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धार्मिक उत्पीड़न से हिंदुओं की रक्षा करने के लिए आॅनलाइन याचिका

उत्तराखंड

देहरादून, बीएचबीसी न्यूज। रूस में हिंदुओं के खिलापफ नकारात्मक प्रचार और आपराधिक हमलों की लगातार वृद्धि को देखते हुए, दुनिया के सबसे लोकप्रिय आॅनलाइन सक्रियता मंच चेंज ओआरजी पर एक आॅनलाइन याचिका शुरू की गयी है। याचिका का धयेय रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा दोनों देशों के विदेश मामलों के मंत्री, सेर्गेई लावरोव और श्रीमती सुषमा स्वराज के सहित और बड़े पदाधिकारियों, और रूस एवं भारत के मीडिया का ध्यान आकर्षित करना है। इस आॅनलाइन याचिका को दायर करने वाले, प्रसून प्रकाश, रूस का मास्को शहर में प्रकाश धार्म के सार्वजनिक संचार के निदेशक हैं जो कि रूस में भारतीय संस्कृति के विकास और संरक्षण के लिए काम करने वाला केंद्र है। अपनी याचिका पर बोलते हुए प्रकाश ने कहा कि रूस में हिंदू धर्म के अनुयायियों की ओर से इस आॅनलाइन याचिका का उद्देश्य है, कुछ कट्टरपंथी तत्वों के नापाक इरादों का पर्दाफाश करना, जो कि कई वर्षों से लगातार रूस में हिंदुओं को निशाना बना रहे हैं। इन में से कुछ अराजक तत्व, आजकल मेरे एवं मेरे परिवार, और हिंदू धर्म के खिलाफ सार्वजानिक रूप से झूठी अफवाहें और भ्रांतियां पफैला रहे हैं और रूस जैसे महान और दरियादिल देश के नाम पर बट्टा लगा रहे हैं। सन 2010 में हुई धार्मिक जनगणना के अनुसार, रूस में केवल 140,000 हिन्दू हैं, जो कि रूस की मात्र 0.1 आबादी ही है। ऐसे में पहले भी रूस में कई बार हिंदुओं की अल्पसंख्यक आबादी को कट्टरपंथी तत्वों द्वारा लक्षित किया गया है। हाल ही के वर्षों में, रूस में भगवद् गीता पर प्रस्तावित प्रतिबंध और कानूनी कार्रवाई के खिलापफ भारत तक में जनता का विरोध पफूट पड़ा। रूस के कई बुद्धिजीवियों ने भी इन बातों की कठोर आलोचना की एवं कई प्रमुख रूसी विद्वानों ने सार्वजनिक रूप से न केवल इस की निंदा की, बल्कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से हस्तक्षेप के लिए भी अपील की। ऐसे में रूस के हिन्दुओं पर हो रहे यह ताजा हमले भारत-रूस संबंधों और रूस की अंतरराष्ट्रीय ख्याति के लिए भी नकारात्मक माने जा रहे हैं। मेरे पिता और हमारे परिवार की प्रसिद्धि से आहत कुछ लोग हमें रूस के हिंदुओं के खिलाफ मुहीम में एक मोहरे के रूप में इस्तेमाल करना चाहते हैं। सबसे ज्यादा आहत करने वाली बात यह है कि कुछ मीडिया के लोग भी उनके झूठ भरे अभियान को बल दे रहे हैं। यह प्रकरण नाहक ही दो महान देशों, रूस और भारत के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों को खतरे में डाल सकता है।

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