21 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

भारत और श्रीलंका के बीच मछुआरों के मुद्दे पर चर्चा के दौरान कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राधा मोहन सिंह का संबोधन

آج برلن، جرمنی میں منعقدہ وزراء زراعت کی کانفرنس سے رادھا موہن سنگھ کا خطاب
कृषि संबंधितदेश-विदेश

नई दिल्ली: 1. श्रीलंका के माननीय विदेश मंत्री श्री मंगला समरवीरा, श्रीलंका के मा० मात्स्यिकी मंत्री श्री महिंदा अमरावीरा और श्रीलंका के प्रतिनिधि मंडल के समस्त सदस्यो का भारतआगमन पर हार्दिक स्वागत ।

2.      श्रीलंका के मा० मात्स्यिकी मंत्री श्री महिंदा अमरावीरा ने हमारा निमंत्रण स्वीकार किया और यहाँ पधारे,उनका विशेष धन्यवाद और आभार।  

3.      आशा है कि दोनो देशो के मछुवारो (फिशरमैन) की समस्याओ और उनसे जुडे कुछ जटिल मुद्दो पर आज हम एक उपयोगी चर्चा करते हुये एक सार्थक हल की ओर अग्रसर होंगे।    

4.      भारत और श्रीलंका के बीच 2500 साल से भी पुराने प्रगाढ संबंध रहे हैं, जो परस्पर हमारी बौद्धिक,सांस्कृतिक, धार्मिक और भाषाई बातचीत की विरासत पर आधारित हैं। दोनो देशो के बीच शिक्षा, संस्कृति और रक्षा के क्षेत्र में विकास साथ ही साथ अंतरराष्ट्रीय हितो के प्रमुख मुद्दों पर आपस मे हमारी एक व्यापक समझ और तालमेल है।

5.      भारत और श्रीलंका के बीच स्थित पाक खाड़ी क्षेत्र मे भारतीय और श्रीलंकाई मछुआरे सदियों मछली पकड़ते रहे है। [अंतर्राष्ट्रीय नियमो को ध्यान मे रखते हुये, दोनो देशो ने 1974 तथा 1976 मे अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमारेखा(IMBL) निर्धारित किए जाने सम्बंधी समझौते, परस्पर आपसी सहमति से किये हैं, हम उसका पूरा सम्मान करते हैं।]  

6.      दोनों देशों के जल क्षेत्र की निकटता को देखते हुए, विशेष रूप से पाकस्ट्रेट और मन्नार की खाड़ी में मछुआरों के भटकने और IMBL पार करने की घटनाएं आम हैं, जो उनके लिये अब प्रायः जोखिम भरा साबित हो रहा है। तमिलनाडु के मछुआरों (द्वारा श्रीलंकाई समुद्रक्षेत्र में मत्स्यन करने पर उन) की गिरफ्तारी, उनकी नौकओ की जब्ती और कभीकभी श्रीलंकाई नौसेना द्वारा मछुवारो पर आक्रमण या गोली चलाने सम्बंधी घट्नाये भारतसरकार के लिये अत्यंत चिंता का विषय हैं।

7.      दोनों देशों को मछुआरों के अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा पार करने के मुद्दे से निपटने के लिए एक वास्तविक और व्यावहारिक व्यवस्था पर सहमति होनी चाहिये। मछुआरों के हिरासत के मुद्दे से निपटने के लिए एकमानवीय ढंगसे ही इन व्यवस्थाओं का निर्माण होना चाहिये, तथा यह दोनो देशो की परस्पर आपसी सहमति के माध्यम से ही संभव हो सकता है।   

8.      इस समस्या का स्थायी समाधान निकालने के लिये भारतसरकार प्रतिबद्ध है। भारतश्रीलंका संयुक्त आयोग(जोइंट कमीशन) द्वारा फरवरी 2016 को कोलंबो में हुई बैठक मे, मछुआरों के मुद्दे की पेचीदगियों को समझते हुये दोनों पक्षों ने आगे बढ्ते हुये इस मुद्दे का स्थायी समाधान खोजने की जरूरत पर सहमति जतायी है। भारत के माननीय प्रधानमंत्री और श्रीलंका के माननीय राष्ट्रपति की नई दिल्ली में मई 2016 को हुयी बैठक मे भी मछुआरों के मुद्दों पर बात हुयी थी, जिसमे दोनो देश के शीर्ष नेताओ ने श्रीलंका और भारतीय मछुआरों की समस्या के एक स्थायी समाधान निकालने को ले चर्चा की है।

9.      इसी क्रम मे हमने पहल करते हुये 22 जुलाई 2016 को पत्र के माध्यम से श्रीलंका के माननीय फ़िशरीश मिनिस्टर को भारत आने का आमंत्रण दिया था। हमारी इस पहल का स्वागत करते हुये श्रीलंका ने भी तत्काल भारतीय मछुवारो की रिहाई करते हुये एक सकारात्मक संदेश दिया था, जिसका हम स्वागत करते हैं। श्रीलंका ने हाल ही मे जो और भारतीय मछुवारो की रिहाई की है, इसके लिये हम पुनः आभार व्यक्त करते हैं।      

