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प्रदेश सरकार के लिए किसान का हित सर्वोपरि, इसके लिए अनेक कदम उठाए: मुख्यमंत्री

उत्तर प्रदेश

लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि प्रदेश सरकार के लिए किसान का हित सर्वोपरि है। इसके लिए राज्य सरकार ने अनेक कदम उठाए हैं। प्रदेश सरकार लगातार इस बात के लिए प्रतिबद्ध है कि किसी भी स्थिति में अन्नदाता किसान की उपेक्षा न हो। प्रदेश सरकार बिना भेदभाव के प्रत्येक नागरिक को सुरक्षा का वातावरण प्रदान कर रही है। उत्तर प्रदेश के बारे में देश और दुनिया की धारणाएं बदली हंै। आज प्रदेश के किसी भी नागरिक के सामने पहचान का संकट नहीं है।
मुख्यमंत्री जी आज यहां विधान सभा में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि इस सत्र में अब तक कुल 33 सदस्यों ने सदन में चर्चा में भाग लिया है और बाढ़ और सूखा पर अपने महत्वपूर्ण विचार रखे हैं। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री तथा किसान नेता चैधरी चरण सिंह ने कहा था देश की प्रगति का मार्ग गांव, गलियों, खेत तथा खलिहानों से होकर जाता है। चैधरी चरण सिंह की बात को पूर्ववर्ती सरकार ने वास्तव मंे थोड़ा भी ध्यान में रखा होता, तो उत्तर प्रदेश के इतिहास मंे सर्वाधिक किसानों ने उनके कालखण्ड में आत्महत्या नहीं की होती।
मुख्यमंत्री जी ने श्री रामकुमार वर्मा की देश के अन्नदाता किसानों के लिए समर्पित पंक्तियांे ‘हे ग्राम देवता, नमस्कार, सोने चांदी से नहीं, किंतु तुमने मिट्टी से किया प्यार, हे ग्राम देवता नमस्कार’ का उल्लेख करते हुए कहा कि इसी से प्रेरित होकर डबल इंजन की सरकार कार्य कर रही है। डबल इंजन की सरकार ने प्रयागराज में एक भूमाफिया के कब्जे से जमीन को मुक्त करा कर 76 गरीबों को आवास उपलब्ध कराए हैं। उन्होंने कहा कि जो लोग जन्म से चांदी के चम्मच से खाने के आदी हैं, वो गरीब, किसान, दलित की समस्या और उसकी पीड़ा को क्या समझंेगे। ऐसे लोगों में अति पिछड़ांे और पिछड़ों के साथ क्या व्यवहार किया था, यह पूरा देश जानता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश में वर्षा का औसत 401 से 430 मिमी0 वार्षिक है। इस वर्ष जून माह से अब तक 353 मिमी0 बारिश हो चुकी है। लेकिन यह बारिश एक साथ, एक जगह पर मूसलाधार तथा कुछ ही समय में ही हो गई। जनपद  गोरखपुर में कल एक दिन में ही 133 मिमी0 बारिश हुई है। अक्सर उत्तर प्रदेश में 15 से 20 जून के बीच मानसून प्रवेश करता था। हमारे अन्नदाता किसान उसी के अनुरूप अपनी तैयारी भी करते थे।
इस वर्ष मानसून की स्थिति बहुत अनुकूल और अच्छी नहीं रही है। आधा उत्तर प्रदेश ऐसा है, जहां पर सामान्य से काफी कम बारिश हुई है। पश्चिम के कुछ जनपदों में ज्यादा बारिश हुई है, लेकिन उसकी भी स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। शासन स्तर पर इस स्थिति पर बैठक कर रणनीति बनाई गई है। प्रारम्भ में उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा में वर्षा के कारण हिमालयी नदियों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हुई थी। इसके कारण प्रदेश के विभिन्न जनपदों में फसलों को हुई क्षति के आकलन के आदेश दिए गए हैं। शासन स्तर पर इसके लिए कार्रवाई आगे बढ़ रही है। इसके बावजूद उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में देश के अन्य भागों की तुलना में स्थिति बेहतर है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि देश की आबादी का 16 प्रतिशत उत्तर प्रदेश में निवास करती है। देश की कुल कृषि योग्य भूमि का 11 प्रतिशत उत्तर प्रदेश में है। इसी 11 प्रतिशत भूमि से उत्तर प्रदेश का अन्नदाता किसान देश के कुल खाद्यान्न उत्पादन का 20 प्रतिशत उत्पादित करता है। उत्तर प्रदेश के किसानों ने अपने परिश्रम तथा पुरुषार्थ से प्रदेश को आगे बढ़ाने में योगदान दिया है। उत्तर प्रदेश में 86 से 90 फीसदी कृषि योग्य भूमि सिंचित है। नहरों, सरकारी नलकूपों तथा निजी नलकूपों से भी उन्हें आच्छादित किया गया है। सिंचाई की अतिरिक्त सुविधा होने तथा अतिरिक्त विकल्प होने का परिणाम है कि इस वर्ष लगभग 88 फीसदी फसलों की बुवाई हुई है। अब तक धान की 100 फीसदी नर्सरी लग