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मुख्यमंत्री का प्राइवेट चिकित्सा शिक्षा संस्थानों की 50 प्रतिशत सीटों पर 36 हजार रु0 की वार्षिक फीस निर्धारित करने का फैसला

उत्तर प्रदेश

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने निजी क्षेत्र के संस्थानों/काॅलेजों/डीम्ड विश्वविद्यालयों/विश्वविद्यालयों (अल्पसंख्यक संस्थानों को छोड़ते हुए ) में एम0बी0बी0एस0 और बी0डी0एस0 की 50 प्रतिशत सीटों पर राजकीय शुल्क लागू कराने का फैसला लिया है। इसके तहत इन संस्थानों में एम0सी0आई0/डी0सी0आई0 द्वारा मान्यता प्राप्त प्रवेश क्षमता की 50 प्रतिशत सीटों पर (प्रथम प्रवेश के आधार पर) 36 हजार रुपए सालाना राजकीय शुल्क लागू होगा। इन सीटों पर प्रवेश के लिए उत्तर प्रदेश का मूल निवासी होना अनिवार्य होगा।

यह जानकारी आज यहां देते हुए राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार उच्च चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के लिए यह क्रांतिकारी कदम उठाया गया है। उन्होंने कहा कि उच्च चिकित्सा शिक्षा में निजी क्षेत्र की संस्थाओं के व्यवसायीकरण पर रोक लगाने, गरीब मेधावी बच्चों से मनमानी फीस वसूली रोकने तथा मेडिकल काॅलेजों में प्रवेश की प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए राज्य सरकार ने यह कदम उठाया है।
प्रवक्ता ने कहा कि शेष 50 प्रतिशत सीटें, जिन्हें ‘नाॅन सब्सिडाइज्ड सीट’ कहा जाएगा, पर उच्चतर शैक्षणिक शुल्क लागू होगा। जिसका निर्धारण उत्तर प्रदेश फीस नियमन अधिनियम, 2006 के तहत फीस नियमन समिति द्वारा निर्धारित प्रति व्यक्ति शैक्षणिक शुल्क के आधार पर आगणित कुल शैक्षणिक शुल्क प्राप्ति में से सब्सिडाइज्ड सीटों से शुल्क प्राप्ति को घटाते हुए अवशेष धनराशि के आधार पर आगणित की जाएगी। इन सीटों पर प्रवेश हेतु राज्य का मूल्य निवासी होना आवश्यक नहीं है।
प्रवक्ता ने बताया कि इसके अतिरिक्त प्रदेश सरकार द्वारा प्राइवेट संस्थाओं की मनमानी रोकने के लिए 2016-17 के सत्र में प्रदेश के निजी क्षेत्र के विश्वविद्यालयों/अल्पसंख्यक विश्वविद्यालयों/डीम्ड विश्वविद्यालयों तथा सामान्य एवं अल्पसंख्यक काॅलेजों में प्रवेश के लिए काउंसिलिंग की प्रक्रिया राजकीय मेडिकल काॅलेजों के साथ कम्बाइंड काउंसिलिंग बोर्ड के माध्यम से कराने का फैसला भी लिया है।
प्रवक्ता ने यह भी बताया कि अल्पसंख्यक निजी संस्थानों की समस्त सीटों पर फीस नियमन के सम्बन्ध में कार्यवाही सम्बन्धित संस्थानों द्वारा इस प्रकार करायी जाएगी कि फीस का निर्धारण मा0 उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रतिपादित सिद्धान्तों के आधार पर हो तथा प्रवेश प्रक्रिया से उनके अल्पसंख्यक दर्जे पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े एवं संविधान के अनुच्छेद-30(1) के लाभ से वंचित न हों। उन्होंने बताया कि निजी क्षेत्र के समस्त मेडिकल/डेन्टल काॅलेजों/विश्वविद्यालयों/डीम्ड विश्वविद्यालयों /अल्पसंख्यक संस्थानों को सूचित किया जाएगा कि कैपिटेशन शुल्क वसूली की शिकायत प्राप्त होने पर अधिनियम की धारा-9(2) के अंतर्गत कार्यवाही तथा अपराधिक कार्यवाही भी की जाएगी।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में निजी क्षेत्र के तहत वर्तमान में आयुर्विज्ञान के क्षेत्र में 25 मान्यता प्राप्त एम0बी0बी0एस0 पाठ्यक्रम विभिन्न संस्थानों/अल्पसंख्यक संस्थानों/डीम्ड विश्वविद्यालयों/विश्वविद्यालयों के तहत संचालित हैं, जिनमें से 03 अल्पसंख्यक संस्थान एवं 08 विश्वविद्यालय के श्रेणी में आते हैं। इन संस्थानों में कुल 3100 सीटें उपलब्ध हैं। इसी प्रकार दन्त विज्ञान के क्षेत्र में मान्यता प्राप्त बी0डी0एस0 पाठ्यक्रम संचालित हैं, जिनमें से 02 अल्पसंख्यक एवं 05 विश्वविद्यालय की श्रेणी में आते हैं। इन संस्थानों में कुल 2300 सीटें उपलब्ध हैं।

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