नई दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्री जे पी नड्डा ने आज नई दिल्ली में ‘भारत में स्वास्थ्य सुविधाओं में जीवन और अग्नि सुरक्षा’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्धाटन करते हुए कहा, “हमारा लक्ष्य आग लगने के जोखिम के बारे में ‘जीरो टॉलरेंस’ सुनिश्चत करना है। हमारा उद्देश्य एकाग्रता के साथ अपने प्रयासों के माध्यम से लक्ष्य की प्राप्ति होनी चाहिए।” इस कार्यशाला का आयोजन संयुक्त रूप से स्वास्थ्य मंत्रालय और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली द्वारा किया गया था जिसमें जिसमें प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर स्कूल नई दिल्ली, दिल्ली अग्निशमन सेवा, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए), नई दिल्ली तथा सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआरआई) रूड़की ने सक्रिय भागीदारी की। कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य स्वास्थ्य भवनों में जीवन और अग्नि सुरक्षा से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों के बारे में अस्पताल प्रशासकों और इंजीनियरिंग प्रमुखों को जागरूक करना था।
समारोह को संबोधित करते हुए श्री नड्डा ने कहा कि अस्पतालों में किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए अग्नि सुरक्षा के प्रति संवेदनशील होना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा, “पहले यह समझा जाना चाहिए कि क्या करना है और क्या नहीं तथा इसका सख्ती से पालन किया जाना चाहिए। हम यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि इसका हर स्तर पर पालन हो।” स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि डॉक्टरों और इंजीनियरिंग स्टाफ के लोगों को आग और जीवन सुरक्षा की दिशा में उनकी भूमिका से पूरी तरह से अवगत होना चाहिए। उन्होंने कहा, “ऐसे हालातों में सबसे पहले हमारी नर्सें और डॉक्टरों प्रतिक्रिया देते हैं। यदि मरीज कहीं जाता है तो नर्सों और डॉक्टरों को मरीज का मार्गदर्शन करना चाहिए।
इस कार्यशाला में 23 अस्पतालों के प्रमुखों / स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत आने वाले संस्थानों तथा उनके संबंधित अधिकारियों ने भाग लिया। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली के परिसर में एक मॉक ड्रिल का भी आयोजन किया गया।
इस समारोह के दौरान अपर सचिव (एचएफडब्ल्यू) डॉ अरुण पांडा, अपर सचिव (एचएफडब्ल्यू) श्री संजीव कुमार, विशेष डीजीएचएस डॉ बी डी ऐठानी, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली के निदेशक डॉ एम.सी मिश्रा भी उपस्थित थे। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित थे।