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विधान सभा सभागार में राज्य विधि एवं परिसीमन आयोग की बैठक की अध्यक्षता करते हुएः आयोग के अध्यक्ष जगमोहन सिंह नेगी

उत्तराखंड

देहरादून: राज्य विधि एवं परिसीमन आयोग की बैठक आयोग के अध्यक्ष जगमोहन सिंह नेगी की अध्यक्षता मंे विधान सभा के सभागार में सम्पन्न हुई, जिसमें राज्य के निष्क्रिय पड़े कानूनों को हटाने अथवा उनमें संशोधन, नये कानूनों को बनाने तथा आयोग द्वारा प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में आहूत स्थलीय बैठक के सुझावों के क्रियान्वयन विषय पर चर्चा हुई।
अध्यक्ष आयोग जगमोहन सिंह नेगी ने अवगत कराया कि 21 एवं 22 अक्टूबर को श्री बद्रीनाथ धाम तथा 24 अक्टूबर को श्रीनगर में यात्रियों, स्थानीय लोगों एवं दुकानदारों के साथ पर्यटन एवं तीर्थाटन को सुव्यवस्थित रूप से संचालन को लेकर महत्वपूर्ण सुझाव प्राप्त हुए हैं साथ ही प्रदेश के अन्य क्षेत्रों के लोगों से भी आयोग द्वारा स्थानीय लोगों के साथ विचार-विमर्श का क्रम जारी है, तथा उनसे प्राप्त सुझावों को सम्मिलित करते हुए आयोग अपना प्रतिवेदन माह नवम्बर के अन्तिम सप्ताह तक सरकार को देगी। उन्होंने समस्त सदस्यों से लोगों के सुझाव को मध्य नजर रखते हुए अपनी राय आयोग को उपलब्ध कराने की अपेक्षा की ताकि उनके बहुमूल्य सुझावों को शामिल कर प्रतिवेदन माननीय मुख्यमंत्री को माह नवम्बर में दे दिया जाये। उनका मानना था कि 9 नवम्बर 2000 में राज्य के अस्तित्व में आने पर उत्तर प्रदेश जमीदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1980 कुछ संशोधन के साथ हुबहू यहाॅ लागू कर दिया गया था, परन्तु यहाॅं के परिपेक्ष्य में उनमें कुछ सुधार आवश्यक हैं, जिनको लेकर आयोग में यह सहमति बनी हैं कि प्रदेश में भूमि सम्बन्धित एक ही कानून होना चाहिए, जिसमें मैदानी क्षेत्र तथा पहाड़ी क्षेत्र की परिस्थितियों को देखते हुए आवश्यक संशोधन किया जाये, उन्होंने पलायन रोकने के लिए चारों धाम तथा अन्य महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों जागेश्वर, बागेश्वर आदि में यात्रा को रोजगार परक एवं आर्थिकी से जोड़ने के लिए आवश्यक सुधार पर बल दिया। उन्होंने चारों धाम के स्थानीय पुजारी, व्यवसायियों की कठिनाईयों को हल करने की आवश्यकता पर जोर दिया तथा वीरान पड़े पर्वतीय गांव की बंजर भूमि के उपयोग पर भी सदस्यों से सुझाव आमंत्रित किये। साथ ही गांव से बाहर रह रहे भूमिधरों के अधिकारों को भी संरक्षित करने के लिए नये भूमि कानून में प्राविधान करने के लिए सुझाव मांगे। उन्होंने जनता को प्रदेश में लागू कानूनों के प्रति जागरूक करने के लिए इसका संकलन तैयार कर, पब्लिक लायब्रेरियों में रखने के भी अधीनस्थ को निर्देश दिये।
बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि भूमि सम्बन्धित एक कानून को राज्य में लागू किया जाये। इसके लिए राजस्व विभाग द्वारा एक कमेटी गठन करने पर भी चर्चा हुई, तथा आयोग द्वारा संस्तुति राज्य सरकार को भेजने का निर्णय हुआ। वर्तमान में प्रदेश में उत्तर प्रदेश जमीदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1980 लागू है तथा जिसमें वर्ष 2016 में उत्तराखण्ड राज्य के परिपेक्ष्य में कतिपय संशोधन किये गये हैं, कुमाऊॅ क्षेत्र में कुमायू जमीदारी एक्ट तथा जौनसार बाबर एक्ट लागू है। बैठक में निर्णय लिया गया कि प्रदेश में भूमि संबन्धित एक ही कानून होना चाहिए बैठक में निर्णय लिया गया, कि आगामी 26 नवम्बर को कानून दिवस के अवसर पर माननीय मुख्यमंत्री जी को आयोग द्वारा प्रतिवेदन दिया जाय, जिसमें जो कानून राज्य के परिपेक्ष्य में अनुपयोगी हैं, उन्हें समाप्त करने तथा जिनमें संशोधन की आवश्यक है उनमें संशोधन की संस्तुति आयोग द्वारा राज्य सरकार को भेजी जायें।
आयोग के समस्त सदस्यों को विगत दिनों आये सुझावों को उपलब्ध कराते हुए सचिव आयोग भारत भूषण पाण्डेय ने अनुरोध किया कि वे आम जनता से संकलित सुझावों का अध्ययन करते हुए अपने सुझाव दें, ताकि उनका समावेश कर प्रतिवेदन मा0 मुख्यमंत्री को उपलब्ध कराया जा सके। बैठक में यह भी तय हुआ की माननीय मुख्यमंत्री को अवगत कराया जाय कि आयोग द्वारा दी गई संस्तुति के आधार पर राज्य सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देशों को प्रशासनिक अधिकारियों से अनुपालन सुनिश्चित कराया जाय ताकि पात्र लोगों को कानून का लाभ शतप्रतिशत मिल सके।
बैठक में आयोग के उपाध्यक्ष श्री रमेश कापड़ी, उपाध्यक्ष दिनेश तिवारी एवं सदस्य रामसिंह बसेड़ा, वी0पी0कोटनाला, दिनेश त्यागी एवं सदस्य सचिव भारत भूषण पाण्डेय उपस्थित थे।

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