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नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के सहयोगी कर्नल निजामुद्दीन का निधन

Netaji Subhash Chandra Bose's deputy, Colonel Nizamuddin died
उत्तर प्रदेश

आजमगढ़: नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के सहयोगी कर्नल निजामुद्दीन का सोमवार तड़के चार बजे 117 साल की उम्र में यहां निधन हो गया। उनके छोटे बेटे मोहम्मद अकरम ने बताया कि वह कापफी समय से बीमार चल रहे थे।

कर्नल निजामुद्दीन मुबारकपुर के ढ़कवा गांव के रहने वाले थे। उन्हें नेता जी का बेहद विश्वसनीय अंगरक्षक माना जाता था और वह पूरे दस सालों तक उनके साथ अहम गतिवधियों के दौरान साथ रहे। कर्नल निजामुद्दीन की अहमियत का अन्दाज इसी से लगाया जा सकता है कि वह विभिन्न राष्ट्रों के शासकों, सेनानायकों और विशिष्ट व्यक्तियों की नेताजी से मुलाकात के दौरान उनके साथ ड्राइवर के रूप में भी रहे। इनमें जर्मनी के तानाशाह हिटलर भी शामिल हैं। भारत की आजादी के लिए सहयोग मांगने को लेकर नेताजी ने हिटलर से मुलाकात की थी, तब कर्नल निजामुद्दीन भी उनके साथ थे। कर्नल निजामुद्दीन लगभग 24-25 वर्ष की उम्र में अपनी मां को बिना बताये पिता के पास घर से भागकर सिंगापुर चले गए थे। वहीं कैण्टीन में काम करने के दौरान उन्हे आजाद हिन्द फौज के लिए नौजवानों की भर्ती की जानकारी मिली और इसके बाद वह इस फौज का अहम हिस्सा बन गए।

इसके बाद उन्होंने टोकियो, जापान, नागासाकी, हिरोशिमा, वियतनाम, थाईलैण्ड, कम्बोडिया, मलेशिया का दौरा भी नेताजी के साथ किया और विभिन्न गोपनीय प्रोजेक्ट का हिस्सा रहे। कर्नल निजामुद्दीन के मुताबिक 18 अगस्त 1945 को जिस समय नेताजी के मौत की खबर रेडियो पर चली, उसे वह नेताजी के साथ ही बैठकर वर्मा के जंगल में सुन रहे थे। इसके बाद उन्होंने 20 अगस्त 1947 को नेताजी को बर्मा में छितांग नदी के पास आखिरी बार नाव पर छोड़ा था। इसके बाद उनकी नेताजी से मुलाकात नहीं हुई। लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान तब भाजपा के प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी नरेंद्र मोदी ने कर्नल के पैर छूकर उनका आशीर्वाद भी लिया था।

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