नई दिल्ली: बीते एक साल में शेयर बाजार की तेज रफ्तार का असर अब दिखने लगा है। 2014-15 में अप्रेल से अब तक शेयर सूचकांकों में करीब 33 फीसदी की तेज उछाल ने खुदरा निवेशकों को बाजार में लौटने पर मजबूर कर दिया है। इस अवधि में देश में 16 लाख नए डीमैट खाते खुले हैं। इन खातों में से अधिकांश पहली बार निवेश करने वालों के हैं। शेयर बाजार में निवेश करने के लिए डीमैट खाता जरूरी होता है।
85 फीसदी नए खाते : ये खाते देश की दो बड़ी डिपाजिटरियों- एनएसडीएल और सीडीएसएल के हिस्से में आए हैं। एनएसडीएल के सूत्रों के मुताबिक करीब 85 फीसदी खाते नए निवेशकों के हैं, जिन्होंने पहली बार डीमैट खाता खुलवाया है। डीमैट खातों में इस वृद्धि के बाद अब देश में इनकी संख्या 2.34 करोड़ पर पहुंच गई है। वित्त वर्ष 2013-14 में देश में 2.18 लाख खाते थे। इनमें से सीडीएसएल के पास 96.1 लाख और एनएसडीएल के पास 1.37 करोड़ डीमैट खाते हैं। हालांकि अब भी देश में डीमैट खाते खुलने की सालाना रफ्तार साल 2008 में से कम है।
33 फीसदी तेजी
सेंसेक्स में करीब 33 फीसदी की बढ़त दर्ज की जा चुकी है। सेंसेक्स 28 हजार और नफ्टी में आठ हजार अंकों के ऊपर कारोबार कर रहा है। इसी तेजी का असर निवेशकों पर पड़ा है। जैसे-जैसे शेयर बाजार ऊपर की तरफ बढ़ा है, निवेशकों में डीमैट खाता खुलवाने का उत्साह भी बढ़ा है। बीते वित्त वर्ष में हर महीने डीमैट खातों में छह से आठ फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। आंकड़ों के मुताबिक 31 मार्च, 2015 को समाप्त वित्त वर्ष में 16 लाख नए डीमैट खाते खोले गए। वित्त वर्ष 2013-14 में केवल 8.07 लाख नए खाते ही खुले थे।
एमएफ निवेश बढ़ा
आर्थिक सुधारों और देश में कारोबार करने को आसान बनाने के लिए लगातार किए जा रहे उपायों से उत्साहित म्युचुअल फंड प्रबंधकों का 31 मार्च को समाप्त वित्त वर्ष 2014-15 में ऋण बाकाार में निवेश 8.10 फीसदी बढ़कर 5.87 लाख करोड़ रूपए पर पहुंच गया। इसके पिछले वित्त वर्ष में यह 5.43 लाख करोड़ रूपए रहा था। सेबी के आंकड़ों के अनुसार इस दौरान म्युचुअल फंड का इक्विटी बाजार में निवेश 40 हजार करोड़ रूपए रहा।
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