उत्तराखंड: उत्तराखंड अपने राजनीतिक गुरू और विधायक महेन्द्र सिंह भाटी की हत्या मामले में दोषी करार पूर्व सांसद डीपी यादव की सजा पर देहरादून की सीबीआई कोर्ट आज फैसला सुनाएगी। इस मामले में सोमवार को दून की सीबीआई कोर्ट में यादव ने सरेंडर किया था जिसके बाद अदालत ने उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया।
यादव सोमवार को तीन एम्बुलेंस के साथ कोर्ट पहुंचे यादव को परिजनों ने भीड़ भरे रास्ते से अलग सीबीआई स्पेशल जज अमित कुमार सिरोई की अदालत में पेश किया। यादव की पैरवी के लिए 6-7 वकील भी कोर्ट पहुंचे। अदालत ने यादव की सरेंडर अर्जी पर सुनवाई करने के बाद पुलिस उसे हिरासत में जेल भेज दिया। अब सजा सुनाए जाने के दौरान डीपी यादव समेत पहले ही जेल जा चुके करन यादव, प्रनीत भाटी व पाल सिंह उर्फ लक्कड़पाला मंगलवार को कोर्ट में लाए जाएंगे।
दिनदहाड़े की थी भाटी की हत्या
13 सितंबर 1992 को गाजियाबाद क्षेत्र के भंगेल रोड पर विधायक भाटी अपने समर्थकों के साथ बंद फाटक के खुलने का इंतजार कर रहे थे। इस दौरान एक वाहन में सवार हथियारबंद बदमाशों ने उन पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी। इसमें भाटी व उनके साथी उदय प्रकाश की मौत हो गई थी। कुछ अन्य घायल हुए थे। बाद में डीपी यादव व उनके साथियों का नाम सामने आया। पुलिस ने हत्या के दौरान प्रयोग की गई गाड़ी भी बरामद की थी।
कभी दूध बचते थे डीपी
जिला गाजियाबाद में नोएडा सेक्टर-18 के पास एक गांव शरफाबाद में धर्मपाल यादव नाम का एक आम आदमी था, जो जगदीश नगर में डेयरी चलाता था और रोजाना साइकिल से दूध दिल्ली ले जाता था। अति महत्वाकांक्षी धर्मपाल यादव 1970 के दशक में शराब माफिया किंग बाबू किशन लाल के संपर्क में आ गया और यही शख्स धर्मपाल यादव से धीरे-धीरे डीपी यादव बन गया।
शराब माफिया किशन लाल की शराब तस्करी में डीपी यादव अहम भूमिका निभाता था। डीपी यादव कुछ समय बाद ही किशन लाल का पार्टनर बन गया। इन दोनों का गिरोह जोधपुर से कच्ची शराब लाता था और पैकिंग के बाद अपना लेबल लगाकर उस शराब को आसपास के राज्यों में बेचता था।
1990 के आसपास डीपी की कच्ची शराब पीने से हरियाणा में लगभग साढ़े तीन सौ लोग मर गए। इस मामले में जांच के बाद दोषी मानते हुए हरियाणा पुलिस ने डीपी यादव के विरुद्ध चार्जशीट भी दाखिल की थी। साल 1991 में डीपी यादव के खिलाफ एनएसए के तहत भी कार्रवाई हुई। इसके बावजूद यादव ने 1992 में अपने राजनैतिक गुरु दादरी क्षेत्र के विधायक महेंद्र सिंह भाटी की हत्या करा दी। इस मामले में सीबीआई ने उनके खिलाफ आरोप-पत्र भी दाखिल किया।
डीपी पर 9 हत्या, तीन हत्या के प्रयास, दो डकैती के साथ तमाम मुकदमें अपहरण और फिरौती वसूलने के मामले दर्ज हो चुके हैं। इतना ही नहीं एनएसए के साथ टाडा और गैंगस्टर एक्ट के तहत भी कार्रवाई हो चुकी है। यादव के खिलाफ अधिकांश मुकदमें हरियाणा के अलावा उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद, बुलंदशहर और बदायूं जिले में दर्ज हैं। बहुचर्चित केस जेसिका लाल हत्याकांड में भी यादव का नाम उछला था और मनु शर्मा के साथ इसका बेटा विकास यादव दोषी सिद्ध हो चुका है।
80 के दशक में कांग्रेस के बलराम सिंह यादव ने डीपी यादव को गाजियाबाद जिले में कांग्रेस पिछड़ा वर्ग का अध्यक्ष बनाया। इसी बीच वह महेंद्र सिंह भाटी के संपर्क में आया और वो उसे राजनीति में लाए। पहली बार डीपी यादव विसरख से ब्लॉक प्रमुख चुना गया। इसके बाद वह मुलायम सिंह यादव के संपर्क में आ गया। मुलायम के समाजवादी पार्टी गठन करने के बाद डीपी यादव उसमें शामिल हो गए। मुलायम सिंह यादव ने यादव को बुलंदशहर से टिकट दिया और वह धनबल व बाहुबल का दुरुपयोग कर आसानी से चुनाव जीत गया।
इतना ही नहीं सरकार बनने पर मुलायम सिंह यादव ने इसे मंत्रिमंडल में शामिल किया और पंचायती राज मंत्रालय की ज़िम्मेदारी दी, लेकिन यह दोस्ती ज्यादा नहीं चल सकी। मुलायम सिंह यादव ने डीपी से ही किनारा कर लिया और यह दोस्ती दुश्मनी में बदल गई। इसका ही नतीजा था कि लोकसभा चुनाव में डीपी यादव ने मुलायम सिंह यादव के खिलाफ चुनाव लड़ा लेकिन वह चुनाव हार गया। इसके बाद प्रो. रामगोपाल यादव के विरुद्ध भी चुनाव लड़ा, पर कामयाबी नहीं मिली।
2009 लोकसभा चुनाव में मुलायम सिंह यादव के भतीजे धर्मेन्द्र यादव के विरुद्ध बदायूं लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और इस चुनाव में भी हार गया। इसके बाद यादव भाजपा और बसपा में भी रहा और एक-एक कर जब सबने किनारा कर लिया, तो अपनी राष्ट्रीय परिवर्तन दल नाम की पार्टी गठित कर ली, जो बदायूं और संभल क्षेत्र में पहचान बना चुकी है। डीपी यादव संभल लोकसभा क्षेत्र से सांसद एवं राज्यसभा सदस्य के साथ बदायूं के सहसवान क्षेत्र से विधायक रह चुका है। पिछली बार पूर्ण बहुमत की बसपा सरकार आने पर इसने अपने दल का बसपा में विलय कर लिया था और अपने भतीजे जितेंद्र यादव को एमएलसी बना दिया। इतना ही नहीं साले भारत सिंह यादव की पत्नी पूनम यादव को जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर आसीन करा दिया। डीपी यादव को उनके सहयागी मंत्री जी कह कर पुकारते हैं। मंत्री जी कहलाना उसे पसंद भी है।
6 comments