नई दिल्ली: कृष्णा नदी पर सर्वोच्च परिषद की बैठक आज नई दिल्ली में आयोजित की गई, जिसमें कृष्णा नदी में जल को मापने के लिए टेलीमेटरी प्रणालियां स्थापित करने का निर्णय लिया गया, ताकि इस नदी में जल प्रवाह के नवीनतम आंकड़े प्राप्त हो सकें। केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती की अध्यक्षता में आयोजित सर्वोच्च परिषद की बैठक में दोनों ही राज्यों के नदी बेसिन के अध्ययन के लिए संयुक्त टीमों के गठन का भी निर्णय लिया गया। इन संयुक्त टीमों में दोनों ही राज्यों और केन्द्र के विशेषज्ञ होंगे। ये टीमें जल बंटवारे पर अपनी रिपोर्ट देंगी, जिन्हें त्वरित निर्णय के लिए कृष्णा ट्रिब्यूनल को भेज दिया जाएगा। बैठक के बाद मीडिया को जानकारी देते हुए सुश्री भारती ने कहा कि यह बैठक बेहद सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई। उन्होंने कहा कि दोनों ही राज्य अन्य संबंधित मुद्दों पर आधिकारिक स्तर पर सलाह-मशविरा आगे भी जारी रखेंगे। इस बैठक में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री एन चन्द्रबाबू नायडू और तेलंगाना के मुख्यमंत्री श्री के चन्द्रशेखर राव ने भी भाग लिया।
गंगा नदी के लिए राष्ट्रीय परिषद के गठन को आज कैबिनेट से मिली मंजूरी का उल्लेख करते हुए सुश्री भारती ने कहा कि यह सरकार के गंगा संरक्षण कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। सुश्री भारती ने कहा कि इस निर्णय से गंगा नदी के पर्यावरणीय संरक्षण के लिए एनएमसीजी को और ज्यादा अधिकार मिलेंगे। उन्होंने कहा कि पारदर्शिता एवं किफायत सुनिश्चित करने के लिए समवर्ती ऑडिट एवं सुरक्षा ऑडिट के लिए प्रावधान किया गया है। उन्होंन कहा कि इस कदम से गंगा नदी के प्रदूषण में प्रभावशाली ढंग से कमी सुनिश्चित होगी और इससे नदी में पारिस्थितिक प्रवाह को बनाए रखने में मदद मिलेगी। सुश्री भारती ने यह जानकारी दी कि 11 शहरों के 22 प्रमुख नालों के लिए निविदाएं अगले सप्ताह तक जारी की जाएंगी। हाइब्रिड वार्षिकी मोड पर गंगा में होने वाले सीवर प्रवाह में 90 फीसदी हिस्सा इन्हीं 22 प्रमुख नालों का रहता है।