नई दिल्ली: केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. महेश शर्मा आज कैनबरा, ऑस्ट्रेलिया की नेशनल गैलरी ऑफ ऑस्ट्रेलिया (एनजीए) में आयोजित एक विशेष समारोह में शामिल हुए। इस समारोह में सीनेटर मिच फीफिल्ड ने उन्हें भारत से चुराई और तस्करी के जरिये भारत से बाहर भेजी गई तथा अनजाने में ऑस्ट्रेलिया की नेशनल गैलरी द्वारा हासिल की गई तीन प्राचीन कलाकृतियां औपचारिक रूप से सौंपी। इऩ लौटाई गई कलाकृतियां में बैठे हुए बुद्ध, देवी प्रत्यांगिरा और बुद्ध के भक्तों की मुद्रा दर्शायी गई हैं। इन कलाकृतियों पर एक संक्षिप्त पृष्ठभूमि नोट भी संलग्न किया गया है। इससे पहले सितंबर, 2014 में ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने अपनी भारत यात्रा के दौरान ‘शिव की नृत्य मुद्रा’ की प्रतिमा लौटाई थी।
इन कलाकृतियों को प्राप्त करते हुए, डॉ. महेश शर्मा ने कहा कि इन प्राचीन कलाकृतियों को लौटाने के प्रशंसनीय कार्य के लिए हम ऑस्ट्रेलिया की सरकार और प्रधानमंत्री मैल्कम टर्नबुल तथा मंत्री मिच फीफिल्ड का आभार व्यक्त करते हैं। उनके इस कार्य से दोनों देशों के मध्य संबंधों को मजबूत बनाने में एक बड़ा संदेश जाएगा।
इस अवसर पर मंत्री मिच फीफिल्ड ने कहा कि यह नेशनल गैलरी ऑफ ऑस्ट्रेलिया का एक नैतिक प्रदर्शन है। उन्होंने कहा कि यह एक प्रक्रिया है जिसमें भारतीय और ऑस्ट्रेलियाई सरकारें दोनों देशों के मध्य द्विपक्षीय संबंधों की गुणवत्ता और मजबूत संबंधों के लिए मिलकर काम करने का प्रमाण दर्शाती हैं। भारतीय उच्चायुक्त श्री नवदीप सूरी और नेशनल गैलरी ऑफ ऑस्ट्रेलिया के शीर्ष अधिकारियों ने भी इस समारोह में भाग लिया। डॉ. महेश शर्मा ने दोपहर बाद ऑस्ट्रेलिया के सहायक व्यापार, पर्यटन और निवेश मंत्री श्री कीथ पिट से मुलाकात की और उनके साथ आपसी हितों के विभिन्न द्विपक्षीय मुद्दों के बारे में बातचीत की।
डॉ. महेश शर्मा 18 से 20 सितंबर, 2016 तक ऑस्ट्रेलिया की सरकारी यात्रा पर हैं। 18 सितंबर को उन्होंने सिडनी के प्रतिष्ठित ओपेरा हाउस में ‘संगम – भारत महोत्सव’ के संबंध में आयोजित एक समारोह में भाग लिया। 19 सितंबर को डॉ. शर्मा ने कैनबरा में आयोजित कई द्विपक्षीय बैठकों में भाग लिया। उन्होंने संचार मंत्री और कला सीनेटर मिच फीफिल्ड से मुलाकात की और कला, संस्कृति तथा लोगों में संपर्क के क्षेत्रों में सहयोग से संबंधित विभिन्न द्विपक्षीय मामलों के बारे में विचार-विमर्श किया। उन्होंने भारत महोत्सव में अपना जबरदस्त सहयोग देने के लिए कला विभाग को धन्यवाद दिया और कहा कि इस सहयोग से यह महोत्सव वास्तव में भारतीय – ऑस्ट्रेलियाई महोत्सव बन गया।