उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने आज यहां अपने सरकारी आवास पर आहूत एक उच्चस्तरीय बैठक में बाढ़ प्रबन्धन और जन-जीवन की सुरक्षा के दृष्टिगत जारी तैयारियों की समीक्षा की तथा सम्बन्धित अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिये।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश में व्यापक जन-धन हानि के लिए दशकों तक कारक रही बाढ़ की समस्या के स्थायी निदान के लिए विगत 07 वर्षों में किए गए सुनियोजित प्रयासों के अच्छे परिणाम प्राप्त हुए हैं। प्रदेश में बाढ़ की दृष्टि से अति संवेदनशील जिलों की संख्या में अभूतपूर्व कमी आई है। विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार आधुनिकतम तकनीक का प्रयोग कर बाढ़ के खतरे को न्यूनतम करने में सफलता प्राप्त हुई है। बाढ़ से जन-जीवन की सुरक्षा के लिए अन्तरविभागीय समन्वय से अच्छा कार्य हुआ है। इस वर्ष भी बेहतर कोऑर्डिनेशन, क्विक एक्शन और बेहतर प्रबन्धन से बाढ़ की स्थिति में लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित कराई जाए।
प्रदेश में बाढ़ की दृष्टि से 24 जनपद अति संवेदनशील श्रेणी में हैं। इनमें महराजगंज, कुशीनगर, लखीमपुर खीरी, गोरखपुर, बस्ती, बहराइच, बिजनौर, सिद्धार्थनगर, गाजीपुर, गोण्डा, बलिया, देवरिया, सीतापुर, बलरामपुर, अयोध्या, मऊ, फर्रुखाबाद, श्रावस्ती, बदायूं, अम्बेडकर नगर, आजमगढ़, संतकबीर नगर, पीलीभीत और बाराबंकी जनपद सम्मिलित हैं। जबकि जनपद सहारनपुर, शामली, अलीगढ़, बरेली, हमीरपुर, गौतमबुद्ध नगर, रामपुर, प्रयागराज, बुलन्दशहर, मुरादाबाद, हरदोई, वाराणसी, उन्नाव, लखनऊ, शाहजहांपुर और कासगंज संवेदनशील प्रकृति के हैं।
अति संवेदनशील और संवेदनशील क्षेत्रों में बाढ़ की आपात स्थिति से निपटने हेतु राहत सामग्री के पर्याप्त रिजर्व स्टॉक का एकत्रीकरण कर लिया जाए। इन स्थलों पर पर्याप्त प्रकाश व्यवस्था एवं आवश्यक उपकरणों का भी प्रबन्ध किया जाए। जल शक्ति मंत्री, दोनों राज्य मंत्री तथा वरिष्ठ अधिकारीगण अति संवेदनशील तथा संवेदनशील क्षेत्रों का भ्रमण व बाढ़ बचाव से जुड़ी परियोजनाओं का निरीक्षण करें।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि मौसम विभाग के अनुमान के अनुसार इस वर्ष पर्याप्त वर्षा होने की सम्भावना है। नेपाल और उत्तराखण्ड की सीमा से सटे जनपदों में सतर्कता बनाए रखें। आमजन की सुविधा और राहत एवं बचाव कार्य के बेहतर प्रबन्धन के लिए बाढ़ बुलेटिन और मौसम का पूर्वानुमान नियमित रूप से जारी किया जाए।
भारतीय मौसम विभाग, केन्द्रीय जल आयोग, केन्द्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण के साथ प्रदेश के सिंचाई एवं जल संसाधन, गृह, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, खाद्य एवं रसद, राजस्व एवं राहत, पशुपालन, कृषि, राज्य आपदा प्रबन्धन, रिमोट सेन्सिंग प्राधिकरण द्वारा बेहतर समन्वय स्थापित किया जाए। केन्द्रीय एजेंसियों/विभागों से सतत संवाद-सम्पर्क बनाए रखें। प्राप्त आकलन/अनुमान रिपोर्ट समय से फील्ड में तैनात अधिकारियों को उपलब्ध करायी जाए।
नदी के किनारे बसे आवासीय इलाकों और खेती की सुरक्षा में नदियों का चैनेलाइजेशन उपयोगी सिद्ध हो रहा है। जनपद अम्बेडकरनगर, बलरामपुर, बाराबंकी, सीतापुर और श्रावस्ती में ड्रेनेज एवं चैनेलाइजेशन की जारी परियोजनाओं को समय से पूर्ण कराएं। निकली हुई सिल्ट का सदुपयोग किया जाए। राज्य स्तर और जिला स्तर पर बाढ़ राहत कंट्रोल रूम 24×7 एक्टिव मोड में रहें। उत्तर प्रदेश पुलिस रेडियो मुख्यालय द्वारा बाढ़ से प्रभावित होने वाले जनपदों में 113 बेतार केन्द्र अधिष्ठापित किए गए हैं। मानसून अवधि में यह केन्द्र हर समय एक्टिव रहें।