10.  2 नवम्बर, 2016 को भारतश्री लंका के मछुवारा संगठनो के बीच हुई बैठक मे श्री लंका के मछुवारा संगठनो द्वारा व्यक्त की गयी चिंताओ से हम अवगत हैं। पाक खाड़ी क्षेत्र में बाटमट्रालिंग या ऐसे अन्य विनाशकारी मछली पकड़ने के तौरतरीको, जिनसे समुद्रीपर्यावरण एवम जैवविविधता की क्षति होती हो, उन पर रोक लगाने की उनकी मांग से हम सहमत हैं। वर्तमान मे आजीविका की जरूरतो को पूरा करते हुये, भविष्य की पीढियो के प्रति हम अपने प्राक्रतिक संसाधनो और जैवविविधता की उपलब्धता को बनाये रख सके, इसके लिये हमे सजगता के साथ और सामूहिक प्रयास करने होंगे।          

11.  भारत एवम श्रीलंका के बीच मत्स्यिकी मे आपसी सहयोग एवम मछुआरों की जल्द रिहाई से संबंधित पहलुओं तथा अन्य द्विपक्षीय मुद्दो पर आपसी विमर्श के उद्देश्य को लेकर दोनो देशो के विदेश मंत्रालयो द्वरा जोसंयुक्त कार्य समू(जे.डब्लयू.जी.) 2005 में गठित किया गया थ, उसकी प्रक्रिया को भी परस्पर और आगे बढाना चाहिये

12.  भारत एवम श्रीलंका के मछुआरा संगठनों के बीच 2 नवम्बर 2016 को हुई पिछ्ली बैठक एक सौहार्द्पूण एवम सकारात्मक वातावरण मे आयोजित हुयी। हालांकि, दोनो देशो के मछुआरा संगठनों की अभी तक आयोजित बैठको मे कोई स्थायी समझ स्थापित नही हो सकी है, फिर भी हमारा मानना है, कि निर्णय की प्रक्रिया मे मछुआरा संगठनों को विश्वास मे लेकर, उन्ही के माध्यम से निकाले गये हल के द्वारा ही हम इस समस्या का स्थायी निराकरण कर सकेंगे।

13.  पाक खाड़ी क्षेत्र में तमिलनाडु के मछुआरे अपने क्षेत्र मे शांतिपूर्वक मछली पकड़ने का कार्य कर अपनी आजीविका कमा सके, और बाटमट्रालिंग को भी चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने की दिशा मे तमिलनाडु की राज्यसरकार तथा हमारी केंद्र सरकार ने भी कुछ प्रभावी एवम सार्थक कदम उठाये हैं।

14.  तटीयसमुद्र मे फिशिंग के अतिरिक्त दबाव को कम किये जाने और डीपसी फिशिंगको प्रोत्साहित करने की दिशा मे भारतसरकार द्वारा भी एक योजना के क्रियांवयन की रूपरेखा बनायी जा रही है, जिसमे पारम्परिक मछुवारो को डीपसी फिशिंगके लिये प्रोत्साहन दिये जाने का प्रस्ताव है। तमिलनाडु समेत अन्य तट्वर्ती राज्यो के पारम्परिक मछुवारो को भी इस प्रस्तावित योजना से डीपसी फिशिंगके लिये शशक्त बनाया जा सकेगा।  हमें आशा है की इस स्कीम के लागू होने से तटवर्ती मछुआरे गहरे समुद्र में मत्स्ययन के लिए प्रोत्साहित होंगे        

15.  तमिलनाडु की बॉटमट्रॉलर नौकाओ के विकल्प के रूप मे वहाँ के मछुवारो को टूनालॉगलाइनर दे करडीपसी फिशिंगके लिए प्रोत्साहित करने सम्बंधी एक विशिष्‍ट पैकेज’  के ऊपर विचार किया जा रहा है। हमारे विभाग द्वारा तमिलनाडु में मूकीयूर फिशिंग हार्बर के निर्माण के लिए अनुमति  प्रदान की गयी है, जिसका कि कार्य राज्य सरकार द्वारा आरम्भ किया जा रहा है साथही साथ रामेश्‍वरम् और एन्‍नोर मे फिशिंग हार्बरनिर्माण के लिये भी प्रयास किये जा रहे हैं। ये सभी प्रस्ताव और उपाय भारत एवम श्रीलंका के बीच मछुवारो की समस्या को हल करने की दिशा मे उपयोगी साबित हो सकते हैं। इसके अलावा मछुआरों को आधुनिक तकनीकि जानकारी और प्रशिक्षण के प्रयास भी किये जा रहे हैं|

16.  हमें विश्वास है कि आज की यह बैठक सार्थक साबित होगी और इस महत्वपूर्ण बैठक मे होने वाले गम्भीर विचारमंथन से अवश्य ही हम दोनो देश मिल कर मछुवारो के मुद्दो और उनकी समस्याओ का स्थायी समाधान निकालने के प्रयास मे सफल होंगे।

हमारा प्रयास है कि भारत मे आपका यह प्रवास सुखद और यादगार रहे 

Related posts

6 comments

Leave a Comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More