लखनऊ: प्रदेश की विभिन्न परियोजनाओं हेतु भू-स्वामियों/भूमिधरों से आपसी समझौते से सीधे भूमि क्रय किए जाने की प्रक्रिया को मंजूरी प्रदान कर दी गई है। वर्ष 2013 के नये भू-अर्जन अधिनियम के प्राविधानों के अन्तर्गत अधिग्रहण के माध्यम से भूमि प्राप्त करने की प्रक्रिया के जटिल एवं श्रम साध्य होने के कारण तथा होने वाले विलम्ब को रोकने एवं विवाद रहित विधि से भू-स्वामियों की सहमति से भूमि प्राप्त करने की प्रक्रिया निर्धारित की जा रही है।
इसके अन्तर्गत राजकीय विभागों, स्वायत्तशासी निकायों, स्थानीय निकायों, परिषदों, प्राधिकरणें तथा पब्लिक प्राइवेट भागीदारी परियोजनाओं हेतु भूमि क्रय की जाएगी। इस व्यवस्था में कुल 10 करोड़ रुपये कीमत तक भूमि की दर एवं कुल मूल्य निर्धारण हेतु अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) और इससे अधिक की कुल कीमत की भूमि के प्रकरणों हेतु जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित की जाने वाली समिति के दर व मूल्य निर्धारण के उपरान्त सक्षम स्तर के अनुमोदन से संबंधित क्रय निकाय द्वारा भूमि क्रय की जाएगी। क्रय की जाने वाली भूमि की दर शहरी क्षेत्रों में बाजार मूल्य/सर्किल दर के दो गुने व ग्रामीण क्षेत्रों में चार गुने से अधिक नहीं होगी। साथ ही, भू-स्वामियों को भूमि पर स्थित सम्पत्ति, वृक्ष एवं खड़ी फसल आदि का भी मूल्य दिया जाएगा। इसके अतिरिक्त भूमि के कुल मूल्य की गणना करते समय पुनर्वासन एवं पुनव्र्यवस्थापन संबंधी लाभों को भी ध्यान में रखा जाएगा। यदि आपसी सहमति से भूमि क्रय करने का प्रयास विफल रहता है तो परियोजना हेतु भूमि के अधिग्रहण की कार्यवाही वर्ष 2013 के अधिनियम एवं अन्य सुसंगत नियमों/शासनादेशों के अन्तर्गत की जाएगी। आपसी सहमति से क्रय विषयक सिंचाई विभाग के शासनादेश दिनांक 08 अक्टूबर, 2012 एवं अवस्थापना विभाग के शासनादेश दिनांक 02 सितम्बर, 2013 को निरस्त करने अथवा संशोधित करने के सम्बन्ध मंे पृथक से निर्णय लिया जाएगा।