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वर्षान्त समीक्षा 2016: वस्त्र मंत्रालय

33rd India Carpet Expo to be inaugurated by Union Textiles Minister
देश-विदेश

नई दिल्ली: वर्ष 2016 के दौरान वस्त्र मंत्रालय ने वस्त्र क्षेत्र के विकास के लिए अनेकानेक ठोस कदम उठाये, जिनके तहत रोजगार सृजन, निवेश एवं उत्पादन बढ़ाने और निर्यात संवर्धन पर ध्यान केन्द्रित किया गया। विभिन्न कदमों के क्षेत्रवार अवलोकन और उपलब्धियों का उल्लेख नीचे किया गया है।

 1) परिधान क्षेत्र में रोजगार सृजन और निर्यात संवर्धन के लिए विशेष पैकेज

कपड़ा मंत्रालय ने विभिन्न उपायों का एक विशेष पैकेज पेश किया, ताकि परिधान क्षेत्र को आवश्यक सहायता सुलभ हो सके और विश्व स्तर पर इसकी प्रतिस्पर्धी क्षमता बेहतर हो सके। एक करोड़ लोगों, ज्यादातर महिलाओँ के लिए रोजगार; 30 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश और 74,000 करोड़ रुपये का निवेश – ये सभी उपलब्धियां तीन वर्षों में हासिल की जानी हैं। ये विशेष पैकेज के अपेक्षित परिणाम हैं। विशेष पैकेज को केन्द्रीय मंत्रिमंडल द्वारा 22 जून, 2016 को मंजूरी दी गई थी।

यह पैकेज एक रणनीतिक निर्णय है जिससे भारतीय वस्त्र एवं परिधान क्षेत्र मजबूत एवं सशक्त होगा। यह विश्व बाजार में लागत के लिहाज से भारतीय वस्त्र क्षेत्र की प्रतिस्पर्धी क्षमता बेहतर होने से संभव हो पाएगा। यह कदम इस वजह से भी विशेष अहमियत रखता है कि इसमें महिला सशक्तिकरण के जरिये सामाजिक बदलाव लाने की अपार संभावनाएं हैं। दरअसल, वस्त्र उद्योग में 70 फीसदी कामगार महिलाएं ही हैं और सृजित होने वाले ज्यादातर नये रोजगार महिलाओं को ही मिलने की संभावना है।

विशेष पैकेज में कामगार अनुकूल ऐसे अनेक उपाय शामिल हैं जिनसे रोजगार सृजन, व्यावसायिक स्तर और निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।

पैकेज की मुख्य बातें निम्नलिखित हैः

कर्मचारी भविष्य निधि योजना से जुड़े सुधारः प्रति महीने 15,000 रुपये से कम कमाई करने वाले वस्त्र उद्योग के नये कर्मचारियों के लिए भारत सरकार प्रथम तीन वर्षों तक कर्मचारी भविष्य निधि योजना के तहत नियोक्ताओं के समूचे 12 फीसदी योगदान को वहन करेगी। यही नहीं, प्रति माह 15,000 रुपये से कम करने वाले कर्मचारियों के लिए कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) को वैकल्पिक बनाया जाएगा।
ओवरटाइम की सीमा बढ़ानाः आईएलओ के मानकों के अनुरूप कामगारों के लिए ओवरटाइम के घंटे प्रति सप्ताह आठ घंटे से ज्यादा नहीं होंगे।
नियत अवधि वाले रोजगार की शुरुआत करनाः उद्योग के विशेष सीजन संबंधी स्वरूप को ध्यान में रखते हुए वस्त्र क्षेत्र के लिए नियत अवधि वाले रोजगार की शुरुआत की जाएगी।
संशोधित टफ्स के तहत अतिरिक्त प्रोत्साहनः संशोधित टफ्स के तहत वस्त्र इकाइयों को दी जाने वाली सब्सिडी को 15 फीसदी से बढ़ाकर 25 फीसदी किया जा रहा है। इससे रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलेगा।

