देहरादून: पत्रकारिता के प्रति राज्य सरकार की नीति स्पष्ट व पारदर्शी है। सरकार को समाचार पत्रों को सर्पाेट व प्रोत्साहित करते हुए दिखना चाहिये। सरकार को समाचार पत्रों के प्रति सिलेक्टिव नहीं होना चाहिये। सरकार कोई भी हो, समाचार पत्रों को फोलोवर के रूप में कार्य नहीं करना चाहिये। समाचार पत्रों को अपने आलोचानात्मक संपादकीय द्वारा दिशाबोधक व एक मार्गदर्शक का कार्य करना चाहिये। पत्रकारिता को उत्तराखण्ड में पाई जाने वाली ‘‘बिच्छू घास’’ की तरह कार्य करना होगा। जिस प्रकार बिच्छू घास दोनों तरफ से व्यक्ति को लगती है उसी प्रकार पत्रकारिता को व्यक्ति, समाज व राजनेताओं को खरी-खरी सुनाने में पीछे नहीं रहना चाहिये। यह एक दवा की तरह कार्य करेगा जो कुछ देर तक पीड़ा देगा परन्तु आगे सरकार व समाज को अपने कार्याे में सुधार के लिए प्रेरित करेगा। समाज की प्रगति के लिए यह आवश्यक है कि कुछ लोग हमें हमारी गलतियों के लिए सर्तक, सावधान बनाये रखे तथा समाचार पत्र यह कार्य निशुल्क करते है, यह एक अच्छी बात है। बदलते समय के कारण नई चुनौतियों के आगमन के साथ ही मीडिया की चुनौतियाॅं व स्वरूप भी बदला है। आज समाचारों को प्राप्त करने के लिए हमारे सामने अनेक विकल्प है। प्रिन्ट व इलैक्ट्रोनिक मीडिया के साथ ही सोशल मीडिया एक सशक्त माध्यम के रूप मे उभरा है। सोशल मीडिया हमारे लिए एक एसेट व चुनौती दोनों रूपो में सामने आया है। सोशल मीडिया से अनेक कार्य आसान हुए परन्तु उसे निरन्तर फोलो करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। आज के सूचना क्रान्ति के युग में भी ‘‘दिनमान’’ व ‘‘धर्मयुग’’ जैसे समाचार पत्रों को लोग आज भी याद करते है। इन समाचार पत्रों मे लिखने वाले पत्रकारों का नाम आज भी चिरस्थायी व प्रकाशपुंज की भांति है। यह दो या चार पृष्ठ के समाचार पत्र उस समय एक मार्गदर्शक का कार्य करते थे क्योंकि उनके लेखों उस समय के समाज का संघर्ष दिखता था। यद्यपि समय की प्रतिस्पर्धा में यह समाचार पत्र टिक नही पाए परन्तु उनकी सम्माननीय स्मृति जनमानस के बीच बनी हुई है। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मुख्यमंत्री आवास न्यू कैन्ट रोड़ में हिन्दी साप्ताहिक समाचार पत्र ‘‘वीकएंड टाइम्स’’ के विमोचन के अवसर पर पत्रकारिता जगत से अपने सम्बोधन में उपरोक्त विचार किये।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि वर्तमान में एक समाज व व्यक्ति के रूप में हमारी असहिष्णुता बढ़ गयी है जो दुखद है। हमारे धर्म को सनातन नाम दिया गया क्योंकि यह गंगा की तरह उदारता के साथ प्रवाहमान है । परन्तु आज अनेक नकारात्मक बदलावों के कारण इसमें मानवीय गुण लुप्त हो रहा है। अतः यह पत्रकारिता जगत का उत्तरदायित्व है कि हमारे संस्कृति व विचारों में मानवीयता बनी रहे तथा यह निर्मल गंगा की भांति निरन्तर प्रवाहमान रहे। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि विशेषकर जो लोग सता में है उन्हे मनसा, वाचा, कर्मणा सहिष्णु होने की आवश्यकता है। पत्रकारिता जगत को इस विषय में नेतृत्व करना होगा। व्यक्ति पूजा के स्थान पर हमें शाश्वत मूल्यों को महत्व देना होगा। व्यक्ति तो आते जाते रहते है परन्तु प्रकृति व धरती के शाश्वत गुण बने रहते है। हमें उत्तराखण्ड सुन्दर के गुणों जिसमें योग, अध्यात्म, आर्युवेद, आदि प्रमुख है को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। उत्तराखण्ड राज्य एक चुनौतिपूर्ण राज्य है परन्तु यहाॅं के लोग अपने कर्मठता व संघर्षशीलता के कारण बड़ी से बड़ी चुनौती का सामना करने में सक्षम है।