चुकी है। कम बारिश के कारण होने वाले नुकसान के लिए सरकार के स्तर पर कार्रवाई आगे बढ़ रही है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सरकार किसानों को अधिक से अधिक सुविधा देनें के लिए लगातार प्रयास कर रही हैैैै। वर्ष 2017 से ही प्रदेश सरकार सूखे या बाढ़ की स्थिति में किसानों को मुआवजा देने का कार्य कर रही है। वर्ष 2017 में सूखा या बाढ़ के कारण जिन किसानों का नुकसान हुआ था ऐसे 61,320 किसानों को लगभग 60 करोड़ रुपये का मुआवजा उपलब्ध कराया गया था। वर्ष 2018-19 में भी प्रदेश के 3,84,113 किसानों को 212 करोड़ रुपए से अधिक, वर्ष 2019-20 में 64 करोड़ 32 लाख रुपये, वर्ष 2020-21 में 3,62,600 से अधिक किसानों को 120 करोड़ रुपये का मुआवजा सरकार ने उपलब्ध कराया था। वर्ष 2021-22 में प्रदेश सरकार ने 13,94,900 से अधिक किसानों को 475 करोड़ रुपये नुकसान की प्रतिपूर्ति के रूप में दिये थे। वर्ष 2022-23 में भी सरकार ने प्रदेश के 12,14,000 से अधिक किसानों को 427 करोड़ रुपये मुआवजे के रूप में वितरित किए। प्रदेश सरकार ने इस वर्ष अब तक 8,400 से अधिक किसानों को बाढ़ के कारण क्षति होने पर मुआवजा दिया है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि इस वर्ष पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बाढ़ आई, लेकिन प्रदेश के 40 से अधिक जनपद सूखे की चपेट में थे। अनेक जगहों पर सिंचाई विभाग ने अपने स्तर पर प्रयास किया। पावर काॅरपोरेशन ने अतिरिक्त विद्युत सप्लाई की। शासन स्तर पर बैठके की गईं। नोडल अधिकारी और प्रभारी मंत्रियों ने जनपदों के दौरे किए। सरकार ने बाढ़ पीड़ितों को राहत देने के कार्य किये। वर्ष 2017 से पहले तक बाढ़ पीड़ितों को कोई मुआवजा नहीं दिया जाता था। वर्ष 2017 में उन्होंने पीड़ितों के लिए एक राहत किट तैयार करने के निर्देश दिए। हर पीड़ित को 10 किलो चावल, 10 किलो आटा, 10 किलो आलू, दाल, तेल, नमक, मिर्च-मसाले, दियासलाई, बरसाती, मोमबत्ती तथा केरोसिन उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई। महिलाओं के लिए डिग्निटी किट उपलब्ध करायी गई।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि इस वर्ष अभी तक पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बाढ़ पीड़ितों के लिए 26,964 ड्राई राशन किट तथा 2,550 डिग्निटी किट उपलब्ध कराई गई है। 909 बाढ़ शरणालय बनाए गए हैं। पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था की गई है। प्रभावित क्षेत्रों में मेडिकल कैंप लगाने के साथ-साथ पशुओं के टीकाकरण की व्यवस्था भी की गई है। बाढ़ से बचाव के लिए अतिरिक्त नौकाओं की व्यवस्था की गई। प्रशासन की कार्यवाही और जनप्रतिनिधियों की सक्रियता से जनता में आपदा के बावजूद भी एक संतुष्टि का भाव है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि इन्सेफेलाइटिस से पूर्वी उत्तर प्रदेश में 40 वर्षों में 50,000 बच्चों की असमय मृत्यु हुई थी। इनमें से 90 फीसदी बच्चे दलित, अल्पसंख्यक और अति पिछड़ी जाति के थे। पिछली सरकारों ने इस समस्या का समाधान नहीं निकाला। हमारी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में ही इन्सेफेलाइटिस का समूल नाश कर दिया। आज कुशीनगर, महाराजगंज, देवरिया, गोरखपुर, सिद्धार्थनगर, संतकबीरनगर, बस्ती, बहराइच, बलरामपुर, श्रावस्ती, गोंडा, लखीमपुरखीरी, पीलीभीत तथा सहारनपुर जनपदों में इंसेफेलाइटिस समाप्त हो चुका है। केवल इसकी घोषणा होनी बाकी है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आज सरकारी अस्पतालों में मरीजों को दवाई मिल रही है और डॉक्टर भी उपलब्ध है। सरकारी अस्पतालों में गरीब इलाज के लिए आ रहे हैं और उन्हें आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत 05 लाख का स्वास्थ्य बीमा कवर मिल रहा है। प्रदेश के 10 करोड़ गरीबों को आयुष्मान भारत योजना की सुविधा प्राप्त हो रही। सरकारी अस्पतालों में उमड़ती हुई भीड़़ यह प्रमाणित करती है कि पहले से व्यवस्था बेहतर हुई है। इसीलिए लोग विश्वास के साथ वहां आ रहे हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि हमारी सरकार ने अन्नदाता किसानों के हित में महत्वपूर्ण कदम उठाएं हैं। इनमें