23 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

खोजे गये छोटे क्षेत्रों की बोली दौर 2016 के लिए दुबई, संयुक्त अरब अमीरात में संवादात्‍मक सत्र

देश-विदेश

नई दिल्ली: भारत सरकार के पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय (एमओपीएनजी) ने खोजे गये छोटे क्षेत्रों की बोली दौर 2016 के लिए 23 अगस्त, 2016 को दुबई, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में संवादात्‍मक सत्र आयोजित किया। इस कार्यक्रम में सरकारी अधिकारियों, प्रमुख व्यवसायियों और राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय मीडिया ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया।

मंत्रालय की प्रोद्योगिकी शाखा हाईड्रोकार्बन्स महानिदेशालय (डीजीएच) ने भारत में 67 विभिन्‍न छोटे क्षेत्रों वाले 46 अनुबंध क्षेत्रों में तेल और गैस की अन्वेषण और उत्पादन के बारे में बताया। 1,500 वर्ग किलोमीटर में फैले इन क्षेत्रों में अनुमानित 625 मिलियन बैरल से अधिक तेल और तेल के बराबर गैस है। माननीय प्रधानमंत्री के 2022 तक भारत में तेल और गैस की आयात निर्भरता को 10 प्रतिशत तक कम करने के दृष्टिकोण के अनुरूप हाइड्रोकार्बन्‍स के व्यापक नीति ढांचा और दोहन लाइसेंस नीति (एचईएलपी) के अंतर्गत यह पहल की गई है।

संवाद के दौरान यह जानकारी दी गई कि नई बोली सत्र 2016 के हिस्से के रूप में पहले के उत्पादन साझा करने के अनुबंध मॉडल के स्थान पर राजस्व साझा करने के अनुबंध मॉडल पर आधारित पारंपरिक अन्वेषण और विकास के साथ ही गैर पारंपरिक हाइड्रोकार्बन संसाधनों के लिए समान नीति होगी। अन्य प्रोत्साहनों में कोई हस्ताक्षर बोनस नहीं, कोई अनिवार्य काम कार्यक्रम नहीं और तेल उपकर नहीं, सीमा शुल्क में छूट और वर्गीकृत रॉयल्टी दरों जैसे राजकोषीय प्रोत्साहन शामिल हैं।

इस दौरान भारत में व्यापार करने में सुगमता के संबंध में कई प्रस्तुतियों के साथ ही नई बोली सत्र के बारे में विस्तार से बताया गया। संयुक्त अरब अमीरात में भारत के महावाणिज्य दूत श्री अनुराग भूषण ने भारत-यूएई व्यापार संबंधों पर जोर दिया और निवेशकों के रुख में बदलाव लाने और आर्थिक संबंधों को सुदृढ़ करने के लिए दोनों देशों द्वारा किए गए प्रयासों पर प्रकाश डाला।

संवादात्मक सत्र के दौरान दी गई प्रस्तुतियों में तेल और गैस पर ध्यान केंद्रित कर भारतीय अर्थव्यवस्था के समग्र व्यापक आर्थिक परिदृश्य और भारत में व्यवसाय करने के माहौल के लाभ पर प्रकाश डाला गया। अन्य एशियाई अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भारत के सकारात्मक निवेश के माहौल और भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रति आकर्षण पर भी चर्चा की गई। तेल और गैस क्षेत्र से संबंधित अन्वेषण और उत्पादन के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर के बारे में भारतीय कराधान व्यवस्था और संभावित बोलीदाताओं के लिए बोली लगाए जाने वाले क्षेत्रों के नजदीक उपलब्ध सुविधाओं और बुनियादी ढांचे पर भी प्रस्तुतियां पेश की गई।

डीजीएच के महानिदेशक श्री अतानु चक्रवर्ती ने भारत में अन्वेषण और उत्पादन व्यवस्था, बोली सत्र की आकर्षक विशेषताओं, बोली के लिए योग्यता मानदंड और मानकों पर विस्तृत प्रस्तुति दी। उन्होंने पारदर्शी एचईएलपी नीति के लाभों पर प्रकाश डाला और पहले के कार्यक्रमों में भागीदारी और मीडिया कवरेज के संदर्भ में नई बोली दौर की सफलता की चर्चा की।

भूवैज्ञानिक और भूभौतिकीय डाटा ऑनलाइन देखने के लिए निवेशकों की मदद के वास्ते वर्चुअल डाटा रूम का शुभारंभ किया गया। इसके अलावा निवेशकों को अनुबंध के क्षेत्रों की वित्तीय व्यवहार्यता को व्यापक रूप से समझने में मदद के लिए सांकेतिक व्यवहार्यता मॉडल के प्रावधानों और उनके प्रश्नों का उत्तर देने के लिए सुविधा इकाईयों के बारे में भी बताया गया।

पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय में सचिव श्री के. डी. त्रिपाठी ने माननीय प्रधानमंत्री के शब्दों को उद्धृत किया कि “हमें कार्य नहीं बल्कि कार्रवाई की आवश्यकता है”। उन्होंने निवेशकों से भारत की सफलता में तेजी लाने के लिए उपलब्ध अवसरों में निवेश करने और 125 वर्ष पुराने हाइड्रोकार्बन उद्योग के साथ जुड़ने का आग्रह किया।

भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने बोली दौर के पहलुओं पर चर्चा करने के लिए प्रमुख उद्योगपतियों के साथ गोलमेज बैठक भी की। बाद में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय में सचिव ने प्रमुख उद्यमियों के साथ अलग से बातचीत भी की।

Related posts

4 comments

Leave a Comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More