नई दिल्ली: सिंहली फिल्म ‘अलोको उडापाडी’ (जिसका अर्थ है ‘प्रकाश का उदय’) बौद्ध काल का चित्रण करने वाली एक प्रमुख फिल्म है। इसमें मानव जाति की आने वाली पढि़यों के लिए बौद्ध धर्म की आध्यात्मिक विरासत की रक्षा करने के लिए मानव प्रयास की कहानी को दर्शाया गया है। यह जानकारी आज गोवा में इस फिल्म के निर्देशक चथरा वीरामन ने दी। इस फिल्म का विश्व सिनेमा के एक हिस्से के रूप में कल शाम प्रदर्शन किया गया।
मीडिया को सम्बोधित करते हुए फिल्म के निर्देशक ने कहा कि यह फिल्म श्रीलंका के प्रमुख भिक्षुकों के बारे में एक महाकाव्य वाली कहानी है। जब यह भूमि युद्ध और अकाल की विभीषिका से ग्रस्त थी, तो इन भिक्षुकों ने बौद्ध धर्म के पवित्र कार्य को लिखित रूप में संजोया। लगभग 2100 वर्ष पहले तथा भगवान बुद्ध के निधन के 454 वर्ष बाद की पृष्ठभूमि वाली यह कहानी महावंश में मौजूद तथ्यों पर आधारित है। महावंश में श्रीलंका के इतिहास और उस काल के बौद्ध भिक्षुकों द्वारा पूरी श्रीलंका में लिखे शिलालेखों तथा राजा वालागांभा की लोककथाओं का वर्णन है। राजा वालागांभा को सत्ता की भूखी ताकतों और अकाल ने बहुत परेशान किया तथा उन्हें इतिहास में उचित स्थान नहीं मिला है।
आईएफएफआई-2016 को अपनी यह फिल्म विश्व प्रीमियर वर्ग में दिखाने के लिए धन्यवाद देते हुए श्री चथरा वीरामन ने कहा कि फिल्म प्रदर्शन के लिए यह एक बड़ा मंच है। उन्होंने यह भी कहा कि श्रीलंका का फिल्म उद्योग बहुत छोटा है, इसलिए कम दर्शकों के कारण इसे बजट पैमाने में बनाया गया है। इस फिल्म को छह करोड़ भारतीय रूपये के बजट में पूरा किया गया है और यह उनकी पहली फिल्म है।
फिल्म के निर्देशक ने बताया कि इस फिल्म को अनेक भाषाओं में डब किया जा रहा है, क्योंकि दुनिया में ऐसे 41 देश है, जहां बौद्ध धर्म प्रचलित है। इस फिल्म से जुड़े सभी लोग उन देशों को उनकी मातृभाषा में बौद्ध इतिहास के प्रमुख लेकिन कम प्रचलित अध्यायों को उन तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है। एक प्रश्न का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि अभी कोई सहयोग नहीं मिला है, लेकिन श्रीलंका के इतिहास में बौद्ध धर्म जिस प्रकार जुड़ा हुआ है, उसी प्रकार वह भारत में भी प्रचलित है। भविष्य में ऐसे विषय पर सह-निर्माण किये जा सकते है।
फिल्म के कार्यकारी निर्माता कोगला निशान्था ने मीडिया को अलोका उड़ापाड़ी के पूरी दुनिया में रिलीज होने के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि यह फिल्म अनेक भाषाओं में 20 जनवरी, 2017 को रिलीज की जाएगी। सिंहली फिल्म अलोका उड़ापाड़ी सदियों लंबी मौखिक परम्परा के बाद बुद्ध के विधान की लिखित कहानी है। राजा वालागांभा को दक्षिण भारत के विद्रोहियों और आक्रमणकारियों ने उनके राज्याभिषेक के पांच महीनों के बाद ही सिंहासन ने हटा दिया था, लेकिन उन्होंने सभी आक्रमणकारियों को चौदह वर्षों के बाद परास्त करके फिर से अपना राज्य वापिस प्राप्त किया था। फिल्म के निर्देशक चथरा वीरामन एक स्वतंत्र निर्देशक है और उन्हें पांच साल का अनुभव है। इसके अलावा वे थ्रीडी जनरेलिस्ट और डिजिटल कम्पोजिट होने के साथ-साथ फिल्म निर्माण के तकनीकी और कला दोनों के जानकार है। संवाददाता सम्मेलन में श्री चथरा वीरामन के अलावा फिल्म के कार्यकारी निर्माता कोगला निशान्था और नुवान थिलांगा भी मौजूद थे।