मानव तथा वन्य जीव संघर्ष को आपदा की श्रेणी में घोषित करना शामिल हंै। यह हमारी सरकार के पहले कार्यकाल में घोषित किया गया था। किसी भी व्यक्ति की सर्पदंश, सांड़ या वन्यजीव से मृत्यु को आपदा की श्रेणी में लाने वाला उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य है। जनपद बिजनौर से 20 तेंदुए रेस्क्यू किए गए हैं। वहां छह टीमें में लगातार कैंप कर रही हैं। हमारी सरकार किसानों की सुरक्षा के लिए कार्य कर रही है। साथ ही, वन्य जीवों को रेस्क्यू कर उनको सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का कार्य भी कर रही है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री आवास योजना के माध्यम से वर्ष 2017 से अब तक 55 लाख 20 हजार लोग लाभान्वित हुए है। इनमें से 44 लाख 93 हजार आवास अब तक बनकर तैयार हो चुके हैं उनमें गृह प्रवेश हो चुका है। इन आवासों के लाभार्थियों की सूची पूर्ववर्ती सरकारों में बनी थी, हमारी सरकार ने उसे यथावत स्वीकार किया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्ष 2012 से वर्ष 2017 के बीच में सिंचाई की आठ परियोजनाएं पूर्ण हुई थी। जबकि वर्ष 2017 से 2022 के बीच में 20 परियोजनाओं को पूरा किया गया है। वर्ष 2012 से 2017 के बीच में सिंचन क्षमता 1,95,900 हेक्टेयर बढ़ी, जबकि वर्ष 2017 से 2022 के बीच में 23 लाख 17 हजार हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि को सिंचाई की सुविधा प्राप्त हुई है। इससे 44 लाख किसान प्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित हुए हैं।
प्रदेश में 14,65,600 से अधिक निजी नलकूप है।  गत वर्ष पहली बार इन सभी किसानों को सरकार ने विद्युत बिल में 50 प्रतिशत की छूट दी। सरकार का प्रयास है कि सभी निजी नलकूप लगाने वाले अन्नदाता किसानों को निःशुल्क विद्युत उपलब्ध करा सकें। इसके लिए 1,500 करोड़ रुपये का प्राविधान किया गया है। फीडर के अलग किए जाने की कार्रवाई चल रही। यह समयबद्ध तरीके से आगे बढ़ेगा। साथ ही, प्रदेश के नलकूपों को सोलर पंप के माध्यम से सोलराईज करने की कार्रवाई की जा रही है। अब तक 45,342 किसानों को इससे आच्छादित किया है। वर्ष 2023-24 में 30,000 किसानों को इसके साथ जोड़ने की कार्रवाई वर्तमान में प्रचलित है।
प्रदेश में नहरों की टेल तक पानी पहुंचाने की कार्यवाही भी अच्छे तरीके से आगे बढ़ी हैं। इस दौरान 1,546 चेक डैम का निर्माण किया गया। लघु सिंचाई विभाग के माध्यम से 1,234 तालाब बनाए गए। ग्राम्य विकास, पंचायतीराज तथा नगर विकास विभाग द्वारा भी 30642 तालाब और अमृत सरोवर बनाए गए हैं। भू-गर्भ जल विभाग के माध्यम से 57 तालाब बनाए गए। अन्य विभागों द्वारा भी 13,666 अमृत सरोवर के निर्माण की कार्रवाई को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाया गया है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश में जल संरक्षण की दृष्टि से रेन वाॅटर हार्वेस्टिंग के 34,974 कार्य अब तक पूर्ण हो चुके हैं। रीयूज और रिचार्ज स्ट्रक्चर के भी अब तक 30,739 कार्य पूरे किए गए हैं। सभी जनपदों में समाप्त सी हो गई नदियों को पुनर्जीवित करने की कार्रवाई की जा रही है। अब तक 09 नदियों को पुनर्जीवित किया गया है। लगभग 66 नदियों को पुनर्जीवित करने की कार्रवाई वर्तमान में चल रही है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पहले जिला मुख्यालयों, उनमें भी वी0आई0पी0 जनपदों में ही बिजली आती थी। शेष जिले उससे वंचित रहते थे। आज उत्तर प्रदेश के सभी जनपदों में एक समान विद्युत आपूर्ति की जा रही है। अप्रैल 2017 से लगातार जनपद मुख्यालयों पर 23 से 24 घण्टे, तहसील मुख्यालयों पर 20 से 22 घण्टे और ग्रामीण क्षेत्र में 16 से 18-19 घण्टे विद्युत आपूर्ति की जा रही है। इस दौरान 1,21,000 से अधिक मजरों का विद्युतीकरण किया गया है। प्रदेश में 33/11 के0वी0ए0 के 1,528 सब स्टेशनों की स्थापना भी की गई। इस दौरान एक करोड़ 58 लाख घरों को निःशुल्क विद्युत के कनेक्शन उपलब्ध कराए गए हैं। 