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चना एवं अरहर की फसल में फली छेदक कीट का नियंत्रण करें: कृषि निदेशक

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लखनऊ: प्रदेश के विभिन्न जनपदों में विगत दिनों हुई वर्षा के उपरांत खेतों में रबी की दलहनी फसलें चना एवं अरहर में फली छेदक कीट हेलीकेावर्पा आर्मीजेरा का प्रकोप संभावित है, जिस हेतु फसलों की नियमित निगरानी रखते हुए कीट का प्रादर्भाव होने के उपरांत आर्थिक क्षति स्तर 1-2 सूड़ी प्रतिवर्ग मीटर का प्रकोप आरम्भ होने पर समय से नियंत्रण कार्य किया जाना आवश्यक है फली छेदक कीट की सूड़ियो के द्वारा फसल की पत्तियों, फूलो व फलियों को खाकर क्षति पहुंचाया जाता है। प्रकोप के आरम्भिक अवस्था में छोटी सूड़ियों के द्वारा कोमल पत्तियों एवं फूलों को खाकार एवं फलियों के ऊपरी भाग को खुरचकर क्षति पहंचाई जाती है। तत्पश्चात सूड़ियों के द्वारा फलियों में छेद करके अन्दर के दाने को खाकर अत्यधिक क्षति पहुंचाई जाती है। अधिक प्रकोप की अवस्था में एवं समुचित नियंत्रण के अभाव में 80 प्रतिशत तक फसल की क्षति संभावित होती है। बड़ी अवस्था की सूड़ियों की अपेक्षा छोटी अवस्था में सूड़ियों का नियंत्रण किया जा सकता है। कृषि निदेशक श्री आदेश कुमार बिश्नोई ने बताया कि चना एवं अरहर में कीट के नियंत्रण हेतु फैरोमोनटैªप का प्रयोग कर या खेतों में उड़ते हुए वयस्क अवस्था के कीटों पतंगों की पहचान करके छोटी अवस्था के सूड़ियों को बायोपेस्टीसाइड एन0पी0वी0एच0 की 250 एल0ई0 प्रति हे0 की दर से घोल बनाकर सायंकाल में छिड़काव करना चाहिए। प्रकोप बढ़ने की दशा में रसायनिक नियंत्रण हेतु क्यूनालफास 25 ई0सी की 1.5 ली0 या मोनोफोटोफास 36 ई0सी0 की 750 मिली0 या फेनवेलरेट 20 ई0सी0 की 750 मिली0 को प्रति हे0 की दर से आवश्यक पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए। कीट प्रकोप को नियंत्रित होने तक आवश्यकतानुसार 7 से 10 दिन के अन्तराल पर दो से तीन छिड़काव करना चाहिए। दो छिड़काव के मध्य एक छिड़काव निम्बोली के 5 प्रतिशत अर्क या एजेडिरेक्टीन के घोल का छिड़काव लाभप्रद होता है। कृषि निदेशक ने बताया कि इस संबंध में कृषकों को जागरूक कर एवं फसल की निगरानी रखते हुए देय शासकीय सुविधाओं पर कीटनाशक/बायोपेस्टीसाइड के प्रयोग का लाभ किसानों को प्राप्त कराया जाय। इस कीट की जनपदीय निगरानी एवं नियंत्रण कार्य की प्रगति सूचना नियमित रूप से निदेशालय के दलहन एवं कृषि रक्षा अनुभाग को उपलब्ध कराई जाय।

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