नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में आज तिरूवनंतपुरम में दक्षिणी क्षेत्रीय परिषद की 27वीं बैठक हुई। इस अवसर पर श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार क्षेत्रीय परिषदों और अंतर राज्य परिषद को और सुदृढ़ करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि लंबे समय के अंतराल के बाद 2015 में पांच क्षेत्रीय परिषदों और उनकी स्थायी समितियों की बैठक आयोजित की गई थी। इससे पहले सभी पांच क्षेत्रीय परिषद की बैठकें 1972 और 2005 में केवल एक वर्ष में आयोजित की गई थीं।
श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि क्षेत्रीय परिषदों के जरिये आर्थिक और सामाजिक विकास के समन्वित प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए राज्यों को आम बैठक कराने का अवसर उपलब्ध होता हैंं। गृह मंत्री ने कहा कि उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि सदस्य राज्यों और केंद्रीय मंत्रालयों ने दक्षिणी क्षेत्रीय परिषद में विचार-विमर्श के लिए कई महत्वपूर्ण मुद्दे रखे। उन्होंने खुशी जताते हुए कहा कि दक्षिणी क्षेत्रीय परिषद की स्थायी समिति ने कई मुद्दों को समाधान कर और उपयोगी सुझाव देकर परिषद के कार्यों को सरल बनाया है। कुछ महीने पहले ही दक्षिणी क्षेत्रीय परिषद की स्थायी समिति की बैठक हुई थी।
श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में देश के कुछ इलाकों में वाम पंथी उग्रवाद की स्थिति गंभीर हुई है। उन्होंने कहा कि हाल ही में केरल में हुई घटनाओं को देखते हुए प्रशासनिक और पुलिस प्रणाली को और अधिक मजबूत करने की आवश्यकता है। गृह मंत्री ने कहा कि बाहरी या आंतरिक खतरों से हमारे देश की अखंडता और सुरक्षा के संरक्षण और मजबूती के लिए हर संभव कदम उठाये जायेंगे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों को बेहतर अंतर राज्यीय समन्वय सुनिश्चित करना चाहिए और अपने सीमा क्षेत्रों में संयुक्त कार्यवाही की जानी चाहिए।
परिषद ने पिछली बैठक में की गई विभिन्न सिफारिशों के कार्यान्वयन की प्रगति और मछुआरों, प्रायद्वीपीय क्षेत्र औद्योगिक विकास कॉरिडोर, तिरुवनंतपुरम से मंगलौर और उडुपी तक हाई स्पीड रेल कॉरिडोर का विस्तार, क्षेत्र में प्रायद्वीपीय पर्यटन ट्रेनों की शुरूआत और नये सड़क परिवहन और सड़क सुरक्षा विधेयक में संशोधनों से संबंधित मुद्दों की समीक्षा की।
इसके बाद परिषद ने सभी पाठ्यक्रमों के लिए अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या के अनुरूप छात्रवृत्ति के लिए कोष आवंटन में एकरूपता, भारत सरकार द्वारा व्यावसायिक कर की उच्चतम सीमा में संशोधन, संक्रामक रोगों, नक्सलवाद की रोकथाम, तिलहनों की खेती को बढ़ावा देने तथा पुद्दुचेरी हवाई अड्डे के विकास से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की। आज की बैठक में जिन 22 विषयों पर चर्चा की गई उनमें से 16 का समाधान कर लिया गया।
परिषद में गर्मजोशी और सहृदयपूर्ण वातावरण में सहकारी संघवाद की सच्ची भावना से विचार-विमर्श किया गया। परिषद के अंत में अगली बैठक कर्नाटक में आयोजित करने का निर्णय लिया गया। इसके साथ ही तीन क्षेत्रीय परिषदों (पूर्वी, पश्चिमी और दक्षिणी) की बैठकें संपन्न हो गई हैं। शेष दो क्षेत्रीय परिषदों (केंद्रीय और उत्तरी) की बैठकें भी जल्द ही आयोजित किये जाने की संभावना है।
राज्यों के बीच अंतर राज्य सहयोग और समन्वय बढ़ाने के लिए राज्य पुनर्गठन अधिनियम 1956 के तहत पांच क्षेत्रीय परिषदों का गठन किया गया था। क्षेत्रीय परिषदों का कार्य आर्थिक और सामाजिक नियोजन, सीमा विवाद, भाषाई अल्पसंख्यकों और अंतर-राज्य परिवहन के क्षेत्र में आपसी हित के मामलों पर चर्चा और सिफारिशें करना है। ये परिषदें भौगोलिक, आर्थिक और सांस्कृतिक रूप से एक दूसरे से जुड़े राज्यों के लिए सहयोग का क्षेत्रीय मंच हैं। विशेष रूप से अपने-अपने क्षेत्र के हितों की रक्षा के लिए बने उच्चस्तरीय निकाय होने की वजह से ये परिषदें राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य को ध्यान में रखते हुए क्षेत्रीय कारकों के आधार पर विशेष मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने में सक्षम हैं।
इस बैठक में केरल और पुद्दुचेरी के मुख्यमंत्री, आंध्र प्रदेश के उप मुख्यमंत्री, कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना के मंत्री तथा पुद्दुचेरी के उप राज्यपाल उपस्थित थे। बैठक में केंद्र और राज्य सरकारों के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।