देहरादून: पिछले 16 साल से उत्तर प्रदेश व उत्तराखण्ड के बीच परिसंपत्तियों को लेकर जो विवाद चला आ रहा था आखिरकार उसका कुछ हद तक समाधान हो गया। इस संबंध में उत्तर प्रदेश शासन की आरे से शासनादेश भी जारी कर दिया गया है। शासनादेश के मुताबिक उत्तर प्रदेश के कब्जे में रहे 266 आवास, 2 गेस्ट हाउस, 36 सिंचाई की नहरों, 214 हेक्टेयर भूमि पर अब उत्तराखंड का स्वामित्व होगा
ज्ञात हो कि सोलह साल से उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के विवाद की जड़ में उत्तराखंड की परिसंपत्तियां थी। इस संदर्भ में उत्तर प्रदेश सरकार के सलाहकार रहे स्व. विनोद बड़थ्वाल मरते दम तक लगातार प्रयासरत थे कि उत्तराखंड की संपत्ति उसे मिले। उनके निधन के बाद उनकी पत्नी श्रीमती आभा बड़थ्वाल ने अपने पति की आवाज को बुलंद किया। आखिरकार परिसंपत्तियों के मामला 16 साल बाद सुलझ ही गया। इस संबंध में उत्तर प्रदेश शासन की ओर से जो शासनादेश जारी किया गया हे। उसके अनुसार उत्तर प्रदेश के कब्जे में रहे 266 आवास, 2 गेस्ट हाउस, 36 सिंचाई की नहरों, 214 हेक्टेयर भूमि पर अब उत्तराखंड का स्वामित्व होगा। उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव सुरेश चंद्रा ने इस संदर्भ में शासनादेश जारी कर मुख्य सचिव उत्तराखंड को भेज दिया है। हस्तांतरण की कार्यवाही दोनों राज्यों के अधिकारियों द्वारा संयुक्त रूप से चिन्हित की जाएगी। शासनादेश में जिला हरिद्वार को 28 और ऊधमसिंह नगर को 9 नहरें हस्तांतरित की जानी हैं। इसके अलावा 214 हेक्टेयर भूमि, 266 आवास हस्तांतरित होने वाली नहरों का मुख्य नहर से 100 मीटर की दूरी तक का भाग उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के नियंत्रण में ही रहेगा। इसके अलावा यूपी सिंचाई विभाग के अधीन भवनों व अनुपयुक्त भूमि में से 25 प्रतिशत भवन व भूमि उत्तराखंड को स्थानीय स्तर पर दोनों राज्यों की आपसी सहमति के हस्तांतरित कर दी जाएगी। 25 प्रतिशत के हिसाब से उत्तराखंड को 214 हेक्टेयर भूमि और 266 आवास और दो गेस्ट हाउस मिलेंगे। शासनादेश में कहा गया है कि दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों की 2 पफरवरी 2015 में नई दिल्ली में बैठक हुई थी जिसमें परिसंपत्तियों के बंटवारे पर लिए गए निर्णय के अनुसार कार्यवृत्त जारी किया गया है।