अंतर्देशीय मत्स्य पालन के विकास के लिए 20,622 पिंजरों को स्थापित करके 20 एकीकृत जलाशय विकास परियोजनाएं शुरू की गई हैं। उत्पादकता बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी में गति लाने के लिए 3,117 आरएएस इकाइयों और 2693 बायो-फ्लोक इकाइयों को कार्यात्मक रूप में स्थानांतरित किया गया है। लगभग 1600 हेक्टेयर क्षेत्र को खारा और क्षारीय क्षेत्र विकास पहल में शामिल किया गया है।

समुद्री मात्स्यिकी के विकास के लिए गहरे समुद्र में मछली पकड़ने वाले 276 जहाजों को खरीदने की मंजूरी दी गई है और खरीददारी शुरू कर दी गई है। किसानों को गुणवत्तापूर्ण बीज उपलब्ध कराने के लिए 10 समुद्री हैचरी को मंजूरी दी गई है। लगभग 1556 नग समुद्र में स्थापित होने वाले पिंजरों की खरीददारी के लिए पहले ही मंजूरी दे दी गई है।

अब तक पीएमएमएसवाई ने 22 राज्यों और 7 केंद्र शासित प्रदेशों में बीमा कवरेज के तहत 31.47 लाख किसानों को सहायता प्रदान की है और अतिरिक्त 6.77 लाख किसानों को लीन/बैन अवधि के दौरान आजीविका और पोषण संबंधी सहायता के लिए शामिल किया गया  है।

इसके अलावा इस क्षेत्र की कार्यशील पूंजी और अल्पकालिक ऋण आवश्यकताओं को पूरा करने में सहायता प्रदान करने के लिए सरकार ने मछुआरों, मछली किसानों, स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी), संयुक्त देयता समूहों, महिला समूहों आदि को किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) प्रदान किए हैं। जनवरी 2022 तक कुल 6,35,783 आवेदन जमा किए गए हैं और 1,04,179 लाख रुपये की राशि मंजूर की गई है।

मत्स्य पालन के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और मछली उत्पादन बढ़ाने के लिए अब तक कुल 19 मछली पकड़ने के बंदरगाहों और मछली लैंडिंग केंद्रों के प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है जिनकी लागत 912.03 करोड़ रुपये है। पीएमएमएसवाई के माध्यम से 2024-25 के अंत तक अनुमानित 68 लाख रोजगार सृजित होने की परिकल्पना की गई है।

इससे पहले समुद्री मछली उत्पादन का भारत के कुल मछली उत्पादन में वर्चस्‍व था। हालांकि, वर्ष 2019 में विज्ञान-आधारित प्रथाओं और प्रौद्योगिकी को अपनाने के साथ, मछली उत्पादन में 74 प्रतिशत अंतर्देशीय मत्स्य पालन और शेष 26 प्रतिशत समुद्री मत्स्य पालन का योगदान रहा था।

इस योजना के तहत उत्तरी भारत के लवणीय एवं क्षारीय क्षेत्रों में विशेष रूप से जलकृषि को बढ़ावा दिया जायेगा। एक अन्य प्रमुख चिंता जलीय स्वास्थ्य प्रबंधन की है और रोगों, एंटीबायोटिक और अवशेष मुद्दों के समाधान पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है जिसमें एकीकृत प्रयोगशाला नेटवर्क से मदद मिलेगी।

पृष्‍ठभूमि:

प्रधानमंत्री ने पीएमएमएसवाई की परिकल्‍पना ग्रामीण संसाधनों और त्‍वरित गति से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देकर ग्रामीण विकास के उद्देश्य के लिए पीएमएमएसवाई को आत्मनिर्भर भारत के एक उपकरण के रूप में परिकल्‍पना की थी। पीएमएमएसवाई देश के ग्रामीण क्षेत्र की आजीविका बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण कारक सिद्ध हो सकता है। इस योजना का मुख्य आदर्श वाक्य मत्स्य पालन क्षेत्र में ‘सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन’ है।

पीएमएमएसवाई योजना में सुधारों और पहलों को एक मूल और ट्रंक बुनियादी ढांचा विकास, भारतीय मत्स्य पालन के आधुनिकीकरण, विशेष रूप से नए मछली पकड़ने के बंदरगाहों और लैंडिंग केंद्रों को बढ़ावा देने, पारंपरिक मछुआरों के क्राफ्ट-ट्रॉलर-डीप समुद्र में जाने वाले जहाजों के आधुनिकीकरण और यांत्रिकीकरण को शामिल किया गया है। इसके अलावा पोस्‍ट हारवेस्‍ट हानि को कम करने के लिए पोस्‍ट हारवेस्‍ट सुविधाओं का प्रावधान कोल्ड चेन की सुविधा, स्वच्छ मछली बाजार, बर्फ के बक्से वाले दोपहिया वाहन और ऐसी अनेक सुविधाएं भी इसमें शामिल हैं। मछुआरों को बीमा कवर, वित्तीय सहायता और किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा भी प्रदान की जाती है। पीएमएमएसवाई ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करके इसके उपयोग को बढ़ाने का मार्ग प्रशस्‍त किया है।

व्‍यक्तियों, प्रक्रिया और प्रौद्योगिकी के संदर्भ में बहु-आयामी पहलुओं को पूरा करने के लिए इस योजना में उपायों को पर्याप्त रूप से विकसित किया गया हैं जो निरंतर विकास और परिवर्तन के 3 महत्वपूर्ण स्तंभ हैं। इन 3 स्तंभों में श्रृंखला के विभिन्न पहलू, सतत उत्पादन प्रथाएं, पर्याप्त प्रसंस्करण अवसंरचना का सृजन, अंतिम उपभोक्ता के लिए लक्ष्य विपणन समावेशी नीतियां और अपनाने के पर्याप्त नियामक ढांचे भी शामिल हैं।

प्रौद्योगिकी को अपनाने मत्स्य पालन का अधिकतम उपयोग और क्षमता निर्माण के माध्यम से राज्य की पहलों को सही गति प्रदान करने के लिए इस विभाग ने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएसएसवाई) की मंत्रालय की प्रमुख योजना के तहत नवीन प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाने के लिए विभिन्न राज्यों से प्राप्‍त प्रस्तावों को मंजूरी दी है।

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