14.8 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

पहला विश्व सुनामी जागरुकता दिवस एएमसीडीआरआर में मनाया जाएगा

देश-विदेश

नई दिल्ली: पहला विश्व सुनामी जागरुकता दिवस 05 नवंबर, 2016 को मनाया जाएगा। इस अवसर का स्मरण करने के लिए आपदा जोखिम न्यूनीकरण (डीआरआर) चैम्पियन्स के साथ आपदा जोखिम न्यूनीकरण हेतु एशियाई मंत्री स्तरीय सम्मेलन (एएमसीडीआरआर) 2016 में एक समारोह का आयोजन किया जाएगा।

इस सम्‍मेलन का आयोजन भारत सरकार द्वारा 3 से 5 नवंबर, 2016 को नई दिल्‍ली के विज्ञान भवन में संयुक्‍त राष्‍ट्र आपदा जोखिम न्‍यूनीकरण कार्यालय (यूएनआईएसडीआर) के सहयोग से किया जा रहा है।

सुनामी जागरुकता के लिए 05 नवंबर के इस दिन का महत्व वर्ष 1854 से जुड़ा हुआ है। जापान के वाकायामा प्रीफैक्चर में एक ग्रामीण 05 नवंबर, 1854 को आए एक उच्च तीव्रता के भूकंप के बाद आने वाली सुनामी की आशंका से चिंतित था। उसने एक पहाड़ी की चोटी पर चावल के चरखी में आग लगा दी। दूसरे ग्रामवासी जो आग को बुझाने के लिए पहाड़ी पर चढ़े, वे उस सुनामी के प्रकोप से बच गए, जिसने उनके गांव को तबाह कर दिया। सुनामी को लेकर प्रारंभिक चेतावनी का यह पहला प्रलेखित उदाहरण था।

‘इनामुरा नो ही’ (चावल की चरखियों का जलना) दिवस को मनाने के लिए जापान समेत 142 देशों द्वारा संयुक्त रूप से एक प्रस्ताव रखा गया, जोकि आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर तीसरे संयुक्त राष्ट्र विश्व सम्मेलन एवं टिकाऊ विकास के लिए 2030 के एजेंडा के आगे की कार्यवाही थी। संयुक्त राष्ट्र संघ ने 05 नवंबर को विश्व सुनामी जागरुकता दिवस निर्दिष्ट किया।

इस दिवस को मनाए जाने से सुनामी के खतरों से संबंधित मामलों में विश्व भर में लोगों के बीच जागरुकता का प्रसार होगा और यह इस विनाशकारी प्राकृतिक आपदा से अक्सर होने वाले नुकसान को कम करने में प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के महत्व पर जोर देगा।

पूरे सम्मेलन के दौरान विषयगत समारोहों, प्रदर्शनियों एवं जागरुकता सामग्रियों के वितरण के जरिए जागरुकता बढ़ाने वाले कार्यकलापों का आयोजन किया जाएगा। 2004 में हिंद महासागर में आई विनाशकारी सुनामी के बाद भारत सरकार ने हैदराबाद में भारतीय राष्ट्रीय समुद्र सूचना सेवा केन्द्र (आईएनसीओआईएस) के तहत एक भारतीय सुनामी प्रारंभिक चेतावनी केन्द्र (आईटीईडब्ल्यूसी) की स्थापना की। 2007 से संचालनगत इस केन्द्र के पास समस्त हिंद महासागर क्षेत्र के लिए सुनामी बुलेटिनों के निर्माण एवं प्रसार के लिए अत्याधुनिक बुनियादी ढांचा है।

भारत ने हिंद महासागर क्षेत्र के अन्य 23 देशों के साथ मिलकर 07-08 सितंबर, 2016 को एक सुनामी मॉक ड्रिल में भाग लिया। जागरुकता बढ़ाने के अतिरिक्त, इस ड्रिल ने सुनामी एवं इसी प्रकार की अन्य आपाताकालीन स्थितियों से निपटने में सहभागी देशों की तैयारियों की भी समीक्षा की।

Related posts

86 comments

Leave a Comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More