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प्रधान मंत्री फसल बीमा के तहत किसानों को क्लेम की उचित राशि देने के लिए केंद्र सरकार कटिबद्ध: श्री चौधरी

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केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री कैलाश चौधरी ने देश के सभी किसानों को पुनः आश्वस्त किया की केंद्र सरकार किसानों के समग्र विकाश के लिए प्रतिबद्ध है और उनके हितों की पूरी रक्षा की जाएगी I

आज राजस्थान के बाड़मेर जिले में एक प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुए श्री चौधरी ने कहा कि “प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना” भारत सरकार एवं माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश के करोड़ों किसानों को सुरक्षा कवच देने का काम कर रही है।  राजस्थान  में योजना के बेहतर कार्यन्वयन के लिए हम सतत प्रयासरत है।  बाड़मेर  में खरीफ 2021 के लिए किसानों को कम मात्रा में क्लेम प्राप्त होने की चर्चा का उत्तर देते हुए श्री चौधरी ने कहा की इस सम्बन्ध में राज्य सरकार से विस्तृत रिपोर्ट मांगी गयी है और  केंद्र सरकार अपने स्तर पर भी इस मामले का परिक्षण कर रही है और जल्दी ही किसानों के क्लेम का उचित भुगतान कराया जायगा।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत अल्प मात्रा में क्लेम मिलने के सम्बन्ध में श्री चौधरी ने कहा की किसानों को  क्लेम का वितरण आवेदन-वार किया जाता है, अतः ऐसी स्थिति भी हो सकती है जहाँ छोटा  रकबा होने के कारण कम क्लेम आया हो| इस सम्बन्ध में कुछ डाटा का परीक्षण किया गया है जिसमे यह देखा गया है की एक ही किसान जिसके पास कई खेत हैं पर उसके छोटे खेत पर कम क्लेम और बड़े खेत पर क्लेम की राशि ज्यादा है| किन्तु बहुत अल्प मात्रा में क्लेम आने पर किसानों के बीच असंतोष उत्पन्न होने लगता है , इस विषय पर राज्य सरकारों और कम्पनियों से परामर्श आवश्यक है, जिसमे कुछ समय लगेगा अतः इस स्थितिं से निपटने के लिए आवश्यक कार्यवाही के तौर पर केंद्र सरकार ने तत्काल प्रभाव से सभी बीमा कंपनियों को दिनांक 6 जनवरी,2023 को पत्र जारी करते हुए निर्देशित किया है की किसी भी किसान के सभी आवेदनों के क्लेम पृथक न करके समेकित रूप से निकाले जाये जिससे किसान यह आसानी से और एक बार में समझ जाए की उन्हें कुल कितना क्लेम मिला है |

प्रेस को सम्भोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा की बीमा कम्पनी  ने राज्य सरकार के समक्ष पूर्ण जिले में निष्फल बुवाई के प्रावधान को लागू करने का प्रस्ताव रखा जिसके सन्दर्भ में राज्य सारकार ने सिर्फ 25 पटवार में इसको लागू किया | इसके अतिरिक्त सभी पटवार में बीमा कंपनी को फसल कटाई से प्राप्त उपज आंकड़ों के आधार पर क्लेम की गणना करनी थी,  कंपनी ने इस सम्बन्ध में राज्य सरकार की “राज्य स्तरीय तकनिकी सलाहकार समिति” से  निष्फल बुवाई के प्रावधान को लागू करने का अनुरोध किया था।   राज्य की समिति ने फिर केंद्र सरकार से अनुरोध किया था तो इस सम्बन्ध में केंद्र सरकार ने अपना दिल्ली स्थित संस्थान  महालनोबिस राष्ट्रीय फसल पूर्वानुमान केंद्र (MNCFC) से तकनिकी विश्लेषण करा लिया और MNCFC से प्राप्त विश्लेषण रिपोर्ट राज्य सरकार को उचित कार्यवाही के लिए भेज दी थी | उस रिपोर्ट में कहीं भी निष्फल बुवाई की पुष्टि नहीं की गयी थी।  MNCFC से प्राप्त विश्लेषण रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार की तकनिकी सलाहकार समिति ने पुनः बीमा कंपनी को आदेशित किया की कंपनी उपज आंकड़ों के आधार पर किसानों के क्लेम जल्दी ही जारी करे।

