देहरादून: साल 2016 में उत्तराखंड ही नहीं बल्कि पूरे भारत के बड़े आयोजनों में शुमार अर्द्धकुंभ मेला हरिद्वार का सकुशल आयोजन हुआ. इसमें करोड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाई. अर्द्धकुंभ के 10 स्नानों को सही से संपन्न कराने के लिए प्रदेश सरकार ने एक साल पहले से तैयारी की थी. यह अर्द्धकुंभ स्थाई कार्यों की अधिकता के लिए भी जाना जाएगा.
पहली बार अर्द्धकुंभ में प्रदेश सरकार ने स्थायी कार्यों को प्रमुखता से कराया. इसमें जहां एक दर्जन से अधिक पुल बनाने का काम किया जो आनेवाले समय के लिए एक बड़ी सौगात है. पहले के कुम्भों की तुलना में पहली बार हरिद्वार को रंगीन रोशनी से सराबोर किया गया, जिसे देखने के लिए हर कोई उत्साहित नज़र आया.
मेले के दौरान हाई डेंसिटी कमरों से लेस ड्रोन के जरिये आसमान से अर्द्धकुंभ मेले पर नजर रखी गई. देशभर से संदिग्ध और आतंकियों का रिकॉर्ड पहली बार मंगवाया गया, जिसे मेला पुलिस ने अपने यहां कंप्यूटर में लोड कराया. इन कंप्यूटरों को पहली बार एंट्री प्वाइंट्स पर लगाकर फेस डिटेक्शन कमरों से जोड़ा गया है. इन सब खूबियों को पहली बार इतने बड़े पैमाने पर अर्द्धकुंभ में लगाकर कुम्भ को ऐतिहासिक बनाया गया.
कविन्द्र पयाल
ब्यूरो चीफ
उत्तराखण्ड