नई दिल्ली: एथनॉल मिश्रित पेट्रोल (ईबीपी) कार्यक्रम को सरकार ने वर्ष 2003 में लांच किया था, जिसका विस्तारीकरण अधिसूचित 21 राज्यों और 4 केन्द्र शासित प्रदेशों में किया गया है, ताकि वैकल्पिक एवं पर्यावरण अनुकूल ईंधनों के उपयोग को बढ़ावा दिया जा सके। ईबीपी कार्यक्रम का एक उद्देश्य ऊर्जा जरूरतों के लिए आयात पर निर्भरता घटाना भी है।
हालांकि, वर्ष 2006 से ही एथनॉल मिश्रण का लक्ष्य विभिन्न कारणों से हासिल नहीं हो पा रहा है। राज्य से जुड़े विशेष मुद्दे, आपूर्तिकर्ता से जुड़े मुद्दे, एथनॉल के मूल्य निर्धारण से जुड़े मुद्दे इत्यादि इन बाधाओं में शामिल हैं। वर्ष 2006 से लेकर वर्ष 2013 तक हर साल केवल लगभग 20 करोड़ लीटर का ही मिश्रण किया जा सका और चीनी वर्ष 2013-14 के दौरान 38 करोड़ लीटर एथनॉल को ईबीपी के लिए उपलब्ध कराया गया।
एथनॉल की आपूर्ति बढ़ाने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में अनेक कदम उठाए गए हैं। तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) में एथनॉल के वितरण मूल्य को तय करना, खरीद संबंधी प्रक्रियाओं को सरल बनाना और राज्य से जुड़े मुद्दों को राज्य सरकारों के समक्ष उठाना इन कदमों में शामिल हैं।
उपरोक्त कदमों का असर चालू सीजन में भी देखा जा रहा है और ईबीपी कार्यक्रम के शुभारंभ के बाद पहली बार सार्वजनिक क्षेत्र की ओएमसी द्वारा एथनॉल की खरीदारी किसी भी आपूर्ति वर्ष के दौरान 100 करोड़ लीटर के पार गई है। यह उम्मीद की जा रही है कि सार्वजनिक क्षेत्र की ओएमसी इस आपूर्ति वर्ष में 110 करोड़ लीटर एथनॉल का मिश्रण करने में समर्थ साबित होंगी, जो इसका सर्वकालिक रिकॉर्ड है।
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