वाराणसी: दुनिया की सैर पर निकला सोलर पावर से संचालित एयरक्राफ्ट सोलर इम्पल्स बुधवार की रात पौने नौ बजे वाराणसी पहुंच गया। बाबतपुर स्थित लाल बहादुर शास्त्री हवाई अड्डा पर लैंड करने से पहले प्लेन ने गंगा के ऊपर भी चक्कर लगाया। बिना ईंधन के सौर ऊर्जा से उड़ान भरने वाले इस विमान को गंगा आरती के दौरान घाटों से देखने वालों को निराशा का सामना करना पड़ा। विज्ञान की दुनिया के इस चमत्कार की उड़ान को देखने के लिए गंगा के उस पार भी लोगों की उत्सुकता देखने लायक थी।
एयरपोर्ट पर सोलर इम्पल्स की अगवानी करने के लिए स्विटजरलैंड के राजदूत के साथ प्रशासन व एयरपोर्ट के अधिकारी मौजूद थे। सोलर इम्पल्स के लैंडिंग को लेकर देशभर की मीडिया का जमावड़ा लगा रहा। भारत में दुनिया के पहले सोलर प्लेन की मेजबानी की जिम्मेदारी संभाले बिरला ग्रुप के लोग शाम को ही एयरपोर्ट पर पहुंच गये थे। एयरपोर्ट के टर्मिनल बिल्डिंग में सौर ऊर्जा के हवाई करिश्मा को देखने के लिए लोगों की भीड़ को देखते हुए प्रोजेक्टर का इंतजाम किया गया था। अहमदाबाद के लोगों को जहां सोलर प्लेन को नजदीक से देखने का कई दिन मौका मिला वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र के लोग इससे मरहूम रहे।
अहमदाबाद से बनारस का सोलह घंटे में 1071 किमी का सफर करके सोलर प्लेन के लैंडिंग के दौरान एयरपोर्ट पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। एयरपोर्ट से सटे इलाकों में पुलिस का सुरक्षा दस्ता मार्च करता रहा। बनारस से बृहस्पतिवार को चौथी उड़ान भरने के लिए सोलर प्लेन म्यांमार के लिए रवाना होगा। सोलर विमान 1071 किमी की हवाई दूरी को बीस घंटे में तय करेगा।
12 साल, साढ़े नौ अरब हुए खर्च सोलर इम्पल्स नामक बिना ईंधन से उड़ने वाले इस विमान के निर्माण में बारह साल का समय और साढ़े नौ अरब रूपए खर्च हुए है। सन् 2003 में स्विट्जरलैंड में यह बनना प्रारंभ हुआ। निर्माण होने के बाद अबू धाबी से 9 मार्च 2015 को दुनिया की सैर पर निकला ‘सोलर इम्पल्स’ इस अभियान में 35 हजार किलोमीटर का सफर तय करेगा। एक टेलीफोन बूथ के बराबर इसके कॉकपिट में दो लोगों के बैठने व एक व्यक्ति सो सकता है। लंबे सफर के दौरान पॉयलट प्लेन को केवल 20 मिनट तक ही ऑटो पायलट मोड में रख सकता है। अधिकतम 72 घंटे तक बिना सूरज की रोशनी के उड़ सकता है। इसका कंट्रोलरूम यूरोप के मोनैको सिटी में बनाया गया है।