3,99,800 से अधिक किसानों को निजी नलकूप के कनेक्शन भी दिए गए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में वर्ष 2015-16 में ऊर्जा की सर्वाधिक मांग 12,300 मेगावाॅट की होती थी। वहीं वर्ष 2023 में ऊर्जा की सर्वाधिक मांग 28,284 मेगावाॅट की है। प्रदेश सरकार ने पावर सप्लाई लाॅस को काफी कम किया है। वर्ष 2017 से पूर्व पावर सप्लाई में लाॅस लगभग 22 प्रतिशत था, जो घटकर वर्ष 2023 में लगभग 17 प्रतिशत हो गया है। यह चीजें दिखाती हैं कि सरकार के स्तर पर अनेक सुधारात्मक कदम उठाए जा रहे हैं। वर्ष 2017 से पूर्व प्रदेश में 01 करोड़ 08 लाख विद्युत मीटर संयोजित थे, आज जिनकी संख्या बढ़कर 03 करोड़ 27 लाख से अधिक हो गयी है। वर्ष 2012 से 2017 के मध्य राज्य की विद्युत उत्पादन क्षमता 4,839 मेगावाॅट की थी। इस समय प्रदेश ने 5,820 मेगावाॅट विद्युत उत्पादन क्षमता अर्जित कर ली है। प्रदेश सरकार एन0टी0पी0सी0 के साथ मिलकर 1600 मेगावाॅट की ओबरा तापीय परियोजना को आगे बढ़ाने जा रही है। यह इकाइयां राज्य की भविष्य की ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करेंगी।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने देश की बागडोर सम्भालते ही देश में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लागू की, जिसके परिणाम हम सभी के सामने हैं। रबी, खरीफ सहित सभी फसलों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ प्राप्त हो रहा है। डबल इंजन सरकार किसानों की आमदनी को बढ़ाने के लिए तेजी से कदम बढ़ा रही है। राज्य सरकार ने वर्ष 2017 में शासन व्यवस्था सम्भालते ही सबसे पहले लाखों अन्नदाता किसानों के फसली ऋण को माफ करने का कार्य किया था।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि हमारे यहां किसान की जाति, मत, मजहब नहीं है। किसान की एक ही जाति है, कि वह किसान है। इसीलिए प्रधानमंत्री जी ने अन्नदाता किसानों के स्वावलम्बन व सम्मान के लिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की शुरुआत की। प्रदेश के 02 करोड़ 61 लाख किसान प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि का लाभ प्राप्त कर रहे हैं। अब तक इन 2.61 करोड़ किसानों के बैंक खाते में 59105 करोड़ रुपये डी0बी0टी0 के माध्यम से अंतरित किए जा चुके हैं। किसानों के लिए स्वायल हेल्थ कार्ड जारी किए गए हैं। हमारे अन्नदाता किसानों को पहली बार लागत का डेढ़ गुना दाम एम0एस0पी0 के माध्यम से प्राप्त हो रहा है।
वर्तमान में प्रदेश में धान, गेहूं, मक्का, बाजरा के लिए प्रोक्योरमेण्ट सेण्टर स्थापित कर खाद्यान्न खरीद प्रक्रिया को बेहतर ढंग से संचालित किया जा रहा है। वर्ष 2023-24 में धान (सामान्य) का एम0एस0पी0 2183 रुपये व धान (गे्रड-ए) 2203 रुपये है, जो सीधे किसानों को प्राप्त हो रहा है। वहीं वर्ष 2014-15 में धान (सामान्य) का एम0एस0पी0 मात्र 1360 रुपये व 1400 रुपये था। वर्ष 2014-15 में ज्वार का एम0एस0पी0 1530 रुपये था, जो वर्ष 2023-24 में बढ़कर 3180 रुपये हो गया है। बाजरा का एम0एस0पी0 वर्ष 2014-15 में 1250 रुपये था, जो वर्तमान में बढ़कर दोगुना हो गया है।
मक्के का प्रोक्योरमेण्ट पिछली सरकार के समय नहीं किया जाता था। डबल इंजन की सरकार ने मक्के के प्रोक्योरमेण्ट को प्रारम्भ किया है। इस समय मक्का का एम0एस0पी0 2090 रुपये है। इसी प्रकार वर्ष 2014-15 में उड़द का एम0एस0पी0 4350 रुपये था, जो वर्ष 2023-24 में 6950 रुपये हो गया है। वर्ष 2014-15 में किसानों को अरहर का एम0एस0पी0 मात्र 4350 रुपये था, जबकि वर्ष 2023-24 में अन्नदाता किसानों को 7000 रुपये का एम0एस0पी0 प्राप्त हो रहा है। इसी प्रकार तिल का एम0एस0पी0 वर्ष 2014-15 में 4600 रुपये था, जो वर्ष 2023-24 में बढ़कर 8635 रुपये हो गया है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि इसी प्रकार, रबी की फसलों में गेहूं का एम0एस0पी0 पिछली सरकार के समय 1450 रुपये था, जबकि वर्ष 2023-24 में यह 2125 रुपये है। वर्ष 2014-15 में मसूर का एम0एस0पी0 3075 था, जो वर्ष 2023-24 में बढ़कर लगभग दोगुना अर्थात 6000 रुपये हो गया है। सरसों का एम0एस0पी0 वर्ष 2014-15 में 3100 रुपये था, जो वर्ष 2023-24 में 5450 रुपये हो गया है। राज्य सरकार ने मण्डी शुल्क को 02 प्रतिशत से घटाकर 01 प्रतिशत किया है। इसके अलावा, प्रदेश सरकार ने यह भी व्यवस्था बनायी है कि यदि फसल का दाम मार्केट में ज्यादा है तो किसान अपनी उपज को मार्केट में बेचने के लिए पूरी तरह स्वतंत्र है। उसके साथ किसी प्रकार की कोई सख्ती नहीं है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्ष 2017 से पूर्व प्रदेश में कहीं भी प्रोक्योरमेण्ट सेण्टर नहीं थे। श्री राजनाथ सिंह जब प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, उस समय अंतिम प्रोक्योरमेण्ट सेण्टर स्थापित किए गए थे। श्री राजनाथ सिंह ने उस समय किसानों से सीधे खाद्यान्न खरीदने की व्यवस्था प्रारम्भ की थी। उसके बाद यह व्यवस्था पूरी तरह से समाप्त कर दी गयी।
