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ग्राम्य विकास विभाग एवं पीएमजीएसवाई की समीक्षा करते हुए: मुख्यमंत्री श्री रावत

उत्तराखंड

देहरादून: मुख्यमंत्री हरीश रावत ने निर्देश दिये कि स्वतंत्रता संग्राम सैनानियों के जो गांव अभी तक सड़क मार्ग से न जुड़ सकें हो, उन्हें हर हाल में इस वर्ष के अन्त तक सड़क मार्ग से जोड़ दिया जाए। इसके लिये सभी विकास खण्ड़ों से जानकारी प्राप्त कर कार्यवाही सुनिश्चित की जाए। उन्होंने विकास खण्ड कार्यालयों के भवन मरम्मत हेतु सभी जिलाधिकारियों को 1-1 करोड़ रूपये की धनराशि की स्वीकृति प्रदान की। उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि प्रतिवर्ष यह धनराशि उपलब्ध करायी जाए तथा इसका प्राविधान जिला योजना में भी किया जाए। उन्होंने कहा कि विकास खण्ड प्रशासन की महत्वपूर्ण इकाई है। यहा पर अवस्थापना सुविधाओं के विकास पर विशेष ध्यान दिया जाए। उन्होंने मनरेगा के अन्तर्गत मेटिरियल कम्पोनेंट के लिये 10 करोड़ रूपये का रिवाल्विंग फण्ड स्थापित करने तथा मेरा गांव मेरी सड़क योजना के तहत प्रति ब्लाॅक दो सड़कों की संख्या को बढ़ाने के भी निर्देश दिए।
सोमवार को देर सायं ग्राम्य विकास विभाग एवं पीएमजीएसवाई की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री श्री रावत ने निर्देश दिये कि मेरा गांव मेरी सड़क योजना को अभियान के रूप में संचाालित कर गांवों को सड़क से जोड़ा जाए, इसमें सांसदो व विधायकों का भी सहयोग लिया जाए। उन्होंने कहा कि पी.एम.जी.एस.वाई. के नेटवर्क में जो गांव नही आ रहे है। उनके प्रस्ताव लोक निर्माण विभाग को सन्दर्भित कर दिये जाए। उन्होंने कहा कि गांव-गांव में महिला उद्यमी तैयार करने के लिए, ‘‘मुख्यमंत्रंी महिला सत्त आजीविका योजना’’ को प्रभावी बनाये। महिला स्वयं सहायता समूहों व महिला मंगल दलों की, विकास में भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए ‘मुख्यमंत्री महिला स्वयं सहायता समूह सशक्तीकरण योजना’ शीघ्र प्रारम्भ करने, प्रत्येक महिला स्वयं सहायता समूह को बैंक में खाता खोलने के लिए पांच हजार रूपये की धनराशि शीघ्र प्रदान की जाए इसके लिए उन्होंने 05 करोड़ धनराशि स्वीकृत की। उन्होंने व्यवसाय हेतु प्रत्येक महिला स्वयं सहायता समूह को 25 हजार रूपये की सहायता उपलब्ध कराने के भी निर्देश दिये।
उन्होंने समूहों को उनके वार्षिक टर्न ओवर पर 5 प्रतिशत का बोनस दिये जाने, महिला उद्यमियों व महिला स्वयं सहायता समूह के लिए, उद्यमिता-हाट बनाये जाने के निर्देश दिये। महिला स्वयं सहायता समूहों को खेती के लिये लीज पर भूमि उपलब्ध करायी जाए। खेती के लिये एक लाख रूपये की सहायता उन्हें उपलब्ध करायी जाए। खेती में कार्यरत महिला को मनरेगा मजदूर मानकर, पारिश्रमिक उपलब्ध करवाया जाए।
उन्होंने निर्देश दिये कि जो महिला स्वयं सहायता समूह अच्छा कार्य कर रहे है, अगले 15 दिन में उनकी कार्यशाला आयोजित की जाए। जो अच्छा कार्य कर रहे है, उनके अनुभवों का लाभ दूसरो को भी मिले इसके प्रयास हो। महिला स्वयं सहायता समूह सामुहिक गतिविधियों के केन्द्र बनें, इसके लिए उन्हें प्रोत्साहन दिया जाना आवश्यक है।
उन्होंने आपदाग्रस्त 5 जनपदों की महिला स्वयं सहायता समूहों को अतिरिक्त सहायता उपलब्ध कराने को कहा। पर्वतीय क्षेत्रों में पलायन को रोकने के लिए महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ना तथा उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार लाना जरूरी है। उन्होंने एस.एच.जी. मैनेजमेंट की जानकारी सभी स्वयं सहायता समूह को देने के साथ ही यात्रा मार्गों पर महिलाओं के लिये भी हाट निर्मित किये जाने को कहा।
बैठक में मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह, प्रमुख सचिव मनीषा पंवार एवं अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

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