धर्मशाला: उत्तराखंड शनिवार को जहां धर्मशाला स्थित जिला कार्यक्रम अधिकारी कार्यालय में इंटरनेशनल महिला दिवस पर जिला स्तरीय कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा था। वहीं दो प्रवासी महिलाएं कार्यालय के बाहर कबाड़ एकत्रित कर रही थीं।
भले ही महिला दिवस पर महिलाओं के उत्थान की बात की जाती हो, उन्हें अधिकारों के प्रति जागरूक किया जाता है, लेकिन अब भी ढेरों ऐसी महिलाएं हैं, जिन्हें इस दिन के मायने ही पता नहीं हैं। उन्हें तो बस यही चिंता रहती है कि रात को चूल्हा कैसे जलेगा। यही आलम शनिवार को धर्मशाला में नजर आया।
जिला कार्यक्रम अधिकारी कार्यालय धर्मशाला के बाहर कबाड़ बीन रही राजस्थान की रहने वाली सोनिया ने बताया कि वह पिछले 15-16 साल से चरान में झुग्गी झोपड़ी में परिवार सहित रह रही है।
पिछले 15 वर्षों से कबाड़ एकत्रित कर परिवार चला रही सोनिया का कहना है कि वह भी काम कर सकती है, लेकिन उन्हें काम नहीं मिलता। डेढ़ दशक से धर्मशाला में रहने के बावजूद उन्हें यहां काम नहीं मिल पाया है।
परिवार को पालना है, इसलिए उन्होंने कबाड़ एकत्रित करना शुरु कर दिया। अब तो यही उनके परिवार की रोटी का साधन है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि हिमाचल में रह रहे प्रवासियों के लिए भी काम की व्यवस्था की जाए।
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