वर्ष 2017 में 36 लाख 99 हजार मीट्रिक टन गेहूं की खरीद 08 लाख 646 किसानों से की गयी, जिसके लिए 6011 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। वर्ष 2018-19 में 52 लाख 92 हजार मीट्रिक टन गेहूं की खरीद 11 लाख से अधिक किसानों से की गयी। इसके लिए डी0बी0टी0 के माध्यम से 9231 करोड़ रुपये किसानों के बैंक खाते में अंतरित किए गए। वर्ष 2019-20 में 37 लाख मीट्रिक टन से अधिक गेहूं की खरीद 07 लाख से अधिक किसानों से की गयी, जिसके लिए 6889 करोड़ रुपये का भुगतान किसानों को डी0बी0टी0 के माध्यम से किया गया। वर्ष 2021-22 में 56 लाख 41 हजार मीट्रिक टन से अधिक गेहूं की खरीद की गयी। इसके लिए 13 लाख से अधिक किसानों के बैंक खाते में डी0बी0टी0 के माध्यम से 11141 करोड़ रुपये अंतरित किए गए।
इस प्रकार विगत 6-7 वर्षों में 224 लाख मीट्रिक टन से अधिक गेहूं की खरीद अन्नदाता किसानों से की गयी और 41299 करोड़ रुपये डी0बी0टी0 के माध्यम से सीधे 47 लाख 89 हजार अन्नदाता किसानों के बैंक खाते में अंतरित किए गए। वहीं वर्ष 2012-17 के दौरान 19 लाख 02 हजार किसानों से 94 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद हुई थी, जिसके लिए मात्र 12800 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था। इस भुगतान में बिचैलियों/आढ़तियों की प्रमुख भूमिका थी। पैसा किसान को सीधे नहीं दिया जाता था।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि इसी प्रकार वर्ष 2012-17 के मध्य 14 लाख 87 हजार किसानों से 123 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद की गयी। इसके लिए 17190 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। वहीं वर्ष 2017-23 के दौरान 53 लाख 68 हजार 600 से अधिक किसानों से 345 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद की गयी और इसके लिए 63936 करोड़ रुपये का भुगतान डबल इंजन सरकार द्वारा अन्नदाता किसानों को किया गया। प्रदेश सरकार द्वारा नगदी फसलों के प्रोक्योरमेण्ट की कार्यवाही भी की गयी है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राज्य सरकार ने खतौली चीनी मिल का पुनरुद्धार करके स्व0 चैधरी चरण सिंह के सपने को साकार करने का कार्य किया है। वर्ष 2012-17 के मध्य 95200 करोड़ रुपये का भुगतान गन्ना किसानों को किया गया था। अब तक डबल इंजन की सरकार ने गन्ना किसानों को 02 लाख 16 हजार करोड़ रुपये का भुगतान किया है। प्रदेश सरकार ने वर्ष 2022-23 का भी गन्ना मूल्य का भुगतान 38051 करोड़ रुपये किया है, जो लगभग 86-87 प्रतिशत है। उन्होंने प्रदेश के 65 लाख गन्ना किसानों को आश्वस्त करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार उनके गन्ना मूल्य का ससमय भुगतान करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। आज कोई भी किसानों के साथ अन्याय नहीं कर पाएगा।
प्रदेश सरकार ने कोरोना कालखण्ड में भी चीनी मिलें संचािलत कीं। वर्ष 2012-17 के मध्य पेराई क्षमता केवल 14725 टी0सी0डी0 थी, जो वर्ष 2017-22 के दौरान बढ़कर 78900 टी0सी0डी0 हो गयी है। वर्ष 2012-17 के बीच 3734 लाख मीट्रिक टन गन्ना की पेराई हुई। वहीं वर्ष 2017-23 के मध्य गन्ना की पेराई 6404 लाख मीट्रिक टन हुई है। प्रदेश में वर्ष 2012-17 के दौरान चीनी का उत्पादन 368 लाख मीट्रिक टन होता था, जो वर्ष 2017-23 के दौरान बढ़कर 682 लाख 44 हजार मीट्रिक टन हो गया है। वर्ष 2012-17 के मध्य किसान की औसत उपज 61.63 टन प्रति हेक्टेयर थी। किसानों को नई तकनीक से जोड़ने का परिणाम है कि आज औसत उपज 83.95 टन प्रति हेक्टेयर हो गयी है।
