लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने अपने सरकारी आवास पर आहूत एक उच्च स्तरीय बैठक में हर घर नल योजना की प्रगति की समीक्षा की तथा आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने जल जीवन मिशन के अन्तर्गत हर घर नल से जल पहुंचाने की परियोजना के कार्यों की थर्ड पार्टी ऑडिट कराने के निर्देश देते हुए कहा कि हर परियोजना के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किये जायें जो स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ समन्वय बनाकर सभी काम समय से पूरा कराएं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जल जीवन मिशन के तहत जनहित से जुड़े कार्यों की गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होना चाहिए। जलापूर्ति के कार्यों के चलते खराब हुई सड़कों के रिस्टोरेशन का काम समय से कराया जाए और जनप्रतिनिधियों से भी आवश्यक मार्गदर्शन लिया जाए। इस आधार पर ही विभागीय अधिकारियों की जवाबदेही तय होगी। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि योजना के अन्तर्गत किये जा रहे कार्याें की क्वालिटी हर हाल में सुनिश्चित हो। इसका थर्ड पार्टी सत्यापन भी कराया जाए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जल जीवन मिशन के तहत हर घर जल परियोजना का उद्देश्य है कि लोगों को शुद्ध पेयजल प्राप्त हो। ऐसी सभी योजनाएं बिना रूकावट के अनवरत चलती रहनी चाहिए। बैठक में मुख्यमंत्री जी ने बुन्देलखण्ड व विन्ध्य क्षेत्र सहित पूरे प्रदेश में जल जीवन मिशन के कार्यों के बारे में जानकारी प्राप्त की।
बैठक में मुख्यमंत्री जी को जल जीवन मिशन के अन्तर्गत सामुदायिक अंशदान के सम्बन्ध में अवगत कराया गया कि मिशन के तहत 40,951 योजनाएं स्वीकृत हैं। इनकी कुल कार्य लागत 152521.82 करोड़ रुपये है। इसमें केन्द्रांश 71714.68 करोड़ रुपये व राज्यांश 71714.68 करोड़ रुपये है। इनविलेज इन्फ्रास्ट्रक्चर की लागत के सापेक्ष सामुदायिक अंशदान 9092.42 करोड़ रुपये बनता है। अधिकांश योजनाओं को सोलर आधारित बनाए जाने के कारण कुल लागत में 13,344 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई है, जिसके सापेक्ष केन्द्रांश के रूप में 6,338 करोड़ रुपये अतिरिक्त रूप से प्राप्त होगा। इसके अलावा अनुरक्षण व संचालन मद में राज्य सरकार की योजना काल में लगभग एक लाख करोड़ रुपये की बचत होगी।
मुख्यमंत्री जी को अवगत कराया गया कि उत्तर प्रदेश में 33,229 योजनाएं सौर ऊर्जा पर आधारित हैं। इन पर लगभग 900 मेगावाट के सोलर पैनल लगाए गए हैं। केन्द्र सरकार द्वारा इस इनोवेशन को बेस्ट प्रेक्टिसेज के रूप में चिह्नित किया गया है। सौर ऊर्जा आधारित योजनाओं के निर्माण के कारण प्रतिवर्ष लगभग 13 लाख मीट्रिक टन कार्बन डाई ऑक्साइड का उत्सर्जन कम होगा।
इस अवसर पर जलशक्ति मंत्री श्री स्वतंत्र देव सिंह, जल शक्ति राज्यमंत्री श्री रामकेश निषाद, मुख्य सचिव श्री मनोज कुमार सिंह सहित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।