श्री चौधरी ने क्लेम प्रक्रिया का पूरा घटना क्रम बताते हुए कहा की बीमा कंपनी ने इस सम्बन्ध में फिर केंद्र सरकार की राष्ट्रीय स्तर की तकनिकी  सलाहकार समिति के समक्ष अपील का प्रस्ताव रख।, जिसे की केंद्र सरकार ने अमान्य होने के कारण तुरंत ख़ारिज कर दिया था और उस समय केंद्र सरकार द्वारा यह स्पष्ट कर दिया गया था की योजना के दिशा निर्देशों के अंतर्गत एक समय सीमा के बाद निष्फल बुवाई का प्रावधान लागू नहीं किया जा सकता और कंपनी को उपज आंकड़ों के आधार पर तत्काल क्लेम देने आदेश दिए गये थे।   कंपनी ने पुनः केंद्र के अपीलिय अधिकारी को प्रस्ताव भेजा किन्तु वो पुनः ख़ारिज कर दिया गया और कम्पनी को किसानों के उचित क्लेम देने के निर्देश दिए गए थे।

खरीफ 2021 के क्लेम के बारे स्पष्ट करते हुए श्री चौधरी ने जानकारी दी की बीमा कंपनी की अपील ख़ारिज करने पर कंपनी ने क्लेम के सम्बन्ध में कुछ आंकड़े दिए जिसके सम्बन्ध में राज्य सरकार से चर्चा की गयी चूँकि इन आंकड़ों से बीमा क्लेम की सही स्थिति स्पष्ट नहीं हो रही थी तो  इस दौरान जब क्लेम का वितरण प्रारम्भ हुआ तब यह पाया गया की कुछ किसानो को क्लेम बहुत ही कम राशि में जारी किये गये  हैं | इस सम्बन्ध में केंद्र सरकार ने त्वरित कार्यवाही करते हुए कंपनी से वितरित किये हुए क्लेम का ब्यौरा माँगा जिसमे यह पाया गया की कई किसानों का किसी बीमित खेत का क्षेत्रफल बहुत छोटा होने के कारण कुछ बीमा आवेदनों के सापेक्ष क्लेम कम बने हैं | इस सम्बन्ध में योजना के अंतर्गत जब कोई किसान पंजीकरण करता है तब उसके पृथक-पृथक खेतों  के सापेक्ष पृथक आवेदन का सृजन होता है और हर आवेदन के सापेक्ष प्रीमियम और पालिसी की बीमित राशि फसल और बीमित क्षेत्र पर आधारित होती है।

केंद्रीय मंत्री ने कम मात्रा में क्लेम मिलने की   स्थिति में महाराष्ट्र का उदहारण देते हुए कहा की महाराष्ट्र सरकार ने न्यूनतम क्लेम राशि के सम्बन्ध में निति बनायीं है जहा यदि क्लेम राशि 1000 रुपये से कम है तो शेष राशि राज्य सरकार द्वारा वहन की जाती है और किसान को कम से कम 1000 रुपए का भुगतान किया जाता है।  अन्य राज्यों जिसमे राजस्थान भी शामिल है में यह प्रावधान नहीं है अतः इस सम्बन्ध में सभी राज्यों से परिचर्चा कर किसानों के हित में केंद्र सरकार द्वारा  जल्द ही नितिगत निर्णय लिया जायगा।

श्री कैलाश चौधरी ने राजस्थान के सभी किसानों को पुनः आश्वस्त किया की केंद्र सरकार अपने स्तर पर इस मामले का परिक्षण कर रही है और किसानों को क्लेम की उचित राशि का भुगतान अवश्य कराया जायगा।

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