उत्तर प्रदेश देश में चीनी उत्पादन व एथेनाॅल उत्पादन में प्रथम स्थान पर है। वर्ष 2012-17 के दौरान प्रदेश में कुल 42 करोड़ लीटर एथेनाॅल का उत्पादन होता था। वहीं आज राज्य सरकार के सफल प्रयासों से अकेले एक वर्ष में 153.71 करोड़ लीटर एथेनाॅल का उत्पादन प्रदेश में हो रहा है। प्रदेश सरकार ने छाता की पुरानी चीनी मिल के स्थान पर एक इन्टीग्रेटेड शुगर काॅम्प्लेक्स की स्थापना की अनुमति दी है। देवरिया में बेतालपुर के लिए राज्य सरकार ने मा0 सर्वाेच्च न्यायालय से अनुमति मांगी है। अनुमति मिलते ही वहां एक इन्टीग्रेटेड शुगर काॅम्प्लेक्स के निर्माण की कार्यवाही प्रारम्भ हो जाएगी। इसके अलावा प्रदेश सरकार अन्य जगहांे पर भी इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाएगी।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना बीमा योजना के माध्यम से किसानों की दुखद मृत्यु पर उसके परिजनों को सहायता राशि प्रदान की जा रही है। वर्ष 2023-24 के लिए 750 करोड़ रुपये के बजट की व्यवस्था सहायता राशि प्रदान करने के लिए की गयी है। इसमें 9710 किसानों के परिजनों को अब तक 435 करोड़ रुपये से अधिक की सहायता राशि प्रदान की जा चुकी है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि इसके अलावा, आपदा की श्रेणी में आने वाली घटनाओं से यदि किसान के परिवार का कोई सदस्य प्रभावित होता है, तो उसे भी प्रदेश सरकार कृषक दुर्घटना बीमा योजना के अन्तर्गत आच्छादित करते हुए सहायता प्रदान कर रही है। साथ ही, किसान के सहयोगी किसान को भी इसके साथ जोड़ने की कार्यवाही को राज्य सरकार ने किया है। वर्ष 2012-17 के मध्य मुख्यमंत्री राहत कोष से कुल 252 करोड़ रुपये प्रदेश के गरीबों को वितरित किए गए थे, वहीं वर्ष 2017-23 के मध्य 01 लाख 37 हजार 990 लोगों को मुख्यमंत्री राहत कोष से 2325 करोड़ रुपये की सहायता राशि प्रदान की जा चुकी है।
उत्तर प्रदेश की इस मा0 सदन ने सस्टेनेबल डेवलप गोल्स पर 36 घण्टे से अधिक चर्चा कर विधायिका के सामने एक नजीर प्रस्तुत करने का कार्य किया था। इस कार्य को देश व दुनिया ने सराहा। हमें मिलकर इन कार्याें को आगे बढ़ाना होगा। वृक्षारोपण के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए राज्य सरकार विशेष अभियान संचालित कर रही है। इन वृक्षारोपण महाअभियानों की सर्वत्र सराहना हो रही है। दुनिया इस कार्य को बहुत सकारात्मक रूप में ले रही है। विश्व का सबसे बड़ा राज्य कार्बन एमिशन में कितना योगदान दे रहा है, अन्य देशों को यह जानने की रुचि है। अमृत सरोवर, चकडैम इत्यादि बनाए जा रहे हैं। स्कूली बच्चें, सभी ग्राम पंचायतें, सभी नगरीय निकाय व ग्राम पंचायत सदस्य से लेकर संसद सदस्य तक वृक्षारोपण महाअभियान का हिस्सा बने हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश सरकार ने वर्ष 2017 से 2023 के बीच 162 करोड़ से अधिक वृक्ष लगाए हैं। जिससे 12 लाख 80 हजार हेक्टेयर भूमि आच्छादित हुई है। देहरादून के वन अनुसंधान संस्थान की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2015 से 2021 के बीच प्रदेश में कुल वनावरण और वृक्षारोपण में लगभग 80 हजार हेक्टेयर की वृद्धि दर्ज की गई। प्रदेश में इस दिशा में वर्ष 2017 से लगातार कार्य किया जा रहा है। वर्ष 2017-18 से वर्ष 2022-23 तक 131 करोड़ 98 लाख पौधों का रोपण किया है। जिससे 54 लाख मीट्रिक टन कार्बन अवशोषण में मदद मिली है। प्रदेश सरकार द्वारा लक्ष्य रखा गया है कि जब उत्तर प्रदेश वन ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनेगा उस समय तक प्रदेश में वन आच्छादन को 09 प्रतिशत से बढ़कर 15 प्रतिशत तक किया जाएगा। इससे 72 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड का अवशोषण होगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश में 22 जुलाई, 2023 को 01 दिन में 30 करोड़ वृक्ष लगाए गए। जनपद बिजनौर के विदुर कुटी व जनपद मुजफ्फरनगर के शुकतीर्थ में इस महाअभियान से जुड़ने का उन्हें अवसर प्राप्त हुआ। आगामी 15 अगस्त 2023 को 05 करोड़ वृक्षारोपण का वृहद अभियान वन विभाग को नोडल विभाग बनाकर पूरा किया जाएगा। इस अभियान के प्रत्येक स्तर पर भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों, वीर शहीदों और अमर जवानों की स्मृति में अमृत वाटिका का रोपण भी किया जाएगा। ग्राम पंचायतों, नगर निकायों तथा प्रमुख स्थानों पर इस प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जून 2014 में पेट्रोल पर वैट की दर 26.55 प्रतिशत से बढ़ाकर 26.80 प्रतिशत तथा डीजल पर वैट की दर 17.23 प्रतिशत से बढ़ाकर 17.48 प्रतिशत कर दी गयी थी। वर्ष 2017 से 2023 के बीच पेट्रोल पर वैट की दर 19.36 प्रतिशत तथा डीजल पर 17.08 प्रतिशत है। 