देहरादून: राज्य विधि एवं परिसीमन आयोग की बैठक आयोग के अध्यक्ष जगमोहन सिंह नेगी की अध्यक्षता मे विधान सभा के सभागार में सम्पन्न हुई, जिसमें राज्य के निष्क्रिय पड़े कानूनों मे बदलाव एवं नये कानूनों को बनाने पर विचार-विमर्श किया गया ।
बैठक में आयोग के अध्यक्ष जगमोहन सिंह नेगी ने कहा कि आज राज्य में कई कानून ऐसे हैं, जो कि प्रदेश की जनता पर बोझ बने हुए हैं, जिनकी राज्य में कोई उपयोगिता नहीं है। राज्य में भूमि कानूनों की उपयोगिता कंे दृष्टिगत आयोग की बैठक कर आम जनता/अधिवक्ताओं से सुझाव आमन्त्रित किये जायेंगे। उन्होंने बताया कि जमीदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम 1950 में व्यापक संशोधन का प्रारूप तैयार लिया गया है, जो मुुख्यमंत्री को भेजा जा रहा है। इसके अतिरिक्त जिन कानूनों के निरसन(रिपील)की आवश्यकता आयोग ने महसूस की है, उसका प्रतिवेदन भी तैयार कर मुख्यमंत्री को प्रेषित किया जा रहा है।
बैठक में सर्व सम्मति से निर्णय लिया गया कि राज्य के सभी जनपदो पर राज्य एवं विधि परिसीमन आयोग की बैठक आयोजित की जायेगी, जिसमें आमजन/अधिवक्ताओं से सुझाव आमंत्रित कर एक राय होकर राज्य के हितो को ध्यान रखते हुए जनउपयोगी कानून बनाने की संस्तुति सरकार को की जायेगी, तथा जिन कानूनों की राज्य मे ंकोई उपयोगिता नहीं है,उनको तत्काल समाप्त करने की संस्तुति भी सरकार से की जायेगी तथा जो कानून राज्यहित/जनहित में उपयोगी हैं, उन्हें मूर्तरूप देने के लिए आयोग हर सम्भव प्रयास करेगा।
बैठक में आयोग द्वारा राज्य में बढ़ती बेरोजगारी तथा शिक्षित युवाओं के पहाड़ों से पलायन पर चिन्ता व्यक्त करते हुए उनकी आजीविका के सम्बन्ध में उचित प्रस्ताव तैयार करने के लिए सदस्य सचिव को निर्देशित किया गया, जिससे कि पहाड़ों से हो रहे पलायन को रोकने के लिए ठोस नीति सरकार के समक्ष रखी जा सके।
बैठक में अध्यक्ष/उपाध्यक्ष/सदस्यों द्वारा आयोग को पुनर्जीवित करते हुए पुनः जिम्मेदारी सौंपने पर मुख्यमंत्री का आभार प्रकट करते हुए कहा कि जनआकांक्षाओं पर आयोग खरा उतरने के लिए प्रयासरत रहेगा।
बैठक में उपाध्यक्ष श्री रमेश कापड़ी, दिनेश तिवारी एवं सदस्य रामसिंह बसेड़ा, सुधीर त्यागी, वी0पी0कोटनाला, सुरेन्द्र पुण्डीर, दिनेश त्यागी एवं सदस्य सचिव भारत भूषण पाण्डेय उपस्थित थे।