नई दिल्ली: ब्रिक्स देशों के प्रतिनिधियों ने सदस्य देशों के बीच संस्कृति, फिल्म तकनीक और बाजार को प्रोत्साहन देने पर बल दिया। ये प्रतिनिधि आज यहां सीरी फोर्ट में आयोजित एक पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे। इस पत्रकार वार्ता में ब्राजील के श्री हुगो लारेंजेटी,रूस के श्री किरिल राजलीगोव, भारत के श्री एम.सी. सेंथिल राजन, चीन के झउ जियानडोंग और दक्षिण अफ्रीका की मोनिका न्यूटन मौजूद थे।
इस दौरान पांच ब्रिक्स देशों के सिनेमा की समानता और विभिन्नता पर चर्चा की गई और इन देशों में प्रयुक्त सिनेमा तकनीक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर ध्यान केंद्रित किया गया।
ब्रिक्स का मतलब बिल्डिंग रिस्पोंसिंग इंकलुसिव एडं क्लेक्टिव सोल्यूशन यानि ब्रिक्स, ब्राजील,रूस, चीन, भारत और दक्षिण अफ्रीका का समूह। ब्रिक्स के पांच देश द्विपक्षीय दोस्ताना संबंधों को और मजबूत करने के लिए साथ आए। रूस में 2015 में आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में माननीय प्रधानमंत्रीश्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिक्स फिल्म महोत्सव को पहली बार शामिल किया था। यह वार्षिक शिखर सम्मेलन में अतिरिक्त सम्मेलन के रूप में होगा जिससे आम लोग संस्कृति और कला का आदान-प्रदान कर सकें।
ब्राजील के श्री हुगो लारेंजेटी ने कहा “ किसी देश में बनी फिल्म कम से कम एक अन्य देश को जोड़ती है। महोत्सव में शामिल की गई फिल्में उस देश की कला, इतिहास और संस्कृति के शोकेस होती हैं, जहां वह बनाई जाती हैं।”
रूस के श्री किरिल राजलीगोव ने कहा “ब्रिक्स फिल्म महोत्सव में हुई बातचीत हमें सदस्य देशों में कला और फिल्म निर्माण की जटिलताओं को समझने में मदद करेगी। हमें साथ फिल्में बना कर लोगों के और नजदीक जाने के लिए सहयोग करने की जरूरत है।”
इस अवसर पर फिल्म समारोह निदेशालय (डीएफएफ) के निदेशक श्री सी. सेंथिल राजन ने कहा “ ब्रिक्स फिल्म महोत्सव पांच देशों के सिनेमा यात्रा के विकास का साक्षी बनेगा। यह कदम सिनेमा निर्माण के क्षेत्र में तकनीक, कला एवं विचार के आदान-प्रदान के माध्यम से सिनेमा को नए स्तर तक पहुंचाने का पुल बनेगा। इसके साथ ही यह महोत्सव लोगों को भाग ले रहे देशों की संस्कृति को जानने तथा वहां के लोगों से संपर्क बनाने का अवसर प्रदान करेगा। ”
मैत्रीपूर्ण संबंधों के निर्माण में सिनेमा की भूमिका का प्रकाश डालते हुए चीन के झउ जियानडोंग ने कहा “ भारत में 1970-80 में बनी फिल्में चीन में आज भी खासी लोकप्रिय हैं। जुआन जंग एक मास्टर पीस है जिसमें भारत और चीन के कलाकारों ने साथ-साथ काम किया है। सिनेमा की सौहार्दपूर्ण संबंध बनाने में अहम भूमिका होती है क्योंकि फिल्में विश्व की सर्वव्यापी भाषा बोलती हैं। ”
दक्षिण अफ्रीका की मोनिका ने कहा कि ब्रिक्स फिल्म महोत्सव अपनी तरह का पहला समारोह है जो लोगों को साथ लाएगा। यह पांच देशों के कला के आदान-प्रदान का चमत्कारिक मंच है। इससे पहले इस तरह का कोई समारोह आयोजित नहीं किया गया था। दक्षिण अफ्रीका जैसा नया देश सिनेमा के क्षेत्र में नवाचार और विकास के मामले में सदस्य देशों से सीख रहा है।
इस महोत्सव में शिल्प मेले का भी आयोजन किया जाएगा। इस मेले में सदस्य देश अपना उत्पाद मंडप लगाकर बेच सकेंगे। महोत्सव स्थल पर पांच दिनों तक इन पांच देशों के बाइस्कोप, संस्कृति कला, फिल्म, व्यंजन का आनंद लोग ले पाएंगे।
कल से शुरू होने वाले इस फिल्म महोत्सव में पांच देशों की फिल्मों का प्रदर्शन, फिल्म पंचायत, सिनेमा और राष्ट्र निर्माण, ब्रिक्स सिनेमा में महिलाएं, ब्रिक्स सह उत्पादन अवसर और चुनौतियां जैसे मुद्दों पर ख्याति प्राप्त लोगों के साथ पैनल डिस्कशन का भी आयोजन किया जाएगा।