2)  मेड-अप क्षेत्र में रोजगार सृजन और निर्यात संवर्धन के लिए विशेष पैकेज

मेड-अप क्षेत्र की विशेष स्थिति और क्षमता को ध्यान में रखते हुए केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने इस क्षेत्र के लिए 7 दिसंबर, 2016 को एक विशेष पैकेज को मंजूरी दी थी। परिधान पैकेज के लिए 6,006 करोड़ रुपये के स्वीकृत बजट के भीतर समयबद्ध कदमों को मंजूरी दी गई है, ताकि मेड-अप क्षेत्र में अगले तीन वर्षों के दौरान बड़े पैमाने पर 11 लाख तक प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगारों का सृजन हो सके।

  • तीन वर्षों की अवधि के बाद अतिरिक्त उत्पादन एवं रोजगार के आधार पर मेड-अप के लिए अतिरिक्त 10 फीसदी की बढ़ी हुई प्रौद्योगिकी उन्नयन कोष योजना (टफ्स) सब्सिडी के जरिये उत्पादन संबंधी प्रोत्साहन देना। यह वस्त्रों के लिए दी जाने वाली सब्सिडी के समान ही है।
  • प्रधानमंत्री परिधान रोजगार प्रोत्साहन योजना (पीएमपीआरपीवाई) (परिधानों के लिए) का विस्तारीकरण मेड-अप क्षेत्र में करना, ताकि ईपीएफओ में नामांकित होने वाले सभी नये कर्मचारियों के लिए उनके रोजगार के प्रथम तीन वर्षों में नियोक्ता योगदान का अतिरिक्त 3.67 फीसदी हिस्सा प्रदान किया जा सके, जो प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना (पीएमआरपीवाई) के तहत पहले से ही कवर किये जाने वाले 8.33 फीसदी के अलावा है। यह मेड-अप क्षेत्र के लिए एक विशेष प्रोत्साहन के रूप में है।
  • श्रम कानूनों का सरलीकरणः मेड-अप निर्माण क्षेत्र में अनुमति योग्य ओवरटाइम को बढ़ाकर प्रति तिमाही 100 घंटे तक करना और प्रति माह 15,000 रुपये से कम कमाई करने वाले कर्मचारियों के लिए ईपीएफ में कर्मचारियों के अंशदान को वैकल्पिक बनाना।

इस पैकेज से वस्त्र क्षेत्र में रोजगार सृजन बढ़ने और 11 लाख लोगों तक के लिए रोजगार सृजित होने की आशा है। इससे निर्यात में 2.8 अरब अमेरिकी डॉलर की संचयी वृद्धि होगी, लगभग 6000 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित होगा और वस्त्र एवं परिधान क्षेत्र में कामागारों को अपेक्षाकृत ज्यादा लाभ हासिल होंगे।

3) संशोधित प्रौद्योगिकी उन्नयन कोष योजना

30 दिसंबर, 2015 को कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद मंत्रालय ने 13 जनवरी, 2016 को संशोधित प्रौद्योगिकी उन्नयन कोष योजना (ए-टफ्स) की शुरुआत की थी। संशोधित पुनर्गठित प्रौद्योगिकी कोष योजना (आरआर-टफ्स) के स्थान पर शुरू की गई ए-टफ्स का उद्देश्य वस्त्र उद्योग में प्रौद्योगिकी उन्नयन को सुविधाजनक बनाना है। संशोधित योजना के दिशा-निर्देश 29 फरवरी, 2016 को अधिसूचित किये गये थे।

नई योजना के विशेष लक्ष्य निम्नलिखित हैः

  • परिधान एवं वस्त्र उद्योग को प्रोत्साहन देकर रोजगार सृजन एवं निर्यात को बढ़ावा देना, जिससे विशेषकर महिलाओं को रोजगार मिलेंगे और वैश्विक निर्यात में भारत का हिस्सा बढ़ेगा।
  • निर्यात एवं रोजगार के लिए तकनीकी वस्त्रों को प्रोत्साहन देना, जो तेजी से विकसित हो रहा है।
  • प्रसंस्करण उद्योग में बेहतर गुणवत्ता को प्रोत्साहन देना और वस्त्र क्षेत्र द्वारा फैब्रिक के आयात की जरूरत पर रोकथाम सुनिश्चित करना।