04 नवम्बर, 2021 को पेट्रोल पर 05 रुपये प्रति लीटर तथा डीजल पर 10 रुपये प्रति लीटर की एक्साइज ड्यूटी केंद्र सरकार द्वारा कम की गई। प्रदेश के उपभोक्ताओं को इस कमी से 12 रुपये प्रति लीटर का लाभ प्राप्त हो रहा है। प्रदेश सरकार द्वारा भी डीजल पर 02 रुपये प्रति लीटर और पेट्रोल पर 07 रुपये प्रति लीटर की कमी की गई। पश्चिम बंगाल में पेट्रोल का दाम 106 रुपए प्रति लीटर, बिहार में पेट्रोल का दाम 107 रुपये 22 पैसे प्रति लीटर, राजस्थान में पेट्रोल का दाम 108 रुपए 46 पैसे प्रति लीटर और उत्तर प्रदेश में पेट्रोल का दाम 96 रुपये 55 पैसे प्रति लीटर है।
उत्तर प्रदेश में पेट्रोल पर वैट की दर 15.01 प्रतिशत, राजस्थान में 26.84 प्रतिशत बिहार में 24.32 प्रतिशत, पश्चिम बंगाल में 23.68 प्रतिशत और आंध्रप्रदेश में 29.25 प्रतिशत है। पश्चिम बंगाल में डीजल का दाम 92.74 रुपये प्रति लीटर, बिहार में डीजल का दाम 94.02 रुपये प्रति लीटर, राजस्थान में डीजल का दाम 93.70 रुपये प्रति लीटर और उत्तर प्रदेश में डीजल का दाम 89.74 रुपये प्रति लीटर है। उत्तर प्रदेश में डीजल पर वैट की दर 12.76 प्रतिशत, राजस्थान में 16.63 प्रतिशत, बिहार में 16.10 प्रतिशत और पश्चिम बंगाल में 15.33 प्रतिशत है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कोरोना कालखण्ड में डबल इंजन की सरकार ने बिना भेदभाव के देश के 140 करोड़ लोगों के हितों के लिए कार्य किया। भारत दुनिया का पहला देश है जिसने 220 करोड़ कोरोना वैक्सीन की डोजें अपने नागरिकों को निःशुल्क दीं। साथ ही, दुनिया के 100 से अधिक देशों को भी कोरोना वैक्सीन निःशुल्क उपलब्ध करायी हैं। यह वैक्सीन भारत के लिए अन्य देशों से मित्रता का रास्ता खोलने का माध्यम बनी हैं।
जब दुनिया संकट में थी, तब भारत के विज़नरी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी एक तरफ देश के लिए योजनाएं चालू कर रहे थे। तो वहीं दूसरी तरफ हर नागरिक की जान बचाने के लिए अपनी कार्य योजना को आगे बढ़ा रहे थे। भारत की दोनों वैक्सीन दुनिया में सबसे प्रभावी मानी गयीं। परिणामस्वरूप कोरोना की चैथी लहर भारत के बाॅर्डर से ही वापस चली गयी। निःशुल्क राशन, जनधन खाते में धनराशि का हस्तांतरण, उज्ज्वला योजना के अंतर्गत निःशुल्क रसोई गैस सिलेंडर, स्ट्रीट वेंडर के लिए पी0एम0 स्वनिधि योजना और श्रमिक वर्ग को भरण पोषण भत्ता देने की व्यवस्था सुचारु रूप से की गई। कोरोना काल में आए श्रमिकों को उनके ही जनपद में कार्य दिया गया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए मलिहाबाद में आम की मंडी के लिए पैक हाउस का निर्माण किया गया है। इससे आम के निर्यात में सहायता मिलेगी। प्रदेश का निर्यात 86000 करोड़ रुपए से बढ़कर वर्तमान में लगभग 02 लाख  करोड़ रुपये पहुंच चुका है। विगत 05 वर्षों में प्रदेश की अर्थव्यवस्था को दोगुना करने में सफलता प्राप्त हुई है। प्रति व्यक्ति आय को भी दोगुना करने में सफलता प्राप्त हुई है। यह प्रदेश के किसानों, कामगारों, श्रमिकों, युवाओं, माता-बहनों का संयुक्त प्रयास है। वाराणसी से बलिया तक वॉटर-वे का निर्माण किया गया है। जनपद गाजीपुर में फ्लोटिंग जेट्टी स्थापित की जा रही है। प्रदेश की इन्हीं संभावनाओं को आगे बढ़ाने के लिए इनलैण्ड वाॅटर-वे अथॉरिटी के गठन की कार्यवाही को आगे बढ़ाया गया है।
