केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने दुनिया भर की सरकारों, वैश्विक स्वास्थ्य मुद्दों पर काम करने वाली वित्त पोषण एजेंसियों और उद्योगों से साथ आने और यह सुनिश्चित करने की अपील की कि कोविड-19 के वैश्विक महामारी के दौरान मिली सीख का अध्ययन किया जाए और दुनिया के लिए एक रणनीति तैयार की जाए ताकि भविष्य में इस तरह के संकट से बेहतर तरीके निपटा जा सके। केंद्रीय मंत्री आज पुणे में विकासशील देशों के टीका विनिर्माण नेटवर्क (डीसीवीएमएन) की 23वीं वार्षिक आम बैठक के उद्घाटन समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि जब सरकार, वैज्ञानिकों और उद्योगों की ताकत राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ जुड़ती है तो स्वास्थ्य संबंधी सभी चुनौतियों का सामना और समाधान किया जा सकता है।
इस दो दिवसीय कार्यक्रम की सह-मेजबानी डीसीवीएमएन के साथ मिलकर सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) कर रही है। यह कार्यक्रम ‘ग्लोबल इक्विटी एंड टाइमली-एक्सेस: कोविड-19 एंड बियॉन्ड’ विषय पर केंद्रित है। आज के उद्घाटन सत्र में टीका विनिर्माताओं, वैज्ञानिकों, विशेषज्ञों और उद्योग जगत के नेताओं ने भाग लिया।
केंद्रीय मंत्री ने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि यह आयोजन इसलिए भी विशेष है क्योंकि इसे दीपावली से ठीक पहले आयोजित किया गया है। यह एक ऐसा त्योहार जिसे हर भारतीय ‘अंधेरे को खत्म करने और प्रकाश की ओर बढ़ने’ के लिए मानता है। उन्होंने कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि कोविड-19 द्वारा फैलाया गया अंधेरा इस दीपावली पर दूर होगा और दुनिया में सकारात्मक माहौल तैयार होगा।’ डॉ. मांडविया ने कहा कि दुनिया में कोविड-19 के प्रकोप के दौरान हमने ज्ञान और ज्ञान के महत्व को देखा है। इस दौरान दुनिया भर के वैज्ञानिक साथ आए और वे कोविड-19 का समाधान तलाशने में सफल रहे। स्वास्थ्य मंत्री ने उन भारतीय वैज्ञानिकों को बधाई दी जिन्होंने विकसित देशों के साथ मिलकर काम किया और कोविड-19 के टीके विकसित करने में सफल रहे। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत और देश के वैज्ञानिक समुदाय में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विश्वास के कारण भारत ‘स्वदेशी टीके’ विकसित करने में सफल हो सकता है।
भारत का कोविड-19 टीकाकरण अनुभव
भारत के कोविड-19 टीकाकरण अभियान के बारे में बताते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि आज देश की 70 प्रतिशत आबादी का कोविड-19 के खिलाफ पूर्ण टीकाकरण हो चुका है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान ‘सबको टीका, मुफ्त टीका’ शुरू किया। उन्होंने कहा कि भारत ने महज नौ महीनों की छोटी सी अवधि में 100 करोड़ टीकाकरण का गौरव हासिल किया है और 18 महीनों के दौरान 200 करोड़ लोगों का टीकाकरण किया है। उन्होंने कहा, ‘माननीय प्रधानमंत्री के सक्षम नेतृत्व, वैज्ञानिक समुदाय के ज्ञान, टीका लगाने वालों की कड़ी मेहनत और टीका बनाने वाली कंपनियों की अदम्य भावना के कारण भारत टीकाकरण अभियान में सफलता हासिल कर सका।’ डॉ. मांडविया ने कहा कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, भारत बायोटेक, बायोलॉजिकल ई और जायडस कैडिला ऐसी कंपनियां हैं जिन्होंने टीकाकरण कार्यक्रम के सभी चरणों में भारत सरकार की सहायता की है।
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ने कहा कि बीमारियों के खिलाफ लड़ाई में टीका बनाना एक बड़ी वैज्ञानिक उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि यह सभी देशों में बीमारियों की रोकथाम के लिए सबसे किफायती सार्वजनिक स्वास्थ्य उपकरण है। उन्होंने कहा, ‘मुझे इस बात की खुशी है कि दुनिया भर में टीकाकरण का कवरेज बढ़ गया है और इसके परिणामस्वरूप लाखों लोगों की जान बची है।’ उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने भी अपना टीकाकरण कवरेज लगातार बढ़ाया है। डॉ. मंडाविया ने कहा कि देश का ‘सार्वभौम प्रतिरक्षण कार्यक्रम’ इसका प्रमाण है। उन्होंने यह भी कहा कि देश ने प्राथमिक, माध्यमिक और तृतीयक स्तरों पर स्वास्थ्य सेवा के दायरे में सुधार के लिए भी काम किया है। उन्होंने कहा, ‘स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में हमारे पास एक मजबूत कार्यबल है जिसमें आशा कार्यकर्ता शामिल हैं। इस प्रकार, स्वास्थ्य सेवाएं देश के अंतिम नागरिक तक भी पहुंचती हैं।’