संशोधित योजना से वस्त्र क्षेत्र में “मेक इन इंडिया” को बढ़ावा मिलेगा, एक लाख करोड़ रुपये तक का निवेश आकर्षित होने की आशा है और 30 लाख से ज्यादा रोजगार सृजित होंगे। 17,822 करोड़ रुपये के बजट प्रावधान को मंजूरी दी गई है, जिनमें से 12,671 करोड़ रुपये पुरानी योजना के तहत प्रतिबद्ध देनदारियों के लिए और 5,151 करोड़ रुपये ए-टफ्स के तहत नये मामलों के लिए हैं।

4) एकीकृत कौशल विकास योजना

25 दिसंबर, 2014 को सुशासन दिवस पर एकीकृत कौशल विकास योजना (आईएसडीएस) का स्तर 12वीं योजना के दौरान बढ़ाया गया है। इस दिशा में 15 लाख व्यक्तियों को प्रशिक्षित करने के लिए 1,900 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। आईएसडीएस का उद्देश्य उद्योग उन्मुख प्रशिक्षण कार्यक्रमों के जरिये वस्त्र उद्योग में कुशल श्रमशक्ति की अहम कमी को पूरा करना है। 86 क्रियान्वयनकारी एजेंसियों द्वारा तीन घटकों के जरिये यह क्रियान्वित की जा रही है।

कुशल श्रमशक्ति के लिए इस उद्योग की जरूरतों को पूरा करने और इस तरह इसकी प्रतिस्पर्धी क्षमता को भरपूर सहायता देने के उदेश्य से इस योजना के तहत अब तक कुल मिलाकर 8.49 लाख लोगों को प्रशिक्षण दिया गया है, जिनमें से 7.50 लाख लोगों का आकलन किया गया है और 5.79 लाख लोगों का प्लेसमेंट कर दिया गया है। यह योजना काफी हद तक कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय को साझा मानकों के अनुरूप रही है। आने वाले वर्षों के लिए कौशल संबंधी लक्ष्यों का उल्लेख यहां किया गया है।

इस योजना की वेब आधारित प्रबंधन सूचना प्रणाली की समीक्षा केन्द्रीय मंत्री द्वारा नवंबर महीने में की गई थी। निगरानी व्यवस्था को मजबूत करने के उद्देश्य से मंत्री ने तय समय के भीतर एक ऐसे भौतिक सत्यापन मॉड्यूल का विकास करने को कहा जिसमें दौरों से संबंधित वीडियो को अपलोड करने की सुविधा हो। अधिकतम संख्या में लोगों तक विभिन्न लाभों की पहुंच सुनिश्चित करने के उदेश्य से श्रीमती इरानी ने इस योजना के विवरण को सार्वजनिक तौर पर प्रदर्शित करने को कहा। उन्होंने आईएसडीएस के तहत विभिन्न पहल करने के लिए वस्त्र परिषदों को संवेदनशील बनाने और एसएमई की भागीदारी बढ़ाने की जरूरत पर विशेष बल दिया।

5) पूर्वोत्तर क्षेत्र वस्त्र प्रोत्साहन योजनाः एनईआरटीपीएस

सभी पूर्वोत्तर राज्यों में परिधान एवं वस्त्र उत्पादन केन्द्रों के निर्माण के लिए एनईआरटीपीएस के तहत एक उल्लेखनीय पहल वर्ष 2014 में की गई थी। इस दिशा में प्रधानमंत्री द्वारा घोषणा 01 दिसंबर, 2014 को नगालैंड में की गई थी। इस योजना का उद्देश्य पूर्वोत्तर राज्यों में रोजगार सृजन को बढ़ावा देना और वस्त्र के क्षेत्र में विशेषकर महिलाओं के बीच उद्यमिता को प्रोत्साहित करना है। इस क्षेत्र में देश-विदेश में अपार संभावनाएं हैं।

तदनुसार, सभी आठों राज्यों में इन केन्द्रों का निर्माण कार्य पूरा हो गया है और इनमें परिचालन शुरू करने की तैयारी की जा रही है। नगालैंड, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर में इन केन्द्रों का उद्घाटन पहले ही हो चुका है।

