नई दिल्ली: केंद्रीय कृषि एंव किसान कल्याण मंत्री, श्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि कृषि में हुए नवीनतम विकास की वजह से एग्री वेयरहाउसिंग, कोल्ड चेन, सप्लाई चेन, डेरी, पोल्ट्री, मीट, मच्छी, बागवानी, खेत मशीनीकरण, सूक्ष्म सिंचाई, में हुनरमंद नौजवानों के लिए रोजगार के मौके पैदा हुए हैं जिसका नौजवानों को लाभ उठाना चाहिए। श्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि इन क्षेत्रों में स्व-रोजगार के भी अवसर बढ़े हैं जिसमें कुशल नौजवानों की मांग है। श्री सिंह ने कहा कि कृषि का ऐसा समग्र विकास अब से पहले कभी देखने को नहीं मिला। केंद्रीय कृषि मंत्री ने यह बात आज नई दिल्ली में “कौशल विकास से कृषि विकास” पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में कही। इस कार्यशाला में कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय, कृषि मंत्रालय, आईसीएआर के कृषि विज्ञान केन्द्रों के प्रतिनिधि और प्रशिक्षित उद्यमी नौजवान हिस्सा ले रहे हैं।
श्री सिंह ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के ’कौशल भारत – कुशल भारत’ के सपने को साकार करने के लिए कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने तेज़ी से कदम बढाए हैं। केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री ने ’उत्पादन केंद्रित कृषि’ से हटकर ’किसान केंद्रित कृषि’ का आवाह्न किया है। सरकार का मानना है कि कृषि को एक निजी उद्यम के रूप में विकसित करने और नौजवानों को इससे जोड़ने की जरूरत है। श्री सिंह कहा कि इसके लिए कृषि मंत्रालय में चार स्तरों पर काम हो रहा है। उत्पादकता में वृद्धि, पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट एवं किसानों को उत्पादन का उचित दाम दिलाने, कृषि में जोखिम कम करने एवं चौथे स्तर पर किसानों की आय के अन्य साधन जैसे कि हॉर्टीकल्चर, पशुपालन, मत्स्यकी, मधुमक्खी पालन विकसित करने पर जोर दिया जा रहा है।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने बताया कि कृषि मंत्रालय, युवाओं व किसानों के कौशल विकास की दिशा में रणनीति बनाकर काम कर रहा है और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, ई-नाम, सॉयल हेल्थकार्ड, परम्परागत कृषि विकास योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, कौशल विकास से कृषि विकास के इस प्रयास में बेहद महत्वपूर्ण साबित होंगी। श्री सिंह ने बताया कि कृषि मंत्रालय ने कौशल विकास के कार्य को अमली जामा पहनाने के लिए वर्ष 2016-17 के लिए 3.52 करोड़ रूप्ए के बजट का प्रावधान किया था, जिससे 100 कृषि विज्ञान केन्द्रों तथा मंत्रालय के अन्य विशिष्ट प्रशिक्षण संस्थानों के माध्यम से कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं।
श्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए विभिन्न योजनाएं शुरू की गयी है जिनमें प्रमुख हैं: जैविक खेती के तहत और अधिक क्षेत्र लाने के लिए ’परम्परागत कृषि विकास योजना’; किसानों को लाभकारी मूल्य मुहैया कराने के लिए ’राष्ट्रीय कृषि मंडी (ई-नाम) आदि। सरकार ’श्वेत क्रांति’ के माध्यम से दूध उत्पादन तथा ’नीली क्रांति’ के माध्यम से मछली उत्पादन में वृद्धि पर भी जोर दे रही है। श्री सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, जल संरक्षण के लिए प्रति बूंद अधिक फसल, जल प्रबंधन, जल संचयन एवं सूक्ष्म सिंचाई जैसी अनेक योजनायों से खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित हो रही है। गोजातीय नस्लों के विकास और संरक्षण के लिए पहली बार ’राष्ट्रीय गोकुल मिशन’ शुरू किया गया है ताकि स्वदेशी गोजातीय नस्लों का संरक्षण और विकास किया जा सके। ’मेरा गांव-मेरा गौरव’ में गांवों के लिए वैज्ञानिक खेती प्रभावी बनाने के लिए कृषि विश्वविद्यालयों तथा आईसीएआर के संस्थानों के कृषि विशेषज्ञों को शामिल किए जाने की बात कही गई है। केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि इस वर्ष रबी की बुआई पिछले वर्ष के मुकाबले 6 प्रतिशत अधिक है। सॉयल हेल्थ कार्ड योजना के तहत अभी तक देश में कुल 2 करोड़ 30 लाख मृदा के नमूने एकत्र किये गये हैं, जिससे 12 करोड़ 65 लाख किसानों को सॉयल हेल्थ कार्ड जारी किये जा सकेंगे। श्री राधा मोहन सिंह ने इस मौके पर राज्य स्तर पर स्थापित सेक्टर स्किल कोंसिल से आग्रह किया कि वे इसमें केन्द्र सरकार का सहयोग करें।
“कौशल विकास से कृषि विकास” पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला के समापन अवसर पर केंद्रीय कृषि एंव किसान कल्याण राज्यमंत्री, श्री सुदर्शन भगत ने कहा कि इस कार्यशाला का आयोजन, कृषि क्षेत्र में कौशल विकास की दशा में सराहनीय कदम है। ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं के कौशल विकास के प्रशिक्षण के लिए केंद्र सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है। श्री भगत ने कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि राज्य सरकारें, केंद्र सरकार के साथ हाथ मिलाकर इस कार्य को आगे बढ़ाएंगी।
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