लखनऊ: समाजवादी पार्टी के प्रदेश सचिव व प्रवक्ता दीपक मिश्र ने कहा कि नेताजी मुलायम सिंह ने हमेशा लोहिया और चैधरी चरण सिंह की विरासत व विचारधारा को आगे बढ़ाया है। जो दल व नेता मुलायम सिंह जी पर नकारात्मक वक्तव्य दे रहे हैं, उन्हें या तो लोहिया की विचारधारा पता नहीं है या फिर जानबूझ कर भ्रम फैला रहे हैं।
डा0 राममनोहर लोहिया के सिद्धान्तों का अनुसरण करते हुए नेताजी ने लोक सेवा आयोग की परीक्षा से अग्रेंजी की अनिवार्यता समाप्त की थी। इस साहसिक व ऐतिहासिक काम से न केवल हिन्दी मजबूत हुई अपितु गांव, गरीब व हिन्दी माध्यम से पढ़ाई लिखने करने वाली प्रतिभाओं के लिए लोकसेवा में अवसर मिला लोहिया से अनुपे्ररित होकर नेताजी ने लोकशाही में भी विशेष अवसर के सिद्धान्त को मूर्तरूप दिया। गांव और गरीब वर्ग से नए नेतृत्व को उभारा तथा लोकतंत्र को जमीन स्तर पर मजबूत किया।
लोहिया जी के आह्वान पर मात्र 15 वर्ष की अवस्था में नेताजी ने आबपाशी सिविल नाफरमानी में गिरफ्तारी देकर लोकजीवन व राजनीति की शुुरूआत की थी। जब समाजवादी पार्टी की बहुमत सरकार उत्तर प्रदेश में बनी तो नेताजी ने नहरों से सिंचाई को निःशुल्क करने का निर्देश दिया जिसे तत्कालीन सिंचाई मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने अबिलम्ब लागू कर किसानों को ऐतिहासिक लाभ पहंुचाया। लोहिया की तरह नेताजी चीन की उपनिवेशवादी नीतियों का खुला विरोध कर रहे हैं।
किसानों के मसीहा चैधरी चरण सिंह ने स्वयं 1986 में बस्ती जनसभा में मुलायम सिंह यादव जी को अपना उत्तराधिकारी घोषित करते हुए नेताजी के संघर्षो की प्रशंसा की थी। नेताजी देश के एक मात्र ऐसे नेता हंै जो लोहिया व चरण सिंह के जनसंघर्षों, वैचारिक विरासत व देशज राजनीति को आगे बढ़ा रहे हैं। लोहिया जी की तरह साम्प्रदायिक शाक्तियों से नेताजी सदैव लड़ते रहे हंै और आज भी लड़ रहे हैं।
बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष सुश्री मायावती पिछले पांच सालों में उत्तर प्रदेश के किसी मोहल्ले, गांव और शहर में नहीं र्गइं। यदि गईं होती तो उन्हें समाजवादी सरकार द्वारा किया सर्वतोन्मुखी व समावेशी विकास दिखता। उन्हें सुदूर सिद्धार्थनगर में स्थापित सिद्धार्थ विश्वविद्यालय भी दिखता। उन्हें वे 842 गांव भी नहीं दिखते जहां आजादी के बाद पहली बार बिजली पहंुची है। एक्सप्रेस वे अपने कार्यकाल का बताकर मायावती जी स्वयं को हास्यास्पद बना दिया है। इतना बड़ा सफेद झूठ भारतीय इतिहास में आज तक किसी नेता नहीं बोला होगा। ऐसा प्रतीत होता है कि आरएसएस और भाजपा के दफ्तर में उनके बयान लिखे जाते हैं जिनका वाचन वे अपने दिल्ली व लखनऊ अपनी स्थित आलीशान अट्टालिका से करती हैं। भाजपा बसपा का गठजोड़ जगजाहिर है। दोनांे मिलकर भी नेताजी व समाजवादियों का मुकाबला नहीं कर सकते।