इस पहल के तहत स्थापित प्रत्येक परिधान एवं वस्त्र उत्पादन केन्द्र में 1,200 लोगों के लिए प्रत्यक्ष रोजगार सृजित होने का अनुमान है। प्रत्येक राज्य में तीन इकाइयों वाला एक केन्द्र होगा और इनमें से प्रत्येक में 100 मशीनें लगाई जाएंगी।

एनईआरटीपीएस वस्त्र के विभिन्न खंडों जैसे कि रेशम, हथकरघा, हस्तशिल्प और परिधानों एवं वस्त्रों के विकास से जुड़ी एक छत्र योजना है। इस योजना के तहत कुल मिलाकर 45 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिनमें भारत सरकार की ओर से 1043.10 करोड़ रुपये की सहायता निहित है।

6) एकीकृत वस्त्र पार्कों के लिए योजना (एसआईटीपी)

एसआईटीपी क्लस्टर आधार पर बुनियादी ढांचे की जरूरत को पूरा करती है और अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरणीय मानकों को पूरा करने में उद्योग की मदद करती है तथा लागत घटाने के लिए पीपीपी के तहत एकीकृत मूल्य-श्रृंखलाओं (वैल्यू-चेन) की स्थापना करती है। एसआईटीपी के तहत 66 वस्त्र पार्कों को मंजूरी दी गई है जो क्रियान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं। इससे 79,000 लोगों के लिए रोजगार सृजित हुए हैं और 9,500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त निवेश आकर्षित हुआ है। मूल्यांकन संबंधी अध्ययनों से यह पता चला है कि क्लस्टर आधारित बुनियादी ढांचे के सृजन से उद्योग लाभान्वित होता है।

7) एकीकृत प्रसंस्करण विकास योजना (आईपीडीएस)

वस्त्र मंत्रालय आईपीडीएस को क्रियान्वित कर रहा है, ताकि वस्त्र प्रसंस्करण क्षेत्र उपयुक्त प्रौद्योगिकियों जैसे कि समुद्री, नदी तटीय और जीरो लिक्विड डिस्चार्ज (जेडएलडी) के जरिये पर्यावरणीय मानकों को पूरा कर सके। भारत सरकार साझा उत्प्रवाह प्रशोधन संयंत्रों (सीईटीपी) के लिए परियोजना लागत के 50 फीसदी तक की वित्तीय सहायता मुहैया कराती है, जिसके लिए 75 करोड़ रुपये की सीमा तय की गई है। मंत्रालय ने राजस्थान में चार परियोजनाओं और तमिलनाडु में दो परियोजनाओं को मंजूरी दी है, जिनसे लगभग 2000 एसएमई इकाइयों को राहत मिली है।

8) हथकरघा क्षेत्र

दूसरा राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाना  

दूसरा राष्ट्रीय हथकरघा दिवस 7 अगस्त, 2016 को देशभर में वस्त्र मंत्रालय द्वारा मनाया गया। केन्द्रीय वस्त्र मंत्री श्रीमती स्‍मृति जुबिन इरानी ने वाराणसी स्थित बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में आयोजित किये गये मुख्य कार्यक्रम का उद्घाटन किया। केन्द्रीय मंत्री ने इस अवसर पर संत कबीर पुरस्कार 2015, राष्ट्रीय हथकरघा पुरस्कार 2015 और भारत हथकरघा ब्रांड डिजाइन प्रतियोगिता एवं निफ्ट की “डिजाइन सूत्र ” प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कार प्रदान किये।

मंत्री ने बुनकरों की जनगणना कराने की जरूरत पर विशेष बल दिया, ताकि वे सीधे तौर पर सरकार से संपर्क साध सकें और योजनाओं से लाभ उठा सकें। उन्होंने हथकरघा बुनकरों के व्यावसायिक प्रश्नों को हल करने के लिए एक हेल्पलाइन की स्थापना करने की घोषणा की।

