देहरादून: देहरादून में उदयन शालिनी न सिर्फ उनका हाथ थाम रहा है बल्कि उन्हें जीने का सलीका भी सिखा रहा है। इन बच्चियों में पैदा हुए आत्मविश्वास से सामाजिक बदलाव की भी नींव रख रहा है।
देहरादून, समाज में हमारे इर्द गिर्द कई ऐसी प्रतिभाएं हैं, जिनमें कुछ कर गुजरने की चाह तो है, लेकिन आर्थिक तंगी उनका रास्ता रोक रही है। खासकर वह बेटियां जिन्हें लेकर अभी भी एक वर्ग की राय है कि उन्हें शादी करके पराए घर चले जाना है। उनके लिए पढ़ना-लिखना नहीं, बल्कि चौका बर्तन सीखना जरूरी है। ऐसे में अभावग्रस्त परिवारों से ताल्लुख रखने वाली कई बच्चियां कॉलेज का मुंह तक नहीं देख पाती।
ऐसे में उदयन शालिनी न सिर्फ उनका हाथ थाम रहा है बल्कि उन्हें जीने का सलीका भी सिखा रहा है। सुशिक्षित समाज की अलख जगा इन बच्चियों में पैदा हुए आत्मविश्वास से सामाजिक बदलाव की भी नींव रख रहा है। जिससे बेटियां पढ़ भी रही हैं और आगे बढ़ भी रही हैं। उदयन शालिनी फैलोशिप कार्यक्रम की शुरूआत वर्ष 2002 में 72 कन्याओं के साथ दिल्ली में हुई।
कविन्द्र पयाल
ब्यूरो चीफ उत्तराखण्ड
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