देहरादून: उत्तराखंड उत्तराखण्ड में पिछले 9 माह से कोई खाद्य पदार्थों की कोई जांच नहीं हो रही हैं क्योकि प्रदेश की लैब में एक भी जांच अधिकारी नहीं हैं। सबसे हैरत की बात है प्रदेश के 13 जिलों में खाद्य सुरक्षा अधिकारी कोई सैंपल भरने की जहमत नहीं उठा रहे हैं क्योंकि उनके सैंपलों की कहीं जांच नहीं हो सकती है।
ऐसे में स्वाभाविक हैं कि मुनाफाखोरों मिलावटखोरों के हौसलें बुलंद होंगे ही। दरअसल प्रदेश में जो पिछले दिवाली के त्यौहार के मौके पर मिलावटी खाद्य पदार्थों के सैंपल भरे गए थें। उन्हें लैब ने वापस अधिकारी ना होने की वजह से भेज दिया।
हैरत की बात हैं कि प्रदेश में प्रतिदिन करीब 7 लाख लीटर दूध की खपत होती है। इसी तरह से मावा, पनीर व अन्य खाद्य पदार्थों की सप्लाई की जाती हैं। मगर शासन के अधिकारियों की कुंभकर्णी नींद नहीं टूट रही हैं। नौ महीने के राज्य खाद्य सुरक्षा आयुक्त एक जांच अधिकारी की नियुक्ति नहीं कर पा रहे है। ऐसे में बड़ा सवाल है कि क्या अधिकारियों को वाकई कोई जांच अधिकारी नहीं मिल पा रहा है या फिर अधिकारियों की मुनाफाखोरों के साथ कोई और की खिचड़ी पक रही है।
वही राज्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी आर एस रावत का कहना है कि प्रदेश में जल्द ही नए अधिकारियों की नियुक्ति की जाएगी। लेकिन जिस तरह से पिछले नौ माह से जांच अधिकारी की नियुक्ति का मामला शासन में पेडिंग चल रही है। ऐसे में नहीं लगता है जल्द नए अधिकारियों की तैनाती हो पाएगे। कितनी बड़ी बिडंबना है कि करोड़ो की आबादी वाले प्रदेश में इतने दिनों से खाद्य पदार्थों की कोई जांच नहीं हो पा रही हैं ।
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