टीकाकरण में प्रगति
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ने टीकाकरण में प्रगति के लिए चार क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने की बात कही।
ज्ञान: इसके लिए उद्योग और शिक्षा के बीच सक्रिय सहयोग आवश्यक है। उन्होंने कहा, ‘भारत में टीका से संबंधित अध्ययनों में अनुसंधान एवं विकास की काफी गुंजाइश है, जो हमने शुरू की है। भारतीय विश्वविद्यालय अनुसंधान कार्य के लिए विदेश के साथ सहयोग कर रहे हैं।’
प्रौद्योगिकी: दुनिया की सर्वोत्तम तकनीकों को भारत लाना महत्वपूर्ण है। डॉ. मांडविया ने कहा, ‘हमें प्रौद्योगिकी हस्तांतरण पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है। कोविशील्ड इसका सबसे अच्छा उदाहरण है, जहां ऑक्सफर्ड एवं एस्ट्राजेनेका ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया से अपनी प्रौद्योगिकी हस्तांतरित किया और इस प्रकार बड़े पैमाने पर टीके का उत्पादन संभव हो सका।’
सामाजिक: मंत्री ने कहा कि इससे देश सस्ती और गुणवत्तायुक्त टीके विकसित करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। इसके लिए कच्चे माल, उच्च मानकों एवं प्रक्रियाओं और गुणवत्ता नियंत्रण के लिए उपयुक्त प्रणालियों की सुगम आपूर्ति आवश्यकत है।
अर्थव्यवस्था: बड़े पैमाने पर उत्पादन होने से लागत कम हो जाएगी। डॉ. मांडविया ने कहा, ‘ऐसा करने से भारतीय दवाएं पूरी दुनिया में पहुंच सकेंगी और हर जगह मानव जाति की सेवा हो सकेगी।’
नियमित टीकाकरण को सामान्य करने की आवश्यकता
डॉ. मांडविया ने ‘नियमित टीकाकरण’ को सामान्य करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि वैश्विक महामारी के दौरान इसे काफी नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में तेजी से प्रगति करने की जरूरत है।
मंत्री ने स्वीकार किया कि डीसीवीएमएन दुनिया में लगभग 70 प्रतिशत एपीआई टीके की आपूर्ति कर रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री ने कहा, ‘डीसीवीएमएन ने रोटावायरस, जापानी इनकैपलाइटिस, निमोनिया, मेनिनजाइटिस और उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोगों के टीकों पर भी ध्यान केंद्रित किया है। यह संगठन साझेदारी मॉडल का एक बेहतरीन उदाहरण है। इसके गठन में डब्ल्यूएचओ, यूनिसेफ, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन, डोनर गवर्नमेंट, प्रोग्राम फॉर एप्रोप्रिएट टेक्नोलॉजी इन हेल्थ (पीएटीएच), विभिन्न देशों के नियामकों एवं एजेंसियों और विभिन्न सरकारों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।’
डॉ. मांडविया ने डीसीवीएमएन के हितधारकों को यह भी आश्वासन दिया कि भारत की अध्यक्षता में जी-20 भविष्य में भी सार्थक और परिणामोन्मुखी कदम उठाएगा।
इस अवसर पर डब्ल्यूएचओ की मुख्य वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के एमडी साइरस एस. पूनावाला एवं सीईओ अदार पूनावाला और भारत बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड के साई डी. प्रसाद उपस्थित थे। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस, सीईपीआई के डॉ रिचर्ड हैचेट, पैन अमेरिकन हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (पीएएचओ) के निदेशक एवं अमेरिका में डब्ल्यूएचओ के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. कैरिसा एफ. एटियेन और पीएटीएच के अध्यक्ष एवं सीईओ निकोलज गिल्बर्ट ने वर्चुअल माध्यम से इस सत्र में भाग लिया।
डीसीवीएमएन के लिए अधिक जानकारी के लिए वेबसाइट http://www.dcvmn.org/ पर जाएं।