लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ खंड पीठ ने उत्तर प्रदेश में हुई दरोगा भर्ती मामले में सख्त रुख अपनाते हुए पूरे चयन को खारिज कर दिया है। अदालत ने राज्य सरकार से कहा है कि लिखित परीक्षा के स्तर से दोबारा चयन किया जाये। पीठ ने लिखित परीक्षा के बाद अनियमितताओं को पाये जाने के मद्देनजर प्रदेश में 4010 पदों पर हुई भर्ती को खारिज कर दिया है।
अदालत ने सुनवाई के बाद यह पाया कि दरोगा भर्ती मामले में नियम कायदों को दरकिनार कर भर्ती प्रक्रिया पूरी की गयी। यह फैसला न्यायमूर्ति राजन राव की पीठ ने याची अभिषेक कुमार सिंह की ओर से अधिवक्ता विधु भूषण कालिया व रजत राजन सिंह द्वारा दायर याचिका को स्वीकार करते हुए दिए हैं। याचिका दायर कर कहा गया कि वर्ष 2011 में दरोगा भर्ती का विज्ञापन जारी किया गया। भर्ती प्रक्रिया पूरी होने के बाद याचीगणों द्वारा याचिका दायर कर इसे चुनौती दी गई। याचिका में मांग की गयी थी कि भर्ती प्रक्रिया में नियम कायदों को दरकिनार कर व्यापक पैमाने पर अनियमितता की गयी है। कहा गया कि चयन में क्षैतिज आरक्षण का पालन नहीं किया गया जिससे वास्तविक छात्रों को लाभ नहीं मिला। भर्ती प्रक्रिया में सामान्य वर्ग के छात्रों के स्थान कम हो गये क्योंकि ओबीसी, एससी/एसटी व विकलांग कोटे में सामान्य आरक्षण कर दिया गया।
याचिका में यह भी आरोप लगाया गया कि प्रारंभिक परीक्षा में 100 अंक प्राप्त करने वाले आवेदकों को ही लिखित परीक्षा में बुलाया जाना था लेकिन लिखित परीक्षा में 100 अंकों से कम पाने वालों को भी बुलाया गया। मुख्य परीक्षा में तीन गुना से अधिक अभ्यर्थियों को नहीं बुलाया जाना था किन्तु मुख्य परीक्षा में लगभग छह गुना अभ्यर्थियों को बुलाया गया। याची के अधिवक्ता विधु भूषण कालिया व रजत राजन सिंह ने बताया कि अदालत ने याचिका को स्वीकार करते हुए पूरी भर्ती प्रक्रिया को निरस्त कर दिया गया है और फिर से लिखित परीक्षा के स्तर से भर्ती प्रक्रिया को किये जाने के आदेश अदालत ने दिए हैं।