नई दिल्ली: केन्द्रीय विद्युत, कोयला, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा और खनन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री पीयूष गोयल ने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत आज एक कोयला अधिशेष राष्ट्र होते हुए भी हमें अन्य देशों से कोयला आयात करना पड़ रहा है। मीडिया के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री गोयल ने कहा कि ऐसा इस वजह से है कि हमारे ऊर्जा संयंत्रों को इस तरह से बनाया गया है कि ये स्वदेशी कोयले से कार्य न कर पायें।
इस अवसर पर बोलते हुए श्री पीयूष गोयल ने बताया कि कोल इंडिया ने अगले छह महीनों में करीब 15 लाख टन आयातित कोयले को स्वदेशी कोयले से बदलने का लक्ष्य रखा है। मंत्री जी ने सभी से आग्रह करते हुए कहा कि इस चुनौती से निपटने के लिए आप नए विचारों के साथ आगे आयें।
विद्युत विकेन्द्रीकरण के पहल के बारे में बात कर रहे हुए मंत्री जी ने कहा कि अक्षय ऊर्जा की ओर जाने के साथ ही हम वितरित ऊर्जा उत्पादन पर भी ध्यान केंद्रित कर रहे हैं जहां उपभोक्ता ही स्वयं बिजली उत्पादन शुरू कर सकता है। वास्तव में, घर की छतों पर सौर ऊर्जा (विद्युत) कार्यक्रम का विस्तार करते हुए विद्य़ुत उत्पादन को अगले 6 वर्षों में 300 मेगावाट से बढ़ाकर 40 हजार मेगावाट करने की योजना है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इससे वैसे क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को काफी फायदा मिलेगा जहां ग्रिड आधारित बिजली की आपूर्ति संभव नहीं है।
जलवायु परिवर्तन की समस्या पर चर्चा करते हुए श्री गोयल ने इस बात को दोहराया कि भारत का यह मानना है कि जलवायु परिवर्तन से लड़ना एक वैश्विक जिम्मेदारी है। साथ ही ये भी कहा कि, यह जरूरी है कि विश्व स्थायी जीवन शैली का प्रयास करे। ऊर्जा का व्यर्थ उपयोग आज एक बड़ी चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि हमें यह देखना होगा कि कैसे विकसित देश इस समस्या के समाधान के लिए कार्य कर रहे हैं।