नई दिल्ली: जल्द ही कॉल ड्रॉप या कॉल की घटिया क्वालिटी के लिए टेलिकॉम कंपनियां स्पेक्ट्रम को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकेंगी और उन्हें इसकी जिम्मेदारी खुद लेनी होगी। डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकम्यूनिकेशंस (डीओटी) की ओर से जारी की गई सिफारिशों के मुताबिक टेलिकॉम ऑपरेटर्स को अगले महीने से स्पेक्ट्रम के इस्तेमाल और इक्विपमेंट के इस्तेमाल की तिमाही दर तिमाही रिपोर्ट देनी होगी।
ऎसा करने के पीछे मकसद ऑपरेटर्स की ओर से खराब सर्विसेस पर उपभोक्ताओं की शिकायत पर नजर रखना है। डीओटी ने यह सिफारिशें कम्यूनिकेशन मिनिस्ट्री को भी भेज दी हैं। इस साल की शुरूआत से ही सर्विस क्वालिटी को सुधारने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। इसका मकसद यह पता करना है कि स्पेक्ट्रम की कमी से कॉल कनेक्टिविटी, एसएमएस में देरी और डाटा बफरिंग पर कितना असर पड़ता है।
कम्यूनिकेशंस मिनिस्ट्री से एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ऑपरेटर्स की ओर से सर्विस क्वालिटी के स्टेंडर्ड पर खरे न उतरने के लिए जितने कारण दिए गए थे, इंटरनल कमेटी ने उन सब की जांच की है और अपने सुझाव दे दिए हैं। जहां तक टेलिकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) की बात है तो ट्राई लगातार सर्विसेस की क्वालिटी को ट्रैक करता रहता है, लेकिन उसने कभी स्पेक्ट्रम के ऑडिट के निर्देश नहीं दिए।
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