वस्त्र मंत्रालय ने बुनकर सेवा केन्द्रों (डब्ल्यूएससी) के जरिये हथकरघा बुनकरों के कौशल उन्नयन के लिए कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के साथ सहमति पत्रों (एमओयू)  पर हस्ताक्षर किये।

इस अवसर के बारे में प्रचार-प्रसार करने और हथकरघा के उपयोग को लोकप्रिय करने के लिए वस्त्र मंत्रालय ने हैशटैग #IWearHandloom के साथ एक सोशल मीडिया अभियान चलाया। यह अभियान वस्त्र मंत्री द्वारा ट्विटर और फेसबुक पर उनकी पोस्ट के साथ शुरू किया गया। इस अभियान पर काफी अच्छी प्रतिक्रिया मिली।

5 लाख हथकरघा बुनकरों को तीन वर्षों में मुद्रा ऋण मिलेंगे

इस लक्ष्य की घोषणा केन्द्रीय वस्त्र सचिव श्रीमती रश्मि वर्मा द्वारा एक राष्ट्रीय कार्यशाला में की गई थी, जिसका आयोजन 29 जून, 2016 को नई दिल्ली में वस्त्र मंत्रालय के विकास आयुक्त कार्यालय (हथकरघा) द्वारा किया गया था और इसका विषय था “हथकरघा बुनकरों एवं कारीगरों के लिए मुद्रा योजना।” वस्त्र मंत्रालय ने पांच लाख का लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रत्येक राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश से तीन वर्षीय कार्य योजना तैयार करने का अनुरोध किया है।

हथकरघा संवर्धन सहायता (एचएसएस)

  • वाराणसी में 7 अगस्त, 2016 को दूसरा राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाये जाने के अवसर पर कपड़ा मंत्री ने हथकरघा बुनकरों की जरूरतें पूरी करने के लिए “हथकरघा संवर्धन सहायता” देने की घोषणा की, ताकि फैब्रिक की गुणवत्ता एवं उत्पादकता बढ़ाने के उद्देश्य से बड़े पैमाने पर करघों एवं सहायक उपकरणों के लिए सहायता दी जा सके।
  • एचएसएस का उद्देश्य हथकरघा बुनकरों की कमाई बढ़ाना है।
  • करघे/जैकगार्ड/डोबी इत्यादि के लिए सहायता अधिकतम संख्या में ऐसे बुनकरों को दी जाएगी, जिन्होंने पिछले दो वर्षों में बुनाई संबंधी प्रशिक्षण लिया है। इनमें ब्लॉक स्तर की क्लस्टर परियोजनाएं भी शामिल हैं। हथकरघा की बेंचमार्क लागत (60” तक के लिए 25,000 रुपये है और 60” से ज्यादा के लिए 40,000 रुपये है), मोटरयुक्त वार्पिंग मशीन – 45,000 रुपये, जैकगार्ड -15,000 रुपये, इत्यादि।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (आरएसबीवाई)

सरकार ने राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के जरिये हथकरघा बुनकरों को जीवन बीमा एवं स्वास्थ्य बीमा संबंधी लाभ मुहैया कराने का निर्णय लिया है। हथकरघा बुनकरों को 01 अप्रैल, 2016 से आरएसबीवाई के तहत कवरेज दी गई है। उपलब्ध सहायता को पूर्ववर्ती 15,000 रुपये से बढ़ाकर 30,000 रुपये कर दिया गया है। सरकार हथकरघा बुनकरों को प्रधानमंत्री जीवन ज्योति योजना के तहत कवरेज देने की प्रक्रिया में भी है। इसके तहत किसी भी वजह से मृत्यु होने की स्थिति में 2 लाख रुपये का बीमा कवर दिया जाएगा, जबकि स्वाभाविक मृत्यु की स्थिति में वर्तमान जीवन बीमा कवर 60,000 रुपये का और दुर्घटना में मृत्यु होने की स्थिति में यह 1.50 लाख रुपये का है।

