देहरादून: मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा है कि प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर विस्थापितों को भूमि का मालिकाना अधिकार देने के लिए सभी विधिक पहलुओं को देखते हुए हर सम्भव प्रयास किया जाए। सोमवार को सचिवालय में मुख्यमंत्री हरीश रावत की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में पशुलोक में बसे टिहरी विस्थापित, सितारगंज के कल्याणपुर में गब्र्यांग आदि स्थानों से बसाए गए विस्थापित और राजाजी नेशनल पार्क से दूसरे स्थानों पर बसाए गए गुर्जरों को मालिकाना हक देने के लिए गहन विचार विमर्श किया गया।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि विभिन्न कारणों से अपने मूल स्थानों से हटाकर दूसरे स्थानों पर बसाए गए विस्थापितों को भूमि का मालिकाना हक दिया जाना आवश्यक है। इसके अभाव में आने वाले समय में भूस्वामित्व संबधी विवाद बढ़ते जाएंगे। उन्होंने निर्देश दिए कि पशुलोक में बसे टिहरी विस्थापितों को मालिकाना हक देने के लिए विधिक राय लेते हुए आवश्यक प्रक्रिया जल्द से जल्द प्रारम्भ कर दी जाए। तय किया गया कि वन विभाग 15 दिनों में इसका डिनोटिफिकेशन जारी करेगा। इसके बाद राजस्व विभाग इसे राजस्व ग्राम घोषित करने की प्रक्रिया अगले 15 दिनों में कर देगा। फिर सेटलमेंट की कार्यवाही शुरू की जाएगी।
सितारगंज के कल्याणपुर में बसे विस्थापितों को मालिकाना हक देने के लिए राजस्व विभाग, विधिक परामर्श लेते हुए 15 दिनों में शासन को प्रस्ताव भेजेगा। राजाजी नेशनल पार्क के विस्थापित गुर्जर पथरी, गैंडीखत्ता व सबलगढ़ में बसाए गए हैं। पथरी व सबलगढ़ में वन विभाग को इसका डिनोटिफिकेशन करना होगा। गैंडीखत्ता की स्थिति का भी अध्ययन कर लिया जाएगा और हर आवश्यक कार्यवाही की जाएगी।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने बिंदुखत्ता में बसे लोगों को किस प्रकार मालिकाना हक दिया जा सकता है, इसकी सभी सम्भावनाओं का अध्ययन करने के लिए अपर सचिव राजस्व, अपर सचिव विधि व अपर सचिव वन की तीन सदस्यीय समिति बनाने के निर्देश दिए। यह समिति सभी पहलुओं का अध्ययन कर प्रस्ताव तैयार करेगी जिसे कि भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय व आवश्यक होने पर सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष रखा जाएगा।
बैठक में मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह, सचिव अमित नेगी, सचिव आनंदवर्धन, डीएस गब्र्याल, प्रमुख वन संरक्षक आरके महाजन, डीएम देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर सहित संबंधित विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।