राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने लेह के सिंधु घाट में उनके सम्मान में आयोजित नागरिक अभिनंदन समारोह में भाग लिया। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि वह सिंधु घाट पर आकर खुश हैं। उन्होंने कहा कि सिंधु नदी सभी भारतीयों की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक चेतना में गहराई तक मौजूद है।
राष्ट्रपति ने कहा कि लद्दाख के प्यार करने वाले निवासियों से मिलकर उन्हें खुशी हुई। उन्होंने कहा कि भारत के लोगों में लद्दाख के लोगों के प्रति विशेष स्नेह और सम्मान का भाव है और वे यहां रहने वाले लोगों के राष्ट्र की रक्षा में योगदान के बारे में जानते हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि इस क्षेत्र के लोग बहादुरी और बुद्ध में अपनी आस्था के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने कहा कि भगवान बुद्ध का अमर और जीवंत संदेश लद्दाख के माध्यम से दूरदराज तक के देशों में फैला है।
राष्ट्रपति ने कहा कि लद्दाख में आध्यात्मिक पर्यटन, साहसिक पर्यटन और इको-पर्यटन के विकास की अनंत संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में वेलनेस टूरिज्म या स्वास्थ्य पर्यटन के विकास की भी बहुत संभावनाएं हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि यह खुशी की बात है कि लद्दाख में कई आदिवासी समुदायों की समृद्ध परंपराएं जीवित हैं। उन्होंने कहा कि लोग प्रकृति के प्रति स्नेह और सम्मान का भाव रखते हैं, जो आदिवासी समुदायों की कला, नृत्य, गीत और जीवनशैली में परिलक्षित होता है। उन्होंने कहा कि हमें ‘पर्यावरण अनुकूल जीवन शैली’ के प्रमाण के तौर पर आदिवासी समुदायों की जीवनशैली को संरक्षित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि उन समुदायों के लोगों को भी इस बात के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए कि वे आधुनिक विकास की अच्छाइयों को अपनाएं। उन्होंने कहा कि परंपरा और आधुनिकता का यह संगम लद्दाख के लोगों सहित सभी नागरिकों के लिए सतत विकास का उचित मार्ग साबित होगा।
राष्ट्रपति ने स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों और स्थानीय आदिवासियों से भी बातचीत की।