पूर्वी और पश्चिमी डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर उत्तर प्रदेश से होकर गुजरते हैं। डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर उत्तर प्रदेश के लिए एक नई संभावना है। इन दोनों कॉरीडोरों का जंक्शन प्रदेश में ही है। इसलिए प्रदेश में मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक हब का निर्माण दादरी और बोराकी में मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट हब के निर्माण की कार्रवाई की जा रही है। प्रदेश में मल्टीमॉडल फ्रेट विलेज का निर्माण जनपद वाराणसी में किया जा रहा है। वर्ष 2017 से पूर्व प्रदेश में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस प्रदेश 14वें स्थान पर था। वर्तमान में उत्तर प्रदेश ईजऑफ डूइंग बिजनेस में दूसरे स्थान पर है। पूरी दुनिया उत्तर प्रदेश में निवेश करने के लिए उत्सुक है। प्रदेश निर्यात के एक नए हब के रुप में स्थापित हो रहा है। प्रदेश सरकार ने ईज ऑफ लिविंग के लक्ष्य की ओर तेजी के साथ आगे बढ़ने का कार्य किया है।
एन0सी0आर0बी0 के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में डकैती में लगभग 80 प्रतिशत, लूट में लगभग 69 प्रतिशत, हत्या में लगभग 40 प्रतिशत, बलवा में लगभग 61 प्रतिशत, फिरौती के लिए अपहरण में लगभग 70 प्रतिशत और रोड होल्डिंगअप में 100 प्रतिशत की कमी आयी है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जब तक प्रशासन में स्थिरता नहीं आएगी तब तक विकास की प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता। पूर्ववर्ती सरकार में जिलाधिकारियों की एक जिले में औसत कार्य अवधि 06 महीने थी वर्तमान में यह औसतन 18 महीने है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार ने कांवड़ यात्रा और जन्माष्टमी पर बैन लगा दिया था। वर्तमान समय में प्रत्येक पुलिस लाइन और जेल में जन्माष्टमी का पर्व उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस बार की कांवड़ यात्रा पर पुष्प वर्षा कर स्वयं देखने का अवसर प्राप्त हुआ। लगभग 04 करोड़ कांवड़ यात्री  सकुशल, शांतिपूर्ण तरीके से और शिव भक्ति में लीन होकर गाजियाबाद तक आए। यह सामाजिक समरसता का एक बहुत बड़ा उदाहरण है। इसमें प्रत्येक जाति और तबके के लोग थे। प्रदेश में पर्व और त्यौहार शांतिपूर्ण तरीके से मनाये जा रहे हैं। कहीं भी किसी समुदाय को कोई परेशानी नहीं है।
प्रदेश सरकार ने नदियों की ड्रेजिंग का कार्य भी किया है। अन्नदाता किसानों को उनकी उपज मूल्य का भुगतान समय पर किया जा रहा है। फसलों का सर्वेक्षण कर मुआवजा देने का कार्य किया जाता है। बिना भेदभाव के साथ ससमय मुआवजा किसानों के खातों में पहुंचाया जाता है। औसत से कम वर्षा होने पर किसानों को बीज की किट उपलब्ध कराई जाएगी। जिससे किसानों के खेत खाली न रहें और उनकी आमदनी पर कोई विपरीत असर न पड़े।
प्रदेश एक ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनने की ओर अग्रसर है। सभी जगह उन्हंे सम्मान से देखा जाता है। नये भारत के नये उत्तर प्रदेश को बनाने के लिए मेहनत करनी पड़ती है। इसके लिए परिश्रम और पुरुषार्थ की आवश्यकता पड़ती है, शासन की योजनाओं को बिना भेदभाव के लोगों तक पहुंचाना होता है। यह सामूहिक प्रयास का परिणाम है कि आज उत्तर प्रदेश का परसेप्शन बदला है। आज लोग उत्तर प्रदेश में निवेश करने के लिए आना चाहते हैं। आज प्रदेश सरकार राज्य के विकास के लिए कार्य कर रही है, उसके परिणाम भी आ रहे हैं। प्रदेश को एक ट्रिलियन डॉलर इकोनामी बनाने के लिए किए जा रहे प्रयासों पर सदन में 36 घंटे की चर्चा होनी चाहिए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जब आप समस्या का समाधान करना चाहते हैं तो आपको रास्ता मिल जाता है। हमारी सरकार ने समस्या को स्वीकार करते हुए उसके समाधान के रास्ते भी निकाले हैं। मुख्यमंत्री जी ने प्रदेश के अन्नदाता किसानों को आश्वस्त करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश की डबल इंजन की सरकार अन्नदाता किसानों के साथ खड़ी है। मुख्यमंत्री जी ने विधानसभा अध्यक्ष का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि विधान सभा अध्यक्ष ने सदन में अन्य विधायी कार्यों के साथ किसानों की दृष्टि से महत्वपूर्ण बाढ़ और सूखा को चर्चा का विषय बनाया। बहुत से सदस्यों ने पहली बार अपनी बात को सदन में रखा है। उन्होंने महत्वपूर्ण और रचनात्मक सुझाव दिए हैं। सरकार उनके सुझावों का स्वागत करती है।

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