बाढ़/अतिवृष्टि की स्थिति की नियमित मॉनीटरिंग की जाए। एन0डी0आर0एफ0, एस0डी0आर0एफ0/पी0ए0सी0 फ्लड यूनिट तथा आपदा प्रबंधन टीमें 24×7 एक्टिव मोड में रहें। आपदा मित्र स्वयंसेवकों के साथ-साथ होमगार्डों की सेवाएं भी ली जाएं। इनकी तैनाती के सम्बन्ध में कार्ययोजना तैयार कर लें। सभी एजेंसियों के बीच बेहतर कोऑर्डिनेशन किया जाए। नौकाएं, राहत सामग्री आदि का प्रबन्ध समय से किया जाए। बाढ़/अतिवृष्टि से प्रभावित क्षेत्रों में समय से राहत कार्य पूर्ण किये जाएं। प्रभावित परिवारों को हर सम्भव मदद तत्काल उपलब्ध कराई जाए। राहत कार्य में मझोली और बड़ी नौकाओं का प्रयोग किया जाए। सभी नौका सवार लोग लाइफ जैकेट जरूर पहनें।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि बाढ़ के दौरान और बाद में बीमारियों के प्रसार की सम्भावना बढ़ जाती है। ऐसे में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा स्वास्थ्य किट तैयार कर जिलों में पहुंचायी जाए। क्लोरीन टैबलेट, ओ0आर0एस0 तथा बुखार आदि की दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। सर्प दंश की स्थिति में प्रभावित लोगों को तत्काल चिकित्सकीय मदद प्रदान की जाए। बाढ़ के दौरान जलभराव से प्रभावित जनपदों में पशुओं की सुरक्षा के प्रबन्ध किये जाएं। उचित होगा कि बाढ़ के समय पशुओं को अन्यत्र कहीं सुरक्षित स्थान पर रखा जाए। निराश्रित गोआश्रय स्थलों में पशु चारे की पर्याप्त व्यवस्था की जाए। पशुओं का टीकाकरण समय से पूर्ण किया जाए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राहत सामग्री की गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होना चाहिए। बाढ़ राहत शिविरों में लोगों को ताजा भोजन प्रदान किया जाए। राहत सामग्री का पैकेट मजबूत तथा ले जाने में सुविधाजनक होना चाहिए। अतिवृष्टि से प्रभावित किसानों की फसलों की क्षतिपूर्ति अविलम्ब कराई जाए। किसानों को मौसम पूर्वानुमान से अवगत कराते हुए खेती-किसानी के लिए अनुकूल परिस्थितियों के बारे में जागरूक किया जाए। बरसात के कारण निर्माण परियोजनाओं पर होने वाले असर के दृष्टिगत पहले से आवश्यक प्रबन्ध कर लिए जाएं। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बिजली के पोल, तार, सड़क आदि समय से ठीक कर लिए जाएं।
बैठक में मुख्यमंत्री जी को अवगत कराया गया कि जन-धन की सुरक्षा को शीर्ष प्राथमिकता देते हुए वर्ष 2024 में बाढ़ से सुरक्षा के लिए समय से तैयारियां की गई हैं। अति संवेदनशील के रूप में चिन्हित 17 जनपदों के 37 तटबन्धों का अनुरक्षण कार्य पूर्ण कर लिया गया है। सभी अतिसंवेदनशील तटबन्धों पर प्रभारी अधिकारी/सहायक अभियन्ता नामित किये जा चुके हैं। तटबन्धों पर क्षेत्रीय अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा लगातार निरीक्षण एवं सतत निगरानी की जा रही है।
मुख्यमंत्री जी को अवगत कराया गया कि वर्ष 2023 में बाढ़ से प्रभावित अतिसंवेदनशील/संवेदनशील स्थलों को चिन्हित कर बाढ़ परियोजनाओं के द्वारा बाढ़ बचाव कार्य पूर्ण कर लिये गए हैं। प्रदेश में बाढ़ से निपटने के लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित स्टीयरिंग ग्रुप की बैठक 75 जनपदों में सम्पन्न हो गई है।