देहरादून: सचिवालय में हिमालय दिवस के अवसर पर आयोजित संक्षिप्त कार्यक्रम में मुख्यमंत्री हरीश रावत ने शासन के वरिष्ठ अधिकारियों को हिमालय संरक्षण की शपथ दिलाई। हिमालय को सबसे बड़ी विरासत बताते हुए पर्यावरण अनुकूल परम्परागत पद्धतियों को संरक्षित और पुनर्जीवित करने व जैविक खेती, चाल-खाल, वृक्षारोपण व जल संसाधनों का संरक्षण करते हुए हिमालय के अस्तित्व को बचाए रखने की प्रतिज्ञा दिलाई गई। मुख्यमंत्री श्री रावत ने अधिकारियों से सेल्फ-मोटिवेटेड होते हुए पर्वतीय क्षेत्रों के एक-दो गांवों को गोद लेने को कहा। इस अवसर पर मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह सहित शासन में प्रमुख सचिव, सचिव व अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। कार्यक्रम के बाद मीडिया से अनौपचारिक बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि उत्तरी भारत का जनजीवन मध्य हिमालय पर निर्भर है। देश व पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेवारी निभाने के लिए उत्तराखण्ड सीमित संसाधनों के होते हुए भी तत्पर है। हरेला पर्व के साथ हमने वृक्षारोपण को बड़े अभियान के तौर पर चलाया है। हम पेड़ लगाने पर बोनस दे रहे हैं, दुग्ध उत्पादन पर बोनस दे रहे हैं। साथ ही जल संरक्षण में चाल-खाल को प्रोत्साहित करने के लिए वाटर बोनस का भी निर्णय लिया है। हम अपने सीमित संसाधनों के साथ अपनी जिम्मेवारी निभाने के लिए तत्पर हैं। राज्य की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए संसाधन उपलब्ध करवाने में देश को भी आगे आना चाहिए।
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