भारत हथकरघा ब्रांड को इटली में दर्शाया गया

भारत हथकरघा” ब्रांड के पांच पंजीकृत धारकों ने विदेश में पहली बार इटली के बाजार में अपने उत्पादों को प्रदर्शित किया। इन उत्पादों को इटली के एंजियो में आयोजित भारतीय वस्त्र हथकरघा प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया गया, जिसका उद्घाटन 07 जुलाई, 2016 को संयुक्त रूप से केन्द्रीय वस्त्र सचिव, इटली में भारत के राजदूत और इटली के एंजियो के मेयर ने किया। छह हथकरघा निर्यातकों और पांच हस्तशिल्प कारीगरों ने भी इस प्रदर्शनी में अपने उत्पादों को प्रदर्शित किया।

बुनकर मित्र- हथकरघा हेल्पलाइन केन्द्र

वर्तमान में 28 बुनकर सेवा केन्द्र (डब्ल्यूएससी) देशभर में कार्यरत हैं, जो हथकरघा बुनकरों का कौशल बढ़ाने के लिए उन्हें तकनीकी सहायता मुहैया कराते हैं। आवश्यक सहायता पाने के लिए बुनकरों को व्यक्तिगत तौर पर डब्ल्यूएससी जाना पड़ता है। फिलहाल ऐसा कोई भी एकल संपर्क केन्द्र नहीं है जहां अपने तकनीकी मसले/समस्याएं सुलझाने के लिए बुनकर जा सकते हैं।

इन समस्याओं से पार पाने में बुनकरों की मदद के लिए केन्द्र सरकार ने एक बुनकर मित्र-हथकरघा हेल्पलाइन केन्द्र स्थापित करने का निर्णय लिया है, जहां इस क्षेत्र के विशेषज्ञ बुनकरों के व्यावसायिक प्रश्नों को हल करेंगे। यह हेल्पलाइन केन्द्र प्रातः 10 बजे से लेकर शाम 6 बजे तक कार्यरत रहेगा और आरंभ में इसमें 6 भाषाओं अर्थात हिंदी, अंग्रेजी और 4 अन्य क्षेत्रीय भाषाओं (तेलुगू, तमिल, बांग्ला और असमिया) में सेवाएं प्रदान की जाएंगी।

भारत हथकरघा ब्रांड ने बीबा और पीटर इंग्लैंड से हाथ मिलाया

दूसरे राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के अवसर पर की गई घोषणाओं के बाद वस्त्र मंत्रालय ने अग्रणी ब्रांडों बीबा और पीटर इंग्लैंड से हाथ मिलाया है। मंत्रालय ने 7 नवंबर, 2016 को नई दिल्ली के लाजपत नगर स्थित बीबा के प्रमुख स्टोर में भारत हथकरघा ब्रांड के वस्त्रों को लांच किया है। गठबंधन के तहत भारत का अग्रणी अखिल भारतीय ब्रांड बीबा कपड़ा मंत्रालय द्वारा प्रवर्तित भारत हथकरघा ब्रांड के फैब्रिक का उपयोग करके परिधान तैयार करेगा। भारत के अग्रणी पुरुष परिधान ब्रांड पीटर इंग्लैंड ने भी एक विशिष्ट भारत हथकरघा ब्रांड संग्रह पेश किया, जिसे कपड़ा मंत्री ने लांच किया। ब्रांड ने आंध्र प्रदेश के मंगलगिरी क्लस्टर से भारत हथकरघा फैब्रिक खरीदा, जिससे बुनकर सीधे तौर पर लाभान्वित हुए। कंपनी ने अगले वित्त वर्ष में एक लाख लीटर फैब्रिक खरीदने का इरादा व्यक्त किया है, ताकि देशभर में फैले सभी 75 स्टोरों में इस संग्रह को पेश किया जा सके।

9) हस्तशिल्प क्षेत्र

भारत सरकार ने हस्तशिल्प योजनाओं को संशोधित किया है और एक नई रणनीति तैयार की है, जिसके चार व्यापक घटक हैं-

  • ढांचागत विकास जैसे कि हर क्लस्टर में साझा सुविधा केन्द्र
  • डीसी कार्यालय (हस्तशिल्प) के अधीनस्थ योजनाओं के जरिए डिजाइन का विकास एवं प्रशिक्षण
  • कारीगरों को सीधी सहायता, जैसे कि उनके बैंक खातों के जरिए ऑनलाइन सहायता
  • निजी क्षेत्र की भागीदारी के जरिए बाजार के साथ जोड़ना

वर्ष के दौरान हस्तशिल्प क्षेत्र के संवर्धन एवं विकास के लिए वस्त्र मंत्रालय ने एक बड़ी पहल की है, जिसके तहत ‘पहचान’ को लांच किया गया है। इस पहल के तहत हस्तशिल्प कारीगरों को पंजीकृत करने के साथ-साथ उन्हें आईडी कार्ड मुहैया कराया जा रहा है, ताकि उन तक लाभ बेहतर ढंग से पहुंच सके। देशभर में फैले हस्तशिल्प कारीगरों को पहचान कार्ड मुहैया कराने के लिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान को केन्द्रीय कपड़ा मंत्री श्रीमती स्मृति जुबिन इरानी द्वारा 7 अक्टूबर, 2016 को संत कबीर नगर में आयोजित एक पहचान पंजीकरण शिविर में लांच किया गया। कारीगरों को एक ही स्थान पर सहायता मुहैया कराने के लिए डेस्क भी स्थापित की गईं, जहां जन धन योजना, आधार कार्ड और एलआईसी बीमा के लिए पंजीकरण कराया जा सकता है। इसी तरह के शिविर देशभर में 50 स्थानों पर लगाए गए। उत्तराखंड के देहरादून में पहचान पंजीकरण शिविर के शुभारंभ से राज्य मंत्री श्री अजय टम्टा भी जुड़ गए थे। 8 दिसंबर, 2016 तक कुल मिलाकर 4,30,441 पहचान पंजीकरण फॉर्म संग्रहीत किए गए।

भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने 9 दिसंबर, 2016 को नई दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन सांस्कृतिक केन्द्र में आयोजित एक समारोह के दौरान माहिर शिल्पकारों को शिल्प गुरु पुरस्कार और राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किए। 9 शिल्प गुरु और 19 राष्ट्रीय पुरस्कार विजेताओं ने वर्ष 2015 के लिए पुरस्कार प्राप्त किए।

10) निफ्ट

  • निफ्ट के पाठ्यक्रम में ‘शिल्प क्लस्टर पहल’ भी शामिल की गई है, जो एक नई पहल है। इससे विद्यार्थियों को कारीगरों एवं बुनकरों के साथ गठबंधन करके काम करने का अवसर मिलता है।
  • शैक्षणिक सत्र 2016-2020 से निफ्ट द्वारा नए फाउंडेशन कार्यक्रम शुरु किए गए है, जो अपेक्षाकृत ज्यादा प्रक्रिया एवं एप्लीकेशन आधारित हैं।

वाराणसी में निफ्ट का विस्तार केन्द्र स्थापित किया गया है, जहां बुनकरों को प्रोत्साहित करने के लिए अल्पकालिक पाठ्यक्रमों की पेशकश की जा रही है, ताकि उन्हें प्रशिक्षण प्रदान करके और परंपरागत बुनाई समुदाय के बीच जागरूकता बढ़ाकर परंपरागत डिजाइनों में नई जान फूंकी जा सके।

नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान (निफ्ट) का 22वां दीक्षांत समारोह 4 अक्टूबर, 2016 को आयोजित किया गया था। इस अवसर पर केन्द्रीय कपड़ा मंत्री श्रीमती स्मृति जुबिन इरानी ने कहा कि एक ऐसा कार्यक्रम तैयार किया जा रहा है जिसके तहत अंतर्राष्ट्रीय शिक्षाविद् नई दिल्ली स्थित निफ्ट में आकर विद्यार्थियों को शिक्षा प्रदान कर सकेंगे, जिसके लिए संस्थान अथवा विद्यार्थियों पर कोई अतिरिक्त व्यय बोझ नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि यह भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एक कार्यक्रम उच्च शिक्षा में शैक्षणिक नेटवर्कों की वैश्विक पहल (ज्ञान) की तर्ज पर होगा।

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