नई दिल्ली: आयातकों एवं निर्यातकों के लिए ‘कारोबार करना अब और ज्यादा आसान’ हो जाएगा। यह सुनिश्चित करने के लिए कस्टम क्लीयरेंस हेतु प्रिंट-आउट की अनिवार्यता कम की जाएगी/समाप्त की जाएगी। केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) ने एक परिपत्र सं. 55/2016- कस्टम्स दिनांक 23 नवंबर, 2016 को जारी किया। इसके तहत आयातकों और निर्यातकों के लिए अब से विभिन्न कागजी दस्तावेजों को बैंकों/डीजीएफटी/कस्टम्स पोर्ट इत्यादि के समक्ष प्रस्तुत करना आवश्यक नहीं होगा। इन दस्तावेजों में जीएआर 7 फार्म/टीआर 6 चालान, ट्रांस-शिपमेंट परमिट (टीपी), शिपिंग बिल (विनिमय नियंत्रण प्रतिलिपि और निर्यात संवर्धन प्रतिलिपि) और बिल ऑफ एंट्री (विनिमय नियंत्रण प्रतिलिपि) शामिल हैं।
चूंकि 95 फीसदी आयातक अब ई-पेमेंट के जरिए शुल्क का भुगतान कर रहे हैं और इन दस्तावेजों को आइसगेट ई-पेमेंट गेटवे पर देखा जा सकता है, अत: अब जीएआर 7 फार्म/टीआर6 चालान के प्रिंट-आउट की जरूरत नहीं रह गई है। इसी तरह ट्रांस-शिपमेंट परमिट से जुड़ी जानकारी अब वाहक (कैरियर), ट्रांस-शिपमेंट की जिम्मेदारी संभालने वाले ट्रांसपोर्टर,गेटवे पोर्ट के अभिरक्षक और गंतव्य आईसीडी या बंदरगाह पर अवस्थित आईसीईएस प्रणाली को इलेक्ट्रॉनिक रूप से भेजी जाती है, अत: ऐसे में टीपी प्रतिलिपि का मैनुअल प्रिंटआउट प्रस्तुत करने की अनिवार्यता भी समाप्त कर दी गई है।
उपर्युक्त निर्देश 1 दिसंबर, 2016 से प्रभावी हो जाएंगे। बंदरगाहों पर अवस्थित समस्त कस्टम्स हाउस, एयर कार्गो कॉम्प्लेक्स, आईसीडी और सीएफसी से सार्वजनिक सूचना या नोटिस जारी करने को कहा गया है। इससे आयातकों और निर्यातकों को इलेक्ट्रॉनिक संदेश एवं कागज रहित व्यवस्था को अपनाने